प्रतीकात्मक तस्वीर 
जल

बाराबंकी की आर्द्रभूमियां सुरक्षित, जांच में नहीं मिला अतिक्रमण

समिति की जांच में आर्द्रभूमियों पर कहीं भी स्थाई निर्माण या जलमग्न हिस्से को पाटने के सबूत नहीं मिले हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • बाराबंकी जिले की 12 आर्द्रभूमियों पर कोई अवैध कब्जा या स्थाई निर्माण नहीं हुआ है, जैसा कि राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की रिपोर्ट में 24 सितंबर 2025 को बताया गया।

  • जांच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर की गई थी, जिसमें सभी झीलें वेटलैंड नियम, 2017 के अनुरूप पाई गईं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की 12 आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) पर न तो किसी प्रकार का अवैध कब्जा है और न ही स्थाई निर्माण किया गया है। यह बात राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने 24 सितंबर 2025 को अपनी रिपोर्ट में कही है। यह जांच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 21 मई 2025 को दिए आदेश पर की गई  थी।

यह मामला बाराबंकी की कई झीलों और आर्द्रभूमियों पर कब्जे और निर्माण संबंधी गतिविधियों से जुड़ा है। इसमें खासतौर पर 12 आर्द्रभूमियों का जिक्र है, जिनमें  भगहर, चकौरा, वनगांव, भितरी, बैनाटिकहर, कमरावा, सरायबरई, नटौली, खुडमऊ, सादुल्लापुर, सलारपुर और सराही शामिल हैं।

शिकायतों की पड़ताल के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी, जिसमें सम्बंधित तहसील के उपजिलाधिकारी  (एसडीएम), खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) और क्षेत्रीय वन अधिकारी शामिल थे।

रिपोर्ट में बताया गया कि 2018 में सरायबरई आर्द्रभूमि पर कुछ निर्माण कार्य किए गए थे। इनमें वन्यजीव संरक्षण, प्रवासी पक्षियों के आवास को बेहतर बनाने और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक पुलिया मार्ग, दो झोपड़ियां और पक्षियों के लिए मिट्टी का टीला बनाया गया था। इन संरचनाओं का 2023 में नवीनीकरण किया गया।

हालांकि, रिपोर्ट ने साफ किया कि सरायबरई झील के जलमग्न हिस्से को भरकर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया गया। जांच में इस झील की जलभराव वाली जमीन पर कब्जे या निर्माण का कोई सबूत नहीं मिला है।

इसी तरह, अन्य झीलों में भी कहीं पर जलभराव वाले हिस्से को पाटने या कब्जा करने का सबूत नहीं मिला। सभी झीलें, वेटलैंड (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के अनुरूप पाई गई हैं।

जांच में यह भी सामने आया कि भितरी झील का मौसमी उपयोग और भगहर झील के पास इको-टूरिज्म गतिविधियां जरूर हो रही हैं। हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि ये गतिविधियां अनुमेय क्षेत्रों तक सीमित हैं और झीलों की पारिस्थितिक प्रकृति को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।

समिति ने साफ कहा है कि बाराबंकी जिले की सभी 12 आर्द्रभूमियां पूरी तरह कब्जा-मुक्त हैं और उन पर किसी तरह का स्थाई निर्माण नहीं हुआ है।

साकेत वन भूमि पर अवैध कब्जा: एनजीटी ने डीडीए से मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 25 सितंबर 2025 को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को आदेश दिया है कि वह साकेत वन भूमि पर कब्जों से जुड़े मामलों की स्थिति रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के सामने पेश करे। ये मामले फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट और साकेत जिला अदालत में लंबित हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर 2025 को होगी।

गौरतलब है कि यह मामला अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान में लिया गया है। दरअसल, 25 जून 2024 को नवभारत टाइम्स में एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें बताया गया है कि साकेत के प्रेस एंक्लेव और साकेत स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के बीच करीब छह हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है।

डीडीए ने 21 मई 2025 को दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह जमीन एक पैकेज डील के तहत डीडीए को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यहां अवैध निर्माण पाया गया है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जमीन पर एक कब्रिस्तान मौजूद है, जिसमें कुछ कब्रें नई और कुछ पुरानी हैं। इसके अलावा यहां अस्थाई झोपड़ियां खड़ी की गई हैं, कुछ जगहों पर कबाड़ीवालों ने कब्जा कर रखा है और अवैध रूप से झुग्गियां भी बना ली हैं।

डीडीए ने रिपोर्ट में यह भी बताया कि इस जमीन को लेकर कुछ मामले पहले से ही साकेत जिला अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं।

दिल्ली की 22 झीलों पर नहीं है अवैध कब्जा: एमसीडी ने एनजीटी को दी रिपोर्ट

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के उद्यान विभाग ने 25 सितंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले 22 जलाशयों पर कोई अवैध कब्जा नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार, इन 22 जलाशयों में से 20 को नगर निगम पहले ही विकसित या पुनर्जीवित कर चुका है। जबकि शेष दो शाहदरा स्थित वेलकम झील और मॉडल टाउन की नैनी लेक को चरणबद्ध तरीके से विकसित और पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया जारी है।

गौरतलब है कि 25 अप्रैल 2024 को द हिंदू अखबार में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।