जल

भारत समेत दुनिया के 10 देशों के विशेषज्ञ खोजेंगे जल संकट का समाधान

यह शोध आबादी और पारिस्थितिकी तंत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पानी के संकट के असमान वितरण को समझने, कमजोर समूहों को सशक्त बनाने, खतरों का समाधान करने में मदद करेगा

Dayanidhi

मनुष्य के जीवित रहने के लिए स्वच्छ जल की आपूर्ति जरूरी है, फिर भी दुनिया भर में 2.2 अरब लोगों के पास इस बुनियादी सुविधा तक पहुंच नहीं है। दुनिया भर में पानी की सुरक्षा पर संकट मंडरा रहा है, जो अब जलवायु में बदलाव से लगातार बढ़ रहा है।

अब, दुनिया भर के शोधकर्ता मानवता के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने में सहयोग कर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज (एसीयू) और ब्रिटिश काउंसिल द्वारा स्थापित फ्यूचर्स क्लाइमेट रिसर्च कोहोर्ट प्रोग्राम इसको आगे बढ़ा रहा है।

यूके के पांच विश्वविद्यालयों के अग्रणी जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ बांग्लादेश, मिस्र, घाना, भारत, केन्या, मलेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका सहित 10 निम्न और मध्यम आय वाले देशों के 20 चयनित शोधकर्ताओं के साथ काम करेंगे। जो ग्लोबल साउथ में नॉलेज एक्सचेंज और शोध परियोजनाओं के माध्यम से अपनी क्षेत्रीय जलवायु में हो रहे बदलाव संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद करेंगे।

कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, वैश्विक सतत विकास संस्थान (आईजीएसडी) के वारविक विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जल सुरक्षा की असमानता, पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पानी और पानी से संबंधित खतरों की जांच करके बदलती दुनिया में जल सुरक्षा का समाधान करने वाली टीम की अगुवाई कर रहे हैं।

शोध हमें क्षेत्रों, आबादी और पारिस्थितिकी तंत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पानी के संकट के असमान वितरण को समझने, कमजोर समूहों को सशक्त बनाने, खतरों और अनिश्चितताओं का समाधान करने में मदद करेगा। शोध के अलावा, कार्यक्रम ईसीआर को अपने कौशल में सुधार करने, विषय से संबंधित सहयोग विकसित करने, हितधारकों के साथ जुड़ने और जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन रणनीतियों को आगे बढ़ाने वाले कार्यों में मदद करेगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक के आईजीएसडी के डॉ. फेंग माओ ने कहा, जैसा कि हमने संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन और जलवायु परिवर्तन पर नवीनतम अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट से पता चला है, सामूहिक जल अनुसंधान के लिए दुनिया को एकजुट करने की आवश्यकता है। 

दुनिया भर में आबादी के लगभग 80 फीसदी लोग जल सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से जूझ रहे है, जलवायु परिवर्तन से जल चक्र तेज हो रहा है, वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो रहा है और इसके कारण कई क्षेत्रों में सिविल सोसाइटी के लिए लगातार खतरे अधिक बढ़ रहे हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा, हम पानी की समस्या, पारिस्थितिकी तंत्र, समाज और तकनीकों की मदद से इसका समाधान खोजेंगे, जीवन को बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेंगे।

वारविक विश्वविद्यालय में आईजीएसडी निदेशक, प्रोफेसर एलेना कोरोस्टेलेवा ने कहा, आईजीएसडी को वारविक में सतत विकास पर शोध करने के लिए फिर से शुरू किया गया है, इसकी प्रमुख विषय-वस्तु जटिल पारिस्थितिकी तंत्र और जल सुरक्षा है।

डॉ. फेंग माओ ने कहा मुझे यह देखकर बहुत गर्व हो रहा है कि कैसे हमारी रणनीतिक सोच, शोध और नेतृत्व अब एक साथ आ रहे हैं। दुनिया भर में अलग-अलग विषयों की जानकारी संबंधी साझेदारी के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के तहत एक अधिक टिकाऊ समाधान इसे सक्षम बनाएगा।