जल

बजट 2020-21: लोगों तक साफ पानी पहुंचाने पर होगा फोकस, विशेषज्ञों को उम्मीद

सरकार ने नल से जल और अटल भूजल योजना की शुरुआत की है, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सरकार इनका आवंटन बढ़ा सकती है

Shagun

1 फरवरी 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब आम बजट 2020-21 पेश करेंगी तो पूरी संभावना है कि पानी पर उनका खास फोकस होगा। खासकर जल सुरक्षा उनके बजट का अहम हिस्सा हो सकता है।

देश में जल संकट से निपटने के लिए पिछले कुछ महीनों में 'नल से जल' और 'अटल भूजल योजना' जैसी योजनाएं शुरू की गईं। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सरकार इन योजनाओं के लिए धन आवंटित करेगी और इस लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना के बारे में स्पष्ट रास्ता बताएगी। 

पुणे स्थित एडवांस सेंटर फॉर वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट (एसीडब्ल्यूएडीएएम) के कार्यकारी निदेशक और सचिव हिमांशु कुलकर्णी ने कहा कि सरकार को जल से संबंधित योजनाओं का फंड एक ही कार्यक्रम में नहीं मिलाना चाहिए। अगर ऐसा किया भी जाता है, तो भी कार्यक्रम के अलग-अलग घटकों को परिभाषित किया जाना चाहिए ताकि जल प्रबंधन और प्रशासनिक घटकों को आपस में जोड़ा जा सके, जिसमें कृषि, उद्योग और शहरों की पानी की जरूरतों को भी शामिल हों।

कुलकर्णी ने कहा कि सभी के लिए नल से जल यानी पाइप के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करना है या बल्क आपूर्ति की जानी है तो बेहतर प्रबंधन से ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

वह कहते हैं,“जब हम हर घर तक साफ पानी पहुंचाने की बात करते हैं, तो कृषि, उद्योगों और शहरी माँगों की बड़ी आवश्यकताओं की तुलना पीने के पानी की मांग कम जरूर होती है, लेकिन वह ज्यादा संवेदनशील है। इसलिए हमें बल्क आपूर्ति का प्रबंधन बेहतर करने की जरूरत है, ताकि लोगों को पीने का पानी पहुंचाया जा सकता है। बल्क आपूर्ति से आशय कृषि, उद्योगों और शहरी क्षेत्र के लिए पानी की मांग से है।

सरकार ने हाल ही में अटल भूजल योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन में सुधार करना है। इस योजना में एक प्रावधान है जिसके तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को अधिक धन आवंटित किया जाएगा।

कुलकर्णी कहते हैं कि भारत में पहली बार विशेष रूप से भूजल पर केंद्रित अटल भूजल योजना शुरू हुई है। अब तक भूजल से जुड़े कई कार्यक्रम थे, लेकिन सब अप्रत्यक्ष तौर पर भूजल प्रबंधन की बात करते थे। वो या तो रिचार्ज, वाटरशेड, या बड़े पैमाने पर सिंचाई कार्यक्रम थे, लेकिन वे सीधे-सीधे भूजल की बात नहीं करते थे, जैसा कि, अटल भूजल योजना में की गई है। यह पहली बार है जब देश के पास अपना भूजल के लिए समर्पित कार्यक्रम है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इसे किस तरह आगे बढ़ाया जाएगा।

कुलकर्णी ने कहा कि अटल भूजल कार्यक्रम को भागीदारी, साझेदारी और सहयोग से आगे बढ़ाना चाहिए। अगर इस कार्यक्रम को केवल अभियान और सामुदायिक लामबंदी के माध्यम से पूरा करने की कोशिश की गई तो इसके सफल होने के चांस कम हैं।

पिछले बजट सत्र में केंद्रीय जल मंत्रालय के आवंटन में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

विशेषज्ञों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नमामि गंगे परियोजना के तहत पर्याप्त धन आवंटित किया जाएगा, लेकिन केवल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए नहीं।

पानी और ऊर्जा नीतियों पर अध्ययन करने वाली पुणे की संस्था मंथन अध्धयन केंद्र के समन्वयक श्रीपाद धर्माधिकारी ने कहा कि एसटीपी भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अन्य मूलभूत एजेंडों के लिए भी धन होना चाहिए। जैसे कि, गंगा के पारिस्थितिक प्रवाह को कैसे बनाए रखा जाए, इस पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए अधिक से अधिक अध्ययनों की आवश्यकता हो सकती है या प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए और भी कई परियोजनाओं की जरूरत हो सकती है।