गंगा नदी में पसरा प्रदूषण, फोटो: आईस्टॉक 
जल

नहाने लायक नहीं गंगा बेसिन के अधिकांश क्षेत्रों में जल, गुणवत्ता मानकों पर रहा विफल: सीपीसीबी

Susan Chacko, Lalit Maurya

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गंगा नदी बेसिन के अधिकांश क्षेत्रों में जल गुणवत्ता नहाने योग्य पानी के लिए तय गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं है ।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सात अगस्त, 2024 को एनजीटी के समक्ष दायर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गंगा, ब्रह्मपुत्र के साथ उनकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता की जांच की गई थी और यह जानने का प्रयास किया गया था कि यह पानी नहाने के लिए तय निर्धारित मानकों के मुताबिक सुरक्षित है या नहीं।

ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन में अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। वहीं गंगा नदी बेसिन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल रहे। रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में ब्रह्मपुत्र नदी बेसिन के अंतर्गत आने वाले सभी नौ क्षेत्र नहाने के लिए तय प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश में 114 में से 97 स्थान इन मानकों पर खरे नहीं उतरे। इसी तरह बिहार में भी सभी 96 स्थान जल गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते हैं।

यमुना नदी में बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन के मुद्दे पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए डीडीए ने मांगा समय

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने सात अगस्त, 2024 को एनजीटी से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है। यह रिपोर्ट यमुना नदी में बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन के खुलासे से जुड़ी है।

गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल ने डीडीए को गंगा नदी (पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 के अनुसार यमुना बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन पर अपडेट देने का निर्देश दिया था।

झारखंड ने अवैध खनन को नियंत्रित करने के लिए टास्क फोर्स का किया है गठन

आठ अगस्त, 2024 को, बोकारो के उपायुक्त ने अपना हलफनामा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष दायर कर दिया है। इस हलफनामे में उन्होंने जानकारी दी है कि उप-विभागीय समिति ने रेत को लेकर जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार कर ली है।

उनके मुताबिक यह रिपोर्ट सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश, 2016 (एसएसएमजी 2016) और रेत खनन प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देश (ईएमजीएसएम 2020) को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। उपायुक्त ने यह भी जानकारी दी है कि रिपोर्ट का मूल्यांकन झारखंड के राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा किया गया है।

इस रिपोर्ट में एनजीटी को बताया गया है कि झारखंड सरकार ने अवैध खनन की निगरानी और नियंत्रण के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है। उपायुक्त के नेतृत्व में यह टास्क फोर्स नियमित रूप से बैठक करती है।

साथ ही खनिजों के अवैध खनन, भंडारण और परिवहन के किसी भी मामले पर कार्रवाई करने के लिए टास्क फोर्स द्वारा सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। 28 जून, 2024 को हुई एक बैठक के दौरान टास्क फोर्स ने क्षेत्र में कड़ी निगरानी के लिए विशेष निर्देश दिए हैं।

मामला बोकारो में बेरमो उपमंडल के महुआटांड़ में चल रहे अवैध बालू खनन से जुड़ा है। इस बारे में 19 दिसंबर, 2023 को छपी न्यूज विंग की एक खबरे के मुताबिक महुआटांड़ में सैकड़ों ट्रैक्टर अवैध तौर पर खनन की गई बालू को ढोने में लगे हैं।

यह गतिविधि पूरी रात चलती रहती है। इसकी वजह से ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है, जिससे आम लोगों की नींद में खलल पड़ रहा है। इतना ही नहीं इसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है।