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महासागरों में भूजल का बहाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है: अध्ययन

Dayanidhi

दुनिया भर में भूजल का एक बिन देखा प्रवाह समुद्र के किनारे से बहते हुए समुद्र में मिल जाता है। अभी तक वैज्ञानिकों ने समुद्र में इसके मिलने को अच्छा नहीं बताया था,  क्योंकि नदियों और नालों से समुद्र में प्रवेश करने वाले पानी और इसमें घुलित पदार्थों की मात्रा बहुत अधिक होती है। लेकिन अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि भूजल का समुद्र में मिलना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अध्ययन जैव-रासायनिक चक्रों के वैश्विक मॉडल और पृथ्वी के जलवायु इतिहास के तत्वों, आइसोटोप रिकॉर्ड की व्याख्या करता हैं।

अध्ययनकर्ता किम्बरले मेफील्ड ने कहा भूजल के रिसाव के बारे में वर्णन करना वास्तव में कठिन है, इसलिए यह दुनिया भर के घटनाचक्रों के मॉडलिंग में अनिश्चितता को दिखाता है। मेफील्ड यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसी) सांता क्रूज़ में स्नातक के छात्र हैं, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया। इस अध्ययन में दुनिया भर के शोधकर्ताओं द्वारा एक बड़ा प्रयास किया गया जो इसे पूरा करने के लिए एक साथ आए।

शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 20 स्थलों पर तटीय भूजल में पांच प्रमुख तत्वों -लिथियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्ट्रोंटियम और बेरियम को मापने वाले सांद्रता और आइसोटोप अनुपातों का पता लगाया और अतिरिक्त जगहों के लिए पहले से प्रकाशित डेटा का उपयोग किया।

मेफील्ड ने बताया कि ये तत्व महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे चट्टानों के घिसने, टूटने (वेदरिंग) से आते हैं। लंबे समय से इस प्रक्रिया के दौरान सिलिकेट चट्टानें वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा को अवशोषित कर रहीं हैं।

वेदरिंग पृथ्वी की सतह पर चट्टानों और खनिजों का टूटना या घुलना है। एक बार एक चट्टान टूट जाने के बाद, क्षरण नामक एक प्रक्रिया चट्टान और खनिजों को टुकड़ों में बदल देती है। पानी, एसिड, नमक, पौधे, जानवर और तापमान में बदलाव सभी वेदरिंग और क्षरण करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

यूसीएससी के इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंसेज में एक शोध प्राध्यापक, सह-अध्ययनकर्ता अदीना पायतन ने कहा कि भूजल महासागरों में तत्वों को ले जाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है लेकिन इसे मापना कठिन है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है।

पायतन ने कहा इन तत्वों में से अधिकांश के लिए भूजल के साथ निकलने का यह पहला वैश्विक मूल्यांकन है। यह जानकारी हमारी समझ के लिए बहुत उपयोगी है, कि चट्टानों के घिसने, टूटने (वेदरिंग) जलवायु से कैसे संबंधित है, न केवल वर्तमान में बल्कि अतीत में भी।

नवीनतम वैश्विक भूजल प्रवाह के अनुमानों के आधार पर नदियों से मिलने वाले इन तत्वों की मात्रा कम से कम 5 फीसदी से 16 फीसदी तक है। परिणामों से यह भी पता चला है कि भूजल निकलने की समस्थानिक संरचना नदियों से भिन्न हो सकती है।

मेफील्ड ने कहा भूजल के रिसाव की संरचना तटीय भूविज्ञान पर बहुत निर्भर है, जबकि नदी का पानी महाद्वीपों के अंदरूनी हिस्सों से अधिक प्रभावित होता है। यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि भूजल विश्व स्तर पर एक अंतर बनाता है और अब जब हमारे पास बड़ा डेटा सेट है, तो लोग इसे अधिक नमूने के साथ सुधार कर सकते हैं और वैश्विक भूजल रिसाव के बेहतर मॉडल विकसित कर सकते हैं।