दिल्ली के कालिंदी कुंज से आगरा कैनाल फरीदाबाद बाईपास और एलिवेटेड रोड निर्माण कार्य के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को यमुना नदी का विशेष ख्याल रखना होगा। निर्माण के दौरान न सिर्फ 25 साल की बाढ़ को ध्यान में रखते हुए सभी कैंप यमुना डूब क्षेत्र से बाहर रखने होंगे बल्कि निर्माण मलबे का भी सही निपटारा करना होगा। यह आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिया है।
यह एलिवेटेड रोड व बाईपास दिल्ली के भीतर जाम की समस्या को कम करने में सहयोगी होगा। हालांकि, इस निर्माण से यमुना नदी में निर्माण कार्य से नुकसान की आशंका थी। एनजीटी ने कहा कि निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग की पुरानी सड़क पर किया जाना है ऐसे में नदी को नुकसान नहीं होगा। वहीं, निर्माण कार्य के दौरान एनएचएआई और अन्य एजेंसियों को कड़े नियमों और शर्तों का पालन भी करना होगा।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 26 जुलाई 2018 को इस मामले के लिए समिति गठित की गई थी। नदी की पारिस्थितिकी और पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न हो इसलिए एनएचएआई को गठित की गई समिति की सिफारिशों का पालन करना होगा। समिति ने अपनी सिफारिशों में डूब क्षेत्र का ख्याल रखने के साथ ही किसी भी तरह का निर्माण मलबा यमुना नदी के डूब क्षेत्र और उससे जुड़े जलाशयों में नहीं जाना चाहिए। निर्माण मलबा सिर्फ दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की अधिकृत साइट पर ही डंप होना चाहिए। इसके अलावा सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट तैयार कर पांच वर्षों तक उसकी देख-रेख भी करनी होगी। इसके साथ ही निर्माण के दौरान आंबेडकर यूनिवर्सिटी की डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन इकोलॉजी को पर्यावरणीय निगरानी भी करनी होगी।
यह परियोजना 18 वर्षों से लंबित थी। परियोजना के लिए कई अटकलें बताई जा रही थीं। बीते वर्ष इस परियोजना को एनएएचएआई ने दिल्ली सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से ले लिया। अब एनएचएआई दिल्ली लोक निर्माण विभाग की पुरानी सड़क पर ही इस एलिवेटेड रोड वाले बाईपास को तैयार करेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।