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जल

पानी की जहरीली राजनीति- भाग दो: पानी के असमान वितरण के कारण घोर जल संकट

Anil Ashwani Sharma

सालों से चिली में बड़ी जमीनों के मालिक पानी के अधिकार को संपत्ति के अधिकार का एक स्वाभाविक हिस्सा मानते हैं। लेकिन पानी, जमीन जैसा कतई नहीं है। यह इस बात से समझा जा सकता है कि एक कुआं सभी के लिए भूजल को कम कर देता है। बड़े भूमि मालिकों को हमेशा के लिए पानी का अधिकार देना पूरी तरह से मूर्खता होने के साथ-साथ यह एक घोर असमानता भी है।

इस बीच चिली के वामपंथी इस धारणा को आगे बढ़ाने के प्रयास में जुटे हुए हैं कि पानी एक मानव अधिकार है। वर्तमान सरकार द्वारा समर्थित लेकिन 2022 में मतदाताओं द्वारा अस्वीकृत किए गए संविधान के मसौदे में 71 बार पानी का उल्लेख किया गया है। यह बात हर किसी के अधिकार की पुष्टि करता है, विशेष कर अगर वे गरीब हैं, लेकिन इस बात की कोई व्यवस्था नहीं दी गई है कि कि यह अधिकार कैसे प्राप्त किया जा सकता है।

एक मायने में कहा जाए तो चिली में बहुत अधिक पानी है। इसके पश्चिम में प्रशांत महासागर है। लेकिन एक विलवणीकरण (लवण व खनिजों को हटाने की प्रक्रिया विलवणीकरण कहलाती है) संयंत्र बनाने की परमिट प्राप्त करने में एक दशक से अधिक समय लग सकता है। समस्याएं तकनीकी से ज्यादा राजनीतिक हैं।

संयंत्र के लिए समुद्री तट के एक छोटे से हिस्से का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए किसी फर्म को रक्षा मंत्रालय में आवेदन करना होता है, जिसमें तीन से चार साल का समय लग जाता है। इसके अलावा पुरातत्व परिषद को भी इस मामले में पूरी तरह आश्वस्त करने की आवश्यकता है कि इससे किसी भी प्रकार से सांस्कृतिक हित को नुकसान नहीं पहुंचेगा। लेकिन यह बात परिषद तक पहुंचाने में ही और तीन से चार साल लग सकते हैं। अंत में पानी का परिवहन, यहां भी इस मुद्दे पर नौकरशाही अड़ंगे लगाने में पीछे नहीं होती।

इकोनॉमिस्ट में छपी रिपोर्ट में चिली स्थित फंडासिओन एक थिंक-टैंक में काम करने वाले उलरिके ब्रोशेक के हवाले से कहा गया है कि चिली को पानी के बारे में अब तार्किक रूप से सोचने की जरूरत है। विलवणीकरण उपयोगी है, लेकिन जब तक नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा संचालित नहीं किया जाता है, यह जलवायु के लिए अच्छा कतई नहीं हो सकता। बल्कि यहां एक अनुमान लगाया गया है कि विलवणीकरण से यहां होने वाला वैश्विक उत्सर्जन, 2025 तक ब्रिटेन के कुल उत्सर्जनों के बराबर हो सकता है।

कायदे से देखा जाए तो चिली में नियमों को सरल बनाने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया को ही लें एक और सूखा ग्रस्त देश जहां किसान बाकी सभी आम लोगों  की तुलना में अधिक पानी का उपयोग करते हैं। संघीय और राज्य सरकारों ने ऑस्ट्रेलिया की नदियों को जोड़ने की सबसे बड़ी प्रणाली, मरे-डार्लिंग बेसिन में पानी के संरक्षण के लिए 2012 में एक समझौता किया था।

इसमें कहा गया था कि 2024 तक 3,200 गीगालीटर (जीएल) बचाना है। ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 2,130 जीएल पानी संरक्षित किया है, जो पहले खपत किए गए पानी के 20 प्रतिशत के बराबर है। इस बीच, कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। सरकार ने पानी की बचत में 13 बिलियन आस्ट्रेलियाई डॉलर का निवेश किया है। पानी के उपयोग को मापने की प्रणालियां परिष्कृत की हैं।

जब डेयरी किसान मैल्कम होल्म को अपने चारागाहों की सिंचाई की जरूरत होती है तो वह ऑनलाइन पानी का ऑर्डर करता है। सेंसर पानी की मात्रा को मापते हैं और इसके बाद पानी उनके खेतों में पहुंच जाता है। यह प्रणाली उनके 1,200 मवेशियों का भरण-पोषण करती है। इसके बावजूद लगभग सभी लोग नाखुश हैं।

पर्यावरणविदों का कहना है कि लक्ष्य अधिक महत्वाकांक्षी होने चाहिए किसी को भी सरकार को अपना पानी बेचने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है, लेकिन क्योंकि कई लोग ऐसा करते हैं इसलिए सिस्टम, सिंचाई के लिए उपलब्ध कुल राशि को कम कर देता है। यही एक कारण है कि पिछले दशक में पानी की कीमतें बढ़ी हैं। यह भी बात है कि उच्च कीमतें संरक्षण को बढ़ावा देती हैं। लेकिन वे ग्रामीण आजीविका को भी खतरे में डालती हैं। इसके चलते न्यू साउथ वेल्स के ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

डेनिलिक्विन नामक एक छोटे से शहर के कृषि मैकेनिक जेमी टास्कर का दावा है कि सरकार पर्यावरण के बारे में भय पैदा कर रही है। लगभग दस में से नौ ऑस्ट्रेलियाई लोग शहरों में रहते हैं और राजनेता निश्चित रूप से नहीं चाहते कि उनके नल सूख जाएं। लेकिन सत्ता में पार्टियों के बदलने के साथ प्राथमिकताएं बदल जाती हैं।

रूढ़िवादी लिबरल पार्टी (जो कि अधिक किसान समर्थक है और जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत कुछ करने को अनिच्छुक है) ने पानी की खरीद बंद कर दी है। 2022 से संघीय सत्ता में रहने वाली लेबर पार्टी ने उन्हें फिर से शुरू कर दिया। पानी की चोरी के आरोप बहुत ज्यादा हैं। पिछले साल एक किसान पर सिर्फ 1,50,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि उसने अवैध रूप से 1.1 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का भूजल निकाल लिया था।

भेड़ों का बाड़ा चलाने वाले रॉबर्ट मैकब्राइड शिकायत करते हैं कि अब चोरी एक व्यवसायिक मॉडल बन गया है, क्योंकि जुर्माना अपराध के हिसाब से नहीं लगाया जाता है। संघीय सरकार का कहना है कि मरे-डार्लिंग योजना की समीक्षा 2026 में की जाएगी।

अगर ऑस्ट्रेलिया और चिली जैसे संपन्न देशों में पानी की राजनीति संवेदनशील है तो गरीब देशों में यह विस्फोटक स्थिति में है। जलवायु परिवर्तन उनमें से कई में मौसम को और अधिक अनिश्चित बना रहा है।