जल

बिहार में 33 हजार से अधिक तालाबों के कायाकल्प की तैयारी

गर्मियों में बिहार के कई उन इलाकों में पानी का घोर संकट छाया रहा, जहां कभी पर्याप्त पानी हुआ करता था, इसकी वजह तालाबों का सूखना और उन पर अवैध कब्जे माना गया, इसलिए सरकार ने एक योजना बनाई है

Pushya Mitra

पिछले दो तीन साल से लगातार गर्मियों में जलसंकट झेल रहे राज्य बिहार में अब सरकार ने तालाबों के संरक्षण का काम शुरू कर दिया है. बिहार सरकार द्वारा इस मकसद से चलाये जा रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत राज्य में अब तक एक लाख, 33 हजार, 342 तालाबों की पहचान की गयी है, जिनके परीक्षण का काम जारी है। इस बीच सरकार ने फैसला किया है कि वह अभी तत्काल उन 33 हजार से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार करवायेगी, जिनकी हालत खस्ता है। इस अभियान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री विशेष रूप से चिंतित हैं और वे पूरे राज्य में यात्रा कर लोगों को जल संरक्षण को लेकर जागरूक कर रहे हैं।

मालूम हो कि साल 2019 की गर्मियों में बिहार में भीषण जलसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। इस संकट की चपेट में राज्य के वे जिले भी आ गये थे, जहां कभी पर्याप्त पानी हुआ करता था। उस वक्त जानकारों ने बताया कि इस जलसंकट की असली वजह तालाबों की उपेक्षा, इनका अतिक्रमण और इन्हें भरा जाना है. (इस संबंध में डाउन टू अर्थ में तीन सीरीज में खबरें प्रकाशित हुई थीं। नदी, तालाब, चौरों की धरती क्यों हुई प्यासी। तालाबों पर कब्जे के लिए कर देते हैं हत्याएं, सरकार भी पीछे नहीं । ) ऐसे में सरकार ने अक्तूबर माह के आखिर में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य इन तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराना और इनका जीर्णोद्धार था. इसके अलावा नये सिरे से तालाबों की खुदाई भी होनी है। राज्य सरकार ने इस अभियान के लिए अगले तीन साल में 24 हजार 524 करोड़ की राशि खर्च करने का लक्ष्य रखा है।

इस अभियान के तहत पूरे राज्य के स्थानीय प्रशासन द्वारा जो खोजबीन की गयी उसमें अभी तक 1,33,342 तालाबों का पता चला है। इनमें से 13 हजार अतिक्रमण का शिकार बताये जा रहे हैं, इनमें से 2354 तालाबों पर स्थायी और पक्का अतिक्रमण कर लिया गया है। प्रशासन ने अब तक 98 हजार तालाबों का निरीक्षण किया है, जिनमें से सिर्फ 30,970 तालाबों में ही समुचित जलराशि मिली। हालांकि अभी लगभग 35 हजार तालाबों का निरीक्षण किया जाना है, खास कर अतिक्रमण के लिए बदनाम दरभंगा जिले के तालाबों के निरीक्षण की गति काफी सुस्त है, जहां कई तालाबों को भर कर कॉलोनियां बना ली गयी हैं। जिन तालाबों पर स्थायी अतिक्रमण हो गया है, सरकार उसे हटाने के लिए क्या करेगी यह जानकारी अभी नहीं है।

बहरहाल सरकार ने अभी 33 हजार से अधिक तालाबों के जीर्णोद्धार की योजना बनायी है, जिनके जल संचय की स्थिति बहुत नाजुक है। इनमें से 16 हजार से अधिक तालाबों की उड़ाही मशीनों की मदद से होगी और शेष 17 हजार तालाबों की उड़ाही परंपरागत तरीके से की जायेगी। इस सरकारी सर्वेक्षण में यह भी जानकारी मिली कि राज्य के 17,200 तालाब परंपरागत जल संरक्षण इकाई पइन से जुड़े हैं। इन्हें फिर से चालू किया जायेगा, ताकि वहां जल की कमी न हो। फिलहाल सर्वेक्षण और निरीक्षण का काम जारी है, इसके लिए राजस्व विभाग की मदद ली जा रही है, जिसके नक्शे में पुराने तालाबों के विवरण दर्ज हैं।