हरियाणा में भूजल के भारी मात्रा में हो रहे दोहन पर कार्रवाई के संबंध में 23 जनवरी, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
अदालत ने जिन अधिकारियों से जवाब मांगा है, उनमें हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (हरियाणा कार्यालय) और हरियाणा में केंद्रीय भूजल बोर्ड शामिल हैं।
इन सभी को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब देना होगा। मामले पर अगली सुनवाई छह मई 2025 को होनी है।
गौरतलब है कि आठ जनवरी, 2025 को अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है। मामला हरियाणा में भूजल के बड़े पैमाने पर हो रहे दोहन से जुड़ा है।
खबर के मुताबिक, हरियाणा अपनी वार्षिक भूजल आपूर्ति के 136 फीसदी का दोहन कर रहा है। इसका मतलब है कि जितना भूजल प्राकृतिक रूप से जमा हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा निकाला जा रहा है।
खबर में केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) का हवाला देते हुए जानकारी दी गई है कि हरियाणा के 60.48 फीसदी भूजल क्षेत्रों का बड़े पैमाने पर दोहन किया जा रहा है। वहीं केवल 28.4 फीसदी (12,269.36 वर्ग किमी) क्षेत्र ही सुरक्षित कहीं जा सकते हैं। इसी तरह 11.12 फीसदी क्षेत्रों को गंभीर या अर्ध-गंभीर की श्रेणी में रखा गया है।
सीजीडब्ल्यूबी ने रिपोर्ट में बेहतर जल प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। इससे हरियाणा में भूजल के बड़े पैमाने पर हो दोहन को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही भविष्य में खेती, उद्योगों और रोजमर्रा के उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा।
आगरा में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए क्या कुछ उठाए गए हैं कदम, रिपोर्ट में दी गई जानकारी
आगरा के जिला मजिस्ट्रेट ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), आगरा द्वारा की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
इस रिपोर्ट में रोहता से नगला मकरौल, इटौरा तक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा बनाई 12 किलोमीटर लंबी सड़क पर जलभराव और जल निकासी की समस्याओं से निपटने के लिए उठाए कदमों की जानकारी दी गई है।
यह अनुपालन रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 22 मई, 2023 को दिए आदेश पर 21 जनवरी, 2025 को अदालत में प्रस्तुत की गई है। यह आदेश गौरी कुंज में नाले और एनएच-3, आगरा की सर्विस लेन की सफाई में अधिकारियों की विफलता से जुड़ा है।
इस मामले में अदालत ने आगरा विकास प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट आगरा की संयुक्त समिति को कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। लेकिन आवेदक ने सबूत के तौर पर जो तस्वीरें उपलब्ध कराई हैं, उनके अनुसार कोई कदम नहीं उठाया गया है।
यह सड़क, जिसमें सर्विस लेन भी शामिल है, वैध और अवैध दोनों तरह की आवासीय कॉलोनियों, खेतों और बाजारों से होकर गुजरती है। घरेलू सीवेज के साथ बारिश के पानी के मिलने से जलभराव की स्थिति बन गई है। इसकी वजह से बदबू फैल रही है और वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है।
आठ अक्टूबर, 2024 को संयुक्त समिति ने आवेदक रावेंद्र सिंह के साथ साइट का व्यापक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सर्विस रोड पर पानी का ठहराव, अवरुद्ध पुलिया और निचले इलाकों में खराब जल निकासी पाई गई। इन निष्कर्षों ने समस्याओं को ठीक करने के लिए एक योजना बनाने में मदद की है।
जूनियर इंजीनियर के रिक्त पदों को भरने में हुई प्रगति पर उत्तर प्रदेश सरकार ने दायर किया हलफनामा
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) में जूनियर इंजीनियर के 42 रिक्त पदों में से 27 पर नियुक्ति हो चुकी है, और नए कर्मचारियों ने अपना काम शुरू कर दिया है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 24 जनवरी, 2025 को दाखिल हलफनामे में दी गई है।
एनजीटी को बताया गया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) ने 24 अगस्त, 2024 और 30 अक्टूबर, 2024 के पत्रों में 43 रिक्त पदों में से 42 जूनियर इंजीनियर पदों के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश की। इसके बाद, यूपीपीसीबी ने 42 पदों के लिए जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति के लिए 10 सितंबर, 2024 और 12 नवंबर, 2024 को कार्यालय आदेश जारी किए थे।
यूपीपीसीबी की यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 11 सितंबर, 2024 को दिए आदेश पर सौंपी गई है। अपने आदेश में एनजीटी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 30 अप्रैल, 2025 तक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों में सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया था।
इसके साथ ही एनजीटी ने बोर्डों और समितियों को प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे में सुधार करने और इस दौरान प्रयोगशालाओं को पूरी तरह कार्यात्मक बनाए रखने का भी निर्देश दिया था।