जल

बुंदेलखंड में पानी के संकट को लेकर अब शुरू हुई जलक्रांति

परंपरागत जल स्रोतों को फिर से जीवित करने के लिए बुंदेलखंड के बांदा जिले में कुआं और तालाब जियो अभियान शुरू किया गया है

DTE Staff

प्रियंका पांडे 

सूखा क्षेत्र नाम से जाना जाने वाले बुंदेलखंड में पानी के संकट को लेकर अब जलक्रांति शुरू हो गई है। यहाँ के जिलाधिकारी द्वारा परंपरागत जल स्रोतों को फिर से जीवित करने के लिए चालाया जा रहा कुआँ और तालाब जियायों अभियान अब पूरी शबाब में है। लगभग एक महीने पहले चाँद लोगों के साथ शुरू किया गया यह अभियान अब लोगों की आवाज बन चुका है। अब गांव-गांव में ग्रामीण खुद से श्रमदान करके तालाबों और कुओं की सफाई में जुट गए हैं। साथ ही और भी परम्परागत तरीके से किस तरह जल को संरक्षित किया जाये इसकी जुगत में लगे हुए हैं। इसी क्रम में शनिवार को शासन से बतौर प्रभारी भेजे गए प्रमुख सचिव गन्ना संजय आर भूसरेड्डी की मौजूदगी में डीएम हीरालाल ने एक जल मार्च निकाला । 5 किलोमीटर तक डीएम और प्रमुख सचिव के साथ ही हजारों बांदावासी भी पदयात्रा करते हुए शहर में निकले और जल संचयन और जल संरक्षण की अपनी मुहिम को अमलीजामा पहनाया।

बांदा में जिलाधिकारी इन दिनों जल के परंपरागत स्रोत तालाब और कुओं के जीर्णोद्धार को लेकर अभियान चला रहे हैं। और इन्होने इसके लिए एक स्लोगन भी बनाया है "कुआं-तालाब जियायो, बांदा को खुशहाल बनाओ"  जिसमें अब तक पूरे जिले भर के 471 गांवों में जल चौपाले लगाकर जिलाधिकारी व उनके अधीनस्थों ने जल संरक्षण को लेकर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया है । उसी के तहत शनिवार को जिलाधिकारी हीरालाल व प्रमुख सचिव संजय आर भुसरेड्डी ने शहर के प्रागी तालाब से शहर के छाबी तालाब तक निकले गए इस जल मार्च को हरी झंडी दिखाकर इसकी शुरुआत की और इस जल यात्रा की अगुवाई भी खुद डीएम हीरालाल और प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने की। इस मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए तो वहीं स्कूली छात्र छात्राओं समेत समाजसेवियों और स्थानीय लोगों ने भी इस जल मार्च में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लगभग 5 किलोमीटर तक अधिकारियों ने पैदल जलमार्ग किया और लोगों को परंपरागत स्रोतों को फिर से जिंदा करने व जल संरक्षण और जल संचयन को लेकर भी लोगों को जागरूक किया ।

इस कार्यक्रम में शासन से भेजे गए प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बांदा डीएम की कोशिश और इस अभियान की सराहना की है। प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी का कहना है कि वह खुद हजारों लोगों के साथ पदयात्रा करते हुए आए हैं और उन्होंने देखा है कि किस तरह जनपद वासी इस मुहिम में अपना योगदान कर रहे हैं जो सराहनीय हैं और इससे आने वाले समय में जल संकट से निपटा जा सकेगा और उन्हें भी लगता है कि अगर परंपरागत स्रोतों को फिर से जीवित कर लिया जाए तो जल संकट से निपटा जा सकता है। इसके लिए धीरे धीरे यहाँ के कुओं और जलाशयों में काम किया जाएगा जिससे जल संकट दूर होगा। 

वहीँ बांदा के जिलाधिकारी हीरालाल ने भी बताया कि हम लोग यह जो अभियान चला रहे हैं। जिसमे जनता के दिमाग में जल के महत्त्व को कुओं तालाबों के प्रति लोगों के मन में अपनत्व आदर और सम्मान भाव पैदा करने के लिए हम लोग अलग अलग तरह के काम कर रहे हैं। जैसे गांव में जल चौपालें की, ब्लाकों में चौपले की, और शहर व् कस्बों में चौपालें की। इसी क्रम में जल मार्च निकाला गया है जिसमे महिलाओं समेत हजारों की तादात में लोग इकट्ठा हुए है। इसका मकशद यह है की जल संरक्षण की जितनी भी चीजे हैं उससे वो अवगत हो जाएँ और इसके महत्त्व से वो अवगत हो जाएँ। और जो अभी हम लोग कुओं और तालाबों में प्रति सचेत नहीं हैं, उस पर चर्चा नहीं करते, उसकी साफ़ सफाई नहीं करते, उसके बारे में सोचते नहीं है। पानी को लेकर गांव गांव में जो चौपाल की जा रही हैं और लोगों को पानी को बचाने व परंपरागत तरीके से जल संरक्षण और जल संचयन के लिए भी जागरूक किया जा रहा है । जिससे लोगों में मन उसके प्रति आदर सम्मान और उसका महत्त्व आ जाये जिससे वो उसे पाटे नहीं, उसमें गंदगी न फेंके। और उसकी को लेकर वो अभियान चला रहे हैं जिसका मकसद है की लोगों में मन में एक जल संरक्षण को लेकर चेतना पैदा की जा सके।