Panga Teng Tso (PTTso) Lake alongside a Brokpa (Yak herder) tentPhoto: Author provided 
जल

अरुणाचल: तवांग का पानी सुरक्षित, फ्लोराइड का स्तर तय सीमा के भीतर: सीपीसीबी

पहले की रिपोर्टों में जहां फ्लोराइड की खतरनाक मात्रा बताई गई थी, वहीं सीपीसीबी द्वारा की नई जांच में सभी नमूने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय सुरक्षित सीमा के भीतर पाए गए

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में पानी में फ्लोराइड की मात्रा सुरक्षित सीमा के भीतर है।

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक जलस्रोतों और शुद्ध पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की सीमा से काफी नीचे है।

  • 2022 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन तेजपुर के वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र की नदियों और ऊंचाई वाली झीलों से लिए पानी के नमूनों में फ्लोराइड का स्तर 21.86 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मिला था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा (1.5 मिलीग्राम/लीटर) से कई गुणा अधिक है।

अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में पानी में फ्लोराइड की मात्रा सुरक्षित सीमा के भीतर पाई गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 10 नवंबर 2025 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले के प्राकृतिक जलस्रोतों और ट्रीटेड (शुद्ध) पानी में फ्लोराइड की मात्रा एक मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की सुरक्षित सीमा से काफी नीचे है।

सीपीसीबी ने यह रिपोर्ट उन दावों के जवाब में सौंपी है जिनमें कहा गया था कि तवांग में फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), उत्तर-पूर्वी क्षेत्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य शोधकर्ताओं ने पहले अपनी रिपोर्टों में पानी में फ्लोराइड की ऊंची मात्रा दर्ज की थी।

डीटीई रिपोर्ट पर एनजीटी ने लिया था संज्ञान

इन रिपोर्टों का हवाला देते हुए डाउन टू अर्थ पत्रिका ने 26 अगस्त 2025 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, सभी नमूनों में फ्लोराइड की मात्रा, चाहे पानी शुद्ध किया गया हो या नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की सुरक्षित सीमा के भीतर थी। सीपीसीबी ने यह भी कहा है कि जल गुणवत्ता से जुड़े अन्य मापदंडों का विश्लेषण जारी है, जिनकी जानकारी अंतिम रिपोर्ट में दी जाएगी।

सीपीसीबी, शिलॉन्ग की एक टीम ने 4 से 5 नवंबर 2025 के बीच तवांग में प्रारंभिक सर्वेक्षण किया। टीम ने ऊंचाई वाली झीलों, नदियों और झरनों से पानी के नमूने एकत्र किए। अध्ययन में पाया गया कि अरुणाचल प्रदेश का लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और रक्षा संस्थानों जैसे सशस्त्र सीमा बल और भारतीय सेना को शुद्ध पानी की आपूर्ति करता है।

लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के पास वाटर ट्रीटमेंट प्रणाली है, जो तवांग में घरों, व्यावसायिक स्थानों और अन्य संस्थानों को आपूर्ति करने से पहले झरनों के पानी को शुद्ध करती है। फ्लोराइड की मात्रा जांचने के लिए बिना ट्रीट किए पानी (कच्चा पानी) को भी नमूने के रूप में लिया गया।

सांगेसर झील (माधुरी झील) पर मौजूद सेना के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि भारतीय सेना ने अपने ठिकानों के लिए अलग वाटर ट्रीटमेंट और आपूर्ति प्रणाली स्थापित की है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से सीपीसीबी की टीम सेना के वाटर ट्रीटमेंट संयंत्र का निरीक्षण नहीं कर सकी।

रिपोर्ट में पाया गया कि झीलों और अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा 0.045 से 0.391 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच है। वहीं शुद्ध किए गए पानी में यह मात्रा और कम, यानी 0.019 से 0.128 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच पाई गई।

यह मामला अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के पानी में फ्लोराइड की अधिकता से जुड़ा है। विभिन्न अध्ययनों में बताया गया था कि यहां फ्लोराइड का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक है।

पिछली रिपोर्टों में क्या कुछ आया था सामने

गौरतलब है कि 2022 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तेजपुर के वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र की नदियों और ऊंचाई वाली झीलों से लिए पानी के नमूनों में फ्लोराइड का स्तर 21.86 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मिला था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा (1.5 मिलीग्राम/लीटर) से कई गुणा अधिक है।

इसके बाद 2024 में नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ईटानगर के शोधकर्ताओं ने भी अध्ययन किया। इसमें प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांगेसर (माधुरी) झील में फ्लोराइड का स्तर 7.11 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया, जो डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित सीमा से चार गुणा अधिक है। इन रिपोर्टों के आधार पर यह चिंता जताई गई थी कि तवांग का पानी गंभीर रूप से प्रदूषित है।

सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में इन चिंताओं को काफी हद तक खारिज कर दिया है। बोर्ड ने कहा है कि अन्य जल गुणवत्ता मापदंडों की जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट जल्द ही जारी की जाएगी।