जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पहली बार देशभर के जल निकायों की गणना की गई है। यह गणना जल निकायों की मौजूदा स्थिति से परिचित कराती है। गणना के अनुसार, कुल जल निकायों में 59.5 प्रतिशत तालाब, 15.7 प्रतिशत टैंक, 12.1 प्रतिशत जलाशय, 9.3 प्रतिशत रिसाव टैंक/चेकडैम/जल संरक्षण योजनाओं से बने जल निकाय, 0.9 प्रतिशत झीलें और 2.5 प्रतिशत अन्य हैं।
राज्यवार देखें तो पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक तालाब और जलाशय हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक टैंक, तमिलनाडु में सर्वाधिक झीलें और महाराष्ट्र में सबसे अधिक जल संरक्षण योजनाएं हैं।
अगर सर्वाधिक जल निकायों को देखें तो पश्चिम बंगाल 30.8 प्रतिशत जल निकायों के साथ पहले, उत्तर प्रदेश 10.1 प्रतिशत जल निकायों के साथ दूसरे, आंध्र प्रदेश 7.9 प्रतिशत जल निकायों के साथ तीसरे, ओडिशा 7.5 प्रतिशत जल निकायों के साथ चौथे और असम 7.1 प्रतिशत जल निकायों साथ पांचवे स्थान पर है। गणना रिपोर्ट के मुताबिक, 78 प्रतिशत जल निकाय मानव निर्मित जबकि 22 प्रतिशत प्राकृतिक हैं।
देशभर में करीब 4 लाख जल निकाय सूखने, गाद जमा होने, क्षतिग्रस्त होने, खारेपान आदि के कारण इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं। गणना में एक दिलचस्प आंकड़ा यह है कि देशभर में सरकारी से अधिक निजी जल निकाय हैं। कुल 55.2 प्रतिशत जल निकाय निजी स्वामित्व में हैं। त्रिपुरा में 99 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 97 प्रतिशत और असम में 81 प्रतिशत जल जल निकायों पर निजी स्वामित्व है। त्रिपुरा में ही सर्वाधिक 99 प्रतिशत जल निकाय उपयोग में हैं।
वहीं कर्नाटक में 78 प्रतिशत, दिल्ली में 73 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 55 प्रतिशत जल निकाय उपयोग में नहीं हैं। कुल जल निकायों में 38,496 (1.6 प्रतिशत) अतिक्रमण की शिकार हैं। इनमें भी सर्वाधिक संख्या तालाबों और टैंक की है।