जल

बांध परियोजनाओं के खिलाफ नए सिरे से आंदोलन की तैयारी

Varsha Singh

हरिद्वार का मातृ सदन आश्रम गंगा पर बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ नए सिरे से आंदोलन की रणनीति बना रहा है। इसके लिए दो दिवसीय गोष्ठी बुलाई गई है। उत्तरकाशी में भागीरथी नदी के उदगम पर छह सौ मेगावाट की लोहारी नागपाला परियोजना को फिर से शुरू करने की संभावना को देखते हुए यह गोष्ठी काफी अहम हो गई है। लोहारी नागपाला परियोजना वह है, जिसको लेकर प्रो. जीडी अग्रवाल ने अनशन किया था और सरकार को उनकी बात मानते हुए परियोजना का काम रोकना पड़ा था।

स्वामी निगमानंद सरस्वती की मृत्यु को आठ वर्ष पूरे होने पर यह गोष्ठी बुलाई गई है। स्वामी निगमानंद की स्वच्छ-निर्मल गंगा के लिए अनशन करते हुए मृत्यु हुई थी। मातृ सदन के ब्रह्मचारी दयानंद ने 5 जून 2019 को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और अपील की है कि 15-16 को होने वाली गोष्ठी में शामिल हों या अपने किसी प्रतिनिधि को भेजें।

प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में दयानंद ने लिखा है कि गंगा की मूल धाराओं पर निर्माणाधीन चार जल विद्युत परियोजनाओं फाटा-ब्यूंग, सिंगौली-भटवाड़ी, तपोवन-विष्णुगाड़ और विष्णुगाड़-पीपल कोटी को पूरी तरह निरस्त करने का आश्वासन दिया गया था। इसके अलावा बाकी परियोजनाओं पर 25 फरवरी 2019 के निर्णय के अनुसार कार्रवाई की बात कही गई थी। जिसके मुताबिक गंगा और उसकी सहायक नदियों पर प्रस्तावित जिन बांधों का कार्य शुरू नहीं हुआ है, उसे निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही पहले से निर्मित बांधों में ई-फ्लो सुनिश्चित करते हुए, धीरे-धीरे उसकी मात्रा बढ़ाई जाएगी। मातृ सदन का आरोप है कि हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर तक गंगा में खनन बंद करने के निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

पत्र में कहा गया है कि 15-16 जून को केंद्र सरकार के प्रतिनिधि आश्रम में आएँ और इन बांधों को लेकर बात करें। ब्रह्मचारी दयानंद ने कहा है कि सरकार द्वारा दिये गये आश्वासन पूरे नहीं होने पर नए आंदोलन की रणनीति बनायी जाएगी।

स्वच्छ और निर्मल गंगा के लिए ही अनशनरत रहे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद की पिछले वर्ष अक्टूबर में मृत्यु हो गई थी। मातृ सदन में ही उन्होंने जल त्याग किया था। जिसके बाद ऋषिकेश के एम्स में उन्होंने आखिरी सांसें लीं। उनकी मांगों में भी गंगा के ये चार बांध शामिल थे। इन बांधों को बंद करने की कोई सूरत तो फिलहाल नज़र आती नहीं। बल्कि इसके उलट लोहारीनाग पाला परियोजना के एक बार फिर शुरू होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। ये वही परियोजना है जिसे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल समेत कई अन्य पर्यावरणविद् के अनशन के बाद केंद्र में तत्कालीन यूपीए सरकार ने औपचारिक तौर पर वर्ष 2010 में बंद कर दिया था।