जल

कोविड-19 महामारी से कैसे बचेगा ग्रामीण भारत?

चूंकि ज्यादातर ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन नहीं हैं, तो ग्रामीण कोरोनावायरस संक्रमण से कैसे बच पाएंगे

Sushmita Sengupta

क्या ग्रामीण भारत नोवल कोरोनावायरस बीमारी (कोविड-19) से लड़ने के लिए तैयार है? आज हमें मालूम है कि कोविड-19 से खुद को सुरक्षित रखने का सबसे आसान तरीका है कि बार-बार पानी से हाथ धोया जाए।

लेकिन ग्रामीण भारत के कितने घरों में चालू घरेलू नल कनेक्शन है? फिलहाल 17,86,71,105 परिवारों में से 77 फीसद घरेलू कनेक्शन मिलने के इंतजार में हैं। निश्चित रूप से यह पर्याप्त नहीं है।

महामारी ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जिनके सभी जिले ग्रामीण हैं। जहां तक कोविड-19 मरीजों की संख्या का सवाल है, इस समय दिल्ली भारत में सबसे ज्यादा मरीजों वाला चौथा राज्य है। लेकिन यहां ग्रामीण जिले नहीं हैं।

सार्स-कोविड-2 वायरस से खुद को बचाने के लिए ग्रामीण कम से कम अपने हाथ तो धो ही सकते हैं। ऊपर वर्णित राज्यों में गुजरात को छोड़कर बाकी में घरेलू नल कनेक्शन 50 प्रतिशत से भी कम है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग की वेबसाइट पर  20 मई 2020 को उपबल्ध आंकड़ों के अनुसार इस पश्चिमी राज्य में 80 फीसद से अधिक घरेलू नल कनेक्शन हैं।

मई 2020 घरेलू नल कनेक्शन

स्रोत: MIS, DDWS (20 मई, 2020 को उपलब्ध आंकड़े)

पड़ोसी महाराष्ट्र राज्य (महामारी से सबसे अधिक प्रभावित) के अधिकतम कोविड-19 मामलों को लेकर शीर्ष तीन जिलों में शामिल पुणे और ठाणे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 50 फीसद घरेलू नल कनेक्शन भी नहीं हैं। पुणे और ठाणे में क्रमशः 49.57 और 46.25 फीसद घरेलू नल कनेक्शन हैं।

कोविड ​-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में औसतन घरेलू नल कनेक्शन की स्थिति में प्रति माह 1.5 फीसद की दर से सुधार हुआ है। तमिलनाडु इसका अपवाद है, जहां पिछले एक महीने में कोई सुधार नहीं दिखा है।

ज्यादा प्रभावित राज्यों में कब पूरी तरह चालू होंगे घरेलू नल?

राज्य

मई 2020 में कितने (फीसद) घरों में नल कनेक्शन नहीं था

अप्रैल से मई 2020 के दौरान घरों में कनेक्शन में सुधार (फीसद में)

घरों में नल कनेक्शन देने में लगने वाला समय (महीने में)

महाराष्ट्र

58.22

3.34

17

तमिलनाडु

70.26

0

तय नहीं

गुजरात

19.96

1.58

13

राजस्थान

87.3

0.32

273

मध्य प्रदेश

85.63

2.19

39

स्रोत: MIS, DDWS (20 मई, 2020 को उपलब्ध आंकड़े)

सिविल इंजीनियर तर्क दे सकते हैं कि निर्माण की दर समान नहीं हो सकती है। यह निर्माण की प्रगति के साथ तेज हो सकती है और हम जल्द लक्ष्य हासिल कर लेंगे। तब तो यह अच्छी खबर है।

घरों में पानी की आपूर्ति करने वाले ज्यादातर स्रोतों की संख्या भूजल पर निर्भर करती है। इसलिए, स्रोत की निरंतरता भी इतनी ही महत्वपूर्ण है।

पेयजल और स्वच्छता विभाग के अनुसार हाल ही में शुरू किया गया जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की एक अग्रणी योजना है, जिसके तहत सिर्फ सभी को चालू घरेलू नल कनेक्शन दिया जाना है, बल्कि स्थानीय जल संसाधनों के समग्र प्रबंधन को बढ़ावा देना है।

इस योजना के तहत में पानी के दोबारा इस्तेमाल के उपायों को अनिवार्य बनाया गया है।

इसलिए, ग्रामीण भारत को महामारी से बचाने के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के माध्यम से घरेलू नल कनेक्शनों के निर्माण के साथ-साथ युद्धस्तर पर काम करते हुए जल स्रोतों की निरंतरता सुनिश्चित करनी होगी।

वास्तव में, पुणे जिले के कुछ ब्लॉकों ने जल शक्ति अभियान (जेएसए) के तहत पहले से ही निजी जमीन पर वर्षा जल पुनर्भरण संरचनाएं (रेनवाटर रीचार्ज स्ट्रक्चर) बनाना शुरू कर दिया है।

मनरेगा के तहत किए गए जेएसए कार्य

क्रमांक

ब्लॉक

पंचायत

काम की शुरुआत

काम की स्थित

कार्य का स्वरूप

एजेंसी

अनुमोदित राशि (लाख रुपये)

1

पुरंधर

गुरोली

2020-2021

जारी

निजी सोक पिट का निर्माण

ग्राम पंचायत

0.0257

2

पुरंधर

उदाचीवाडी

2020-2021

जारी

निजी सोक पिट का निर्माण

ग्राम पंचायत

0.0257

3

पुरंधर

वनपुरी

2020-2021

जारी

निजी सोक पिट का निर्माण

ग्राम पंचायत

0.0257

4

पुरंधर

वाघापुर

2020-2021

जारी

निजी सोक पिट का निर्माण

ग्राम पंचायत

0.0257

स्रोतः मनरेगा