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पानी की वजह से आपराधिक घटनाएं हुई दोगुनी, गुजरात में हुई सबसे अधिक हत्याएं

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2018 के अपराधों का ब्यौरा जारी किया है, जिसमें पानी को लेकर हुए विवादों में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई

Raju Sajwan

देश में पानी की वजह से आपराधिक विवाद बढ़ रहे हैं। मात्र एक साल में इनकी संख्या दोगुनी हो गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2018 के आंकड़े जारी किए हैं। इसके मुताबिक 2017 में पानी को लेकर 432 आपराधिक घटनाएं हुई, जो 2018 में बढ़कर 838 हो गई। इसके अलावा 2018 में पानी की वजह से 92 लोगों की हत्याएं कर दी गई।

एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2018 में पानी विवाद को लेकर जिन राज्यों में हत्या के मामले दिल्ली सहित 10 राज्यों में दर्ज किए गए हैं। हत्या के सबसे अधिक मामले गुजरात में दर्ज किए गए हैं। 2018 में गुजरात में 18 हत्या के मामले दर्ज किए, जबकि बिहार में 15, महाराष्ट्र में 14, उत्तर प्रदेश में 12, राजस्थान और झारखंड में 10-10, कर्नाटक में 4, पंजाब में 3, तेलंगाना में 2, मध्य प्रदेश में 2, तमिलनाडु में 1 और दिल्ली में 1 हत्या का मामला दर्ज हुआ।

यह बात बेहद दिलचस्प है कि पानी की वजह से हुई हत्याओं के मामले में 19 बड़े शहरों में केवल पटना और दिल्ली शामिल है। पटना में पानी की वजह हत्याओं के 15 मामले दर्ज हुए। जबकि दिल्ली में एक मामला दर्ज हुआ। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि 20वें बड़े शहर कोलकात्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया है, जो अभी पेंडिंग है।

पानी को लेकर हुए विवाद की वजह से सबसे अधिक आपराधिक घटनाएं बिहार में हुई। बिहार में 228 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गई, जिसमें 327 लोग पीड़ित थे। जबकि महाराष्ट्र में 255 मामले दर्ज हुए और 285 लोग पीड़ित थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 79, हरियाणा में 56, कर्नाटक में 53, तमिलनाडु में 39, गुजरात में 32, आंध्र प्रदेश में 12, हिमाचल में 1, झारखंड में 3, केरल में 1, मध्य प्रदेश में 7, पश्चिम बंगाल में 2, चंडीगढ़ और दिल्ली में 1-1 मामला दर्ज हुआ।

रिपोर्ट बताती है कि 2017 के मामलों में 166 मामले 2018 में भी पेंडिंग थे। जबकि 21 मामलों को फर्जी पाया गया और 4 मामलों को एफआईआर दर्ज करने लायक नहीं समझा गया। इसके अलावा 2017 तक पानी से जुड़े विवादों के 2446 मामले अदालतों में लंबित थे, जबकि 2018 में 582 नए मामले अदालतों में पहुंचे। यानी कि 2018 तक 3028 मामले अदालतों में लंबित थे। जबकि 48 मामलों में आपस में समझौता हो गया। 27 मामलों में सजा सुनाई गई। 317 मामलों में लोग बरी हो गए। 2018 के दौरान पानी से जुड़े अपराधों में 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया, इनमें से 10 महिलाएं थीं।