देश में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) तकनीक के उपयोग के कारण पानी की अत्यधिक हानि हो रही है। इस मामले पर 13 जुलाई 2020, को एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सोनम फिंटसो वांग्दी की दो सदस्यीय पीठ में सुनवाई हुई।
अदालत ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को 20 मई, 2019 के अपने आदेश में एनजीटी द्वारा निर्धारित तरीके से आरओ के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए एक अधिसूचना जारी करने को कहा था, पर ऐसा नहीं किया गया। इस देरी पर अदालत ने मंत्रालय से जवाब मांगा।
एक वर्ष बीतने के बाद भी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने लॉकडाउन के कारण समय बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने निर्देश दिया कि आवश्यक कार्रवाई अब 31 दिसंबर, 2020 तक पूरी की जानी चाहिए।
मामले को 25 जनवरी, 2021 को फिर से विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
दिल्ली में चल रहे अवैध बोरवेल को बंद करें
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को दिल्ली में अवैध बोरवेल और ट्यूबवेल के उपयोग पर पर्यावरण विभाग, दिल्ली सरकार द्वारा तय मानकों के तहत चलाने की प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करने का निर्देश दिया।
एसओपी में 'भूजल को निकालने के नियम, बंद करने, बोरवेल / ट्यूबवेल के उपयोग से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों' पर रोक लगाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), स्थानीय निकायों और खंड विकास अधिकारियों जैसी विभिन्न एजेंसियों को जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं। अवैध बोरवेल की पहचान उपयोग की प्रकृति के आधार पर और जिलों के डिप्टी कमिश्नर (राजस्व) को अवैध बोरवेलों के बंद और उल्लंघन की जांच की देखरेख करने की भूमिका सौंपी गई थी।
उपायुक्तों की सहायता के लिए प्रत्येक जिले में एक अंतर विभागीय सलाहकार समिति का गठन किया गया था।
ड्रिलिंग मशीन / रिग्स का इस्तेमाल अवैध बोरवेल खोदने के लिए किया जाता है। भूजन निकालने के लिए पंजीकरण, पूर्व अनुमति और पर्यावरण क्षतिपूर्ति सहित एक प्रणाली को एसओपी में शामिल किया गया था।
यह बताया गया था कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के द्वारा पहले ही 19661 अवैध बोरवेल की पहचान कर ली गई है, जिस पर कार्रवाई की जा रही है और 7248 इकाइयों को पहले ही जिला अधिकारियों द्वारा बंद करवा दिया गया था। शेष इकाइयों को प्राथमिकता से बंद किया जाना है। ये इकाईयां पहले ही पहचान ली गईं थी और इन्हें तीन महीने की अवधि के अंदर पूरी तरह बंद करने की बात कही गई है।
एनजीटी का यह आदेश बिना लाइसेंस के जमीन से पानी निकालने वाले यंत्रों के चलने, दिल्ली के कुछ हिस्सों में दूषित पानी की आपूर्ति पर की गई शिकायत पर था।