फाइल फोटो:  फोटो सौजन्य: पी विष्णु
जल

मनरेगा में संशोधन: जल संकट ग्रसित क्षेत्रों में जल संरक्षण पर होगा अधिक खर्च

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर जल संसाधनों पर मनरेगा की राशि तय श्रेणी के मुताबिक खर्च करना अनिवार्य कर दिया है

Raju Sajwan

  • केंद्र सरकार ने मनरेगा में संशोधन करते हुए जल संकट ग्रसित क्षेत्रों में जल संरक्षण पर अधिक खर्च की योजना बनाई है

  • अब 'डार्क जोन' जिलों में 65 प्रतिशत, 'अर्ध-गंभीर' जिलों में 40 प्रतिशत और अन्य जिलों में 30 प्रतिशत राशि जल संरक्षण कार्यों पर खर्च होगी

  • यह कदम जल स्तर बढ़ाने और जल प्रबंधन को दीर्घकालिक रूप से सुधारने के लिए उठाया गया है

केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में संशोधन किया है। अब ‘अति जल संकट ग्रसित’ वाले इलाकों में मनरेगा की 65 प्रतिशत राशि जल संरक्षण वाले कार्यों पर खर्च होगी। इसके कम जल संकट ग्रसित इलाकों में 40 प्रतिशत मनरेगा की राशि जल संरक्षण के कार्यों में लगाई जाएगी और जहां जल संकट नहीं है वहां कम से कम 30 प्रतिशत  राशि जल संकट से जुड़े कार्यों में खर्च होगी।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 23 सितंबर 2025 को जारी एक अधिसूचना में मनरेगा की अनुसूची-1 के पैरा 4(2) में संशोधन करके जल संबंधी कार्यों पर न्यूनतम व्यय को अनिवार्य कर दिया है। इस अधिसूचना में कहा गया है, “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 की अनुसूची-I के अनुच्छेद 4 के उप-अनुच्छेद (2) में उपबंध के बाद निम्नलिखित उपबंध जोड़ा जाएगा, अर्थात्:- यह उपबंधित किया जाता है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा उपलब्ध गतिशील भूजल संसाधन मूल्यांकन रिपोर्ट में अत्यधिक दोहन, गंभीर, अर्ध-गंभीर तथा सुरक्षित के रूप में वर्गीकृत आकलन इकाइयां (ब्लॉक) हस्तक्षेप के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र माने जाएंगे और जिला कार्यक्रम समन्वयक अथवा कार्यक्रम अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित आकलन इकाइयों (ब्लॉकों) में किए जाने वाले कार्यों में लागत के आधार पर न्यूनतम प्रतिशत कार्य जल संरक्षण, जल संचयन तथा अन्य जल-संबंधी कार्यों पर किए जाएं।”

इस अधिसूचना के मुताबिक अब ‘डार्क ज़ोन’ (अत्यधिक भूजल दोहन वाले) जिलों के लिए वर्षा जल संचयन पर न्यूनतम 65 प्रतिशत, ‘अर्ध-गंभीर’ जिलों के लिए 40 प्रतिशत, और अन्य जिलों के लिए 30 प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य कर दिया गया है। 

यह व्यवस्था महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की अनुसूची-1 के पैरा 4(2) में संशोधन करके लागू की गई है, जिसमें पहले ग्राम पंचायत को स्थानीय संसाधनों, क्षेत्र की संभावनाओं और आवश्यकताओं के आधार पर कार्यों की प्राथमिकता तय करने की अनुमति थी। मनरेगा की अनूसूची 1 के पैरा 4(2) में लिखा गया था, “कार्यक्रमों की प्राथमिकता का निर्धारण प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सभा की बैठकों में किया जाएगा, जिसमें स्थानीय क्षेत्र की संभावनाओं, उसकी आवश्यकताओं, स्थानीय संसाधनों और अनुच्छेद 9 के प्रावधानों को ध्यान में रखा जाएगा। [बशर्ते कि जिला कार्यक्रम समन्वयक यह सुनिश्चित करेगा कि जिले में लिए जाने वाले कार्यों में से कम से कम 60 प्रतिशत कार्य (लागत के आधार पर) ऐसे उत्पादक परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए हों जो सीधे कृषि और संबद्ध गतिविधियों से जुड़े हों, जिनमें भूमि, जल और वृक्षों का विकास शामिल है।

25 सितंबर 2025 को एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज चौहान ने कहा, “अब संपूर्ण देश में मनरेगा की राशि जल संरक्षण के कार्यों में प्राथमिकता के साथ खर्च होगी और इससे भू जल स्तर बढ़ाने और जल संरक्षण अभियान को गति मिलेगी। यह नीतिगत आवंटन यह सुनिश्चित करेगा कि संसाधन उन क्षेत्रों में पहुंचाए जाएं, जहां उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है, प्रतिक्रियात्मक उपायों से हटकर पूर्व-निवारक, दीर्घकालिक जल प्रबंधन की ओर कदम बढ़ाए जाएंगे।