“अर्जुन का अगला तीर ऑफ स्टंप की ओर से सीधे भीष्म पितामह की तरफ... भीष्म पितामह ने झुककर तीर को जाने दिया... कोई रन नहीं, कोई हताहत नहीं... कुरुक्षेत्र की रन भूमि से आप सुन रहे हैं युद्ध का सीधा प्रसारण। अब हम लेंगे एक छोटा-सा ब्रेक” कहकर संजय ने एक बीड़ी जला ली।
बैकग्राउंड में गाना बजने लगा, “ बीड़ी जलई ले, जिगर से पिया/ जिगर मा बड़ी आग है।”
धूम तिड़क धूम/ धूम तिड़क धूम/ धूम तिड़क!
राजा धृतराष्ट्र बोले, “संजय! पिछले कई दिनों से केवल युद्ध का आंखों देखा हाल सुनते-सुनते पक गया हूं... “शाम-ए-गम कुछ उस निगाहे नाज की बातें करो, बेखुदी बढ़ती चली है राज की बातें करो।”
इससे पहले कि धृतराष्ट्र कुछ और बोलते संजय ने सर्फिंग शुरू कर दी और आखिरकार एक ऐसे विश्वविद्यालय के सामने जाकर रुके जो अपने शॉपिंग माल और ऊंची फीस के लिए काफी लोकप्रिय था।
“प्रभु यहां तो कुछ खास होता दिखा रहा है। एक बड़े से मंच पर लोग आते जा रहे हैं और कुछ पेपर पढ़कर चले जा रहे हैं” संजय बोले “थोड़ा कैमरा जूम इन करता हूं।”
“प्रभु! आंध्र विश्विद्यालय के उप-कुलपति डॉ. नागेश्वर राव का कहना है कि आपके सौ बेटे किसी टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक का नतीजा हैं...और ...और” संजय ने डरते हुए कहा। संजय को लगा था कि इतना सुनते ही राजा धृतराष्ट्र उसका सर कलम कर देंगे पर यह देखकर संजय को बड़ी हैरानी हुई कि धृतराष्ट्र तो हंस रहे थे।
“रुक क्यों गए? बजाओ! मेरा मतलब है बताओ संजय वह और क्या कह रहे हैं?”
“प्रभु, प्रोफेसर राव कह रहे हैं कि पहले सौ अंड को निषेचित किया गया और उसके बाद उन्हें सौ घड़ों में रख दिया गया था जिससे आपको सौ पुत्रों की प्राप्ति हुई। प्रभु राव कह रहे हैं कि रावण के पास कुल 24 अलग-अलग किस्म के विमान थे जिन्हें वह समय-समय पर उड़ाया करता था।”
“इतने देर में तुम सही चैनल पर ठहरे हो संजय!” धृतराष्ट्र ने ठहाका लगाते हुए कहा।
“प्रभु राव कह रहे हैं कि राम के पास गाइडेड मिसाइल थी जो अपने लक्ष्य पर वार कर फिर से राम के पास लौट आती थीं। तमिलनाडु के प्रोफेसर कन्नन कृष्णन दावा कर रहे हैं कि आइन्सटीन की थिओरी ऑफ रिलेटिविटी और न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम निहायत ही बकवास है क्योंकि न्यूटन और आइन्सटीन को भौतिक विज्ञान के बारे में कुछ भी नहीं पता था। वह कह रहे हैं कि जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ग्रेवीटेशनल वेव का नाम मोदी-वेव रख दिया जाएगा।”
इतना कहकर संजय एक एड ब्रेक के लिए रुके। अचानक उन्होंने देखा कि धृतराष्ट्र हंसते-हंसते लोटपोट हुए जा रहे हैं। किसी तरह उन्होंने अपनी हंसी रोककर पूछा,
“यह मजेदार चैनल कौन-सा है संजय?”
“ प्रभु यह इंडियन साइंस कांग्रेस का अधिवेशन है” संजय बोले।
“मैं तो जन्मजात अंधा हूं और गांधारी ने प्रेम के चलते आंखों पर पट्टी बांध रखी है, पर इस युग के प्रोफेसरों ने अपनी आंखों पर चापलूसी की पट्टी बांध ली… है। कालांतर में इस युग को अम्बुद्वीप के अंधायुग के नाम से जाना जाएगा। आमीन!”
“सुम्मा आमीन!” संजय बोले और जल्दी से चैनल बदलकर पुनः कुरुक्षेत्र वापस आ गए।