मन्नार की खाड़ी में तेजी से पनपते समुद्री स्पंज के कारण वहां स्थित प्रवाल कॉलोनियों के नष्ट होने का खतरा बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में एक मीटर गहराई पर टरपिओज होशिनोटा स्पंज के तेजी से बढ़ने की पुष्टि की और पाया कि इस स्पंज ने लगभग पांच प्रतिशत मोंटीपोरा डाइवेरीकाटा को नष्ट कर दिया है।
तूतीकोरिन स्थित सुगंती देवदासन समुद्री अनुसंधान संस्थान और अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के वैज्ञानिकों द्वारा मन्नार की खाड़ी में समुद्र के भीतर लंबे समय से की जा रही निगरानी एवं सर्वेक्षण से यह बात उभरकर आई है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मन्नार की खाड़ी के वान आइलैंड में समुद्री स्पंज प्रजाति टरपिओज होशिनोटा बड़ी मात्रा में पनप रही है, जो वहां मौजूद प्रवाल भित्तियों (मूंगे की चट्टानों) के लिए घातक हो सकती है।
मन्नार की खाड़ी में वान आइलैंड क्षेत्र में जीवित प्रवालों का विस्तार लगभग 85.13 प्रतिशत है। यहां सबसे अधिक 79.97 प्रतिशत मोंटीपोरा डाइवेरीकाटा समेत अन्य जीवित प्रवाल, जैसे- एक्रोपोरा, टरबीनेरिया, पोराइट्स, फेविया, फेवाइटिस, गोनाएस्ट्रिया और प्लेटीगायरा आदि पाए जाते हैं।
भारत के दक्षिण-पूर्व में स्थित मन्नार खाड़ी उच्च विविधता और उत्पादकता वाले प्रवालों के लिए प्रसिद्ध है। स्पंज एक अमेरूदण्डी, पोरीफेरा संघ का समुद्री जीव है, जो जन्तु कालोनी बनाकर अपने आधार से चिपके रहते हैं। यह एकमात्र ऐसे जन्तु हैं, जो चल नहीं सकते हैं। ये लाल एवं हरे आदि कई रंगों के होते हैं।
समुद्री स्पंज प्रवाल भित्ति पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग होते हैं। आमतौर पर मृत प्रवाल भित्तियों पर बड़ी संख्या में स्पंज प्रजातियां पाई जाती हैं। वहीं, जीवित प्रवालों पर आश्रित कुछ स्पंज प्रजातियां प्रवाल को मार देती हैं।
अध्ययन में शामिल वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के. दिराविया राज ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “वर्ष 2004 से मन्नार की खाड़ी में 21 द्वीपों की प्रवाल भित्तियों का नियमित निरीक्षण कर रहे हैं, पर पहली बार यहां टरपिओज होशिनोटा की उपस्थिति दर्ज की गई है, जो एक खतरनाक स्पंज प्रजाति है। स्पंज की यह प्रजाति संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रशासनिक अधिकार में आने वाले गुआम द्वीप के प्रवालों में पाई गई थी। इस कारण वहां अब तक 30 प्रतिशत प्रवाल नष्ट हो चुके हैं।”
जापान, ताइवान, अमेरिकी समोआ, फिलीपींस, थाईलैंड, ग्रेट बैरियर रीफ, इंडोनेशिया और मालदीव में भी इस स्पंज के मिलने की पुष्टि हुई है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार इस बात की अत्यधिक संभावना है कि पाल्क खाड़ी और वान द्वीप के बीच स्थित मन्नार की खाड़ी के अन्य द्वीप भी टरपिओज होशिनोटा से प्रभावित हो सकते हैं।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार विरंजन, रोगों, अंधाधुंध मछली पकड़ने और प्रदूषण के कारण मन्नार की खाड़ी के प्रवाल भित्तियों को पहले ही काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसके साथ-साथ टरपिओज होशिनोटा का प्रवालों पर आक्रमण किसी बड़े खतरे का स्पष्ट संकेत हो सकता है।
सबसे अधिक चिंता का विषय उन मछुआरों के लिए है, जो अपनी आजीविका के लिए प्रवाल भित्तियों पर सीधे निर्भर हैं। अतः मन्नार की खाड़ी की प्रवाल भित्तियों के संरक्षण के लिए तत्काल उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, जिससे प्रवाल पारिस्थितिकी एवं इन पर आश्रित लोगों की आजीविका की रक्षा की जा सके।
डॉ. के. दिराविया राज के अनुसार “टरपिओज होशिनोटा के आक्रमण की सीमा और जीवित प्रवाल कॉलोनियों पर इसकी वृद्धि दर का निर्धारण करने के लिए आगे और भी अधिक गहन अध्ययन की आवश्यकता है।” अध्ययनकर्ताओं की टीम में डॉ. के. दिराविया राज के अलावा एम. सेल्वा भारत, जी. मैथ्यूज़, जे.के. पेटर्सन एडवर्ड और यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के ग्रेटा एस ऐबी भी शामिल थे। यह शोध हाल में करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
(इंडिया साइंस वायर)