विज्ञान

मंगल ग्रह पर सही सलामत उतरा दुनिया का पहला हेलीकॉप्टर, इस खतरनाक वातावरण में लगाना होगा चक्कर

नासा की सतह पर पहली बार कोई हेलीकॉप्टर उतरा है। यह जल्द ही मंगल के एक बेहद खतरनाक वातावरण में चक्कर लगाने की कोशिश करेगा।

Vivek Mishra

आप - 60 डिग्री सेल्सियस बेहद ठंडी, सूखी और एक बेजान झील में पहुंच गए हैं, जहां आपका वजन घटकर एक तिहाई हो गया है। आपका रक्त जमने लगा है, धमनियां ठंडी पड़ने लगी हैं। ऑक्सीजन नदारद है और कॉर्बन डाई ऑक्साइड ने आपका दम घोंट दिया है। अचानक लाल धूल की भयानक आंधी के गुबार में आप कहीं अंधकार में गुम हो गए। यह पल भर का स्वप्न जरूर था लेकिन ऐसा वातावरण पृथ्वी से करीब 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह का है। 

मंगल ग्रह पर अभी इंसानों का होना हकीकत नहीं है। शायद 2031 तक यह भी संभव हो जाए। इस उम्मीद के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोवर पर्सिवियरेंस ने भी मंगल की सतह पर दस्तक दी है। और पहली ही बार मंगल ग्रह की सतह पर कोई हेलीकॉप्टर भी उतरा गया है। जो अगले हफ्ते तक ऐसे वातावरण में चक्कर लगाने की कोशिश करेगा। मदरशिप के जरिए यह हेलीकॉप्टर फिलहाल सतह पर सही सलामत उतर गया है। 

इस हेलीकॉप्टर का नाम हैे इंजीन्यूटी। नासा की मिमी ऑन्ग बताती हैं "हम छह वर्षों से इस हेलीकॉप्टर की डिजाईन और तकनीकी पर काम कर रहे थे ताकि वह मंगल के वातावरण में काम कर सके। अब हम खुश हैं कि हमने जिस काम के लिए उसे तैयार किया है वह अपनी जगह पर पहुंच चुका है।"

इस 1.8 किलोग्राम हेलीकॉप्टर में प्रोटेक्टिव कॉर्बन शील्ड है जो उसे वातावरण में टिकने में मदद देगा। मिमी ऑन्ग के मुताबिक हम देखना चाहते हैं कि क्या हम मंगल ग्रह पर भी उड़ान भर सकते हैं। ऐसा हुआ तो हमें मंगल ग्रह को समझने में काफी मदद मिलेगी। 

मंगल और पृथ्वी ग्रह के वातावरण में गैसों के प्रतिशत में बहुत फर्क है। आयतन में सिर्फ एक फीसदी का ही अंतर है। 96 फीसदी कॉर्बन डाई ऑक्साइड वाले वातावरण में इंजीन्यूटी का चक्कर लगाना एक रोमांचकारी घटना होगी। 

नासा का पर्सिवियरेंस रोवर बेहत क्षमतावान और ताकतवर बनाया गया है। नासा के मुताबिक यह रोवर मंगल पर सिर्फ पुरातन सूक्ष्मजीव के संसार का पता ही नहीं लगाएगा बल्कि मंगल ग्रह के भू-विज्ञान और पुराने जलवायु की जानकारी भी जुटाएगा।

इस रोवर में एक ड्रिल है जो मंगल की सतह से चट्टानी टुकड़ों और वहां की मिश्रित धूल (रोलगिथ) को एकत्र करके उसे सील करके सुरक्षित रखेगा। अभी तक की रणनीति यह है कि नासा यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के साथ मिलकर मंगल सैंपल रिटर्न मिशन के तहत वापस धरती पर लाया जाएगा और उस सैंपल को उच्च प्रयोगशालाओं में अध्ययन कर मंगल पर जीवन से जुड़े सवालों के हल निकाले जाएंगे। हालांकिअभी इन नमूनों की वापसी का कोई निर्णायक रोडमैप नहीं है। 

रोवर का सबसे बड़ा काम मंगल की सतह पर कॉर्बन डाई ऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलना भी होगा  ताकि लाल ग्रह पर मानवों के पहुंचने का रास्ता साफ हो सके।

लेकिन क्या यह संभव है कि मंगल के वातावरण में फैले सीओटू को हम ऑक्सीजन में तब्दील कर पाएंगे...पढ़िए अगली कड़ी