नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार इंजीनियरों ने एक ऐसी नई प्रणाली विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो बिना बिजली की खपत के भीड़ भरे शहरों में इमारतों को ठंडा रखने में सक्षम है। यह एक नयी परिकल्पना है, जो उन शहरों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जो कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तेजी से कार्यरत हैं।
इस प्रणाली में पॉलीमर अथवा एल्यूमीनियम फिल्म का प्रयोग किया जाता है। जिसे एक विशेष रूप से डिजाइन किए गए बॉक्स 'सोलर शेल्टर' के अंदर तल पर लगाया जाता है। यह फिल्म बॉक्स के अंदर हवा में से गर्मी को अवशोषित करके उसे ऊर्जा के रूप में पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से बाहरी अंतरिक्ष में भेज देती है। जिससे इस बॉक्स को ठंडा रखने में मदद मिलती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेस में पीएचडी उम्मीदवार और प्रमुख लेखक लियु झोउ ने बताया कि "पॉलिमर थर्मल रेडिएशन के माध्यम से गर्मी को रोकता है और वातावरण को ठंडा करता है। इसे रेडियेटिव या पैसिव कूलिंग कहा जाता है, और इसमें सबसे दिलचस्प यह है की यह प्रणाली इस काम के लिए किसी प्रकार की बिजली का उपभोग नहीं करती। न ही इसे कूलिंग के लिए बैटरी या अन्य किसी बिजली के स्रोत की आवश्यकता होती है"।
इस खोज के प्रमुख शोधकर्ता किआओकियांग गन जो की यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो के स्कूल ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं, उनका कहना है कि "हमारे सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसमें आवश्यकता के अनुसार थर्मल एमिशन को आसमान में भेज सकने की क्षमता है। आम तौर पर, थर्मल एमिशन सभी दिशाओं में यात्रा करता है। लेकिन हमने एमिशन को एक बीम (किरण) के रूप में एक संकीर्ण दिशा में भेजने का तरीका ढूंढ लिया है। जो कि इस प्रणाली को शहरी वातावरण में अधिक प्रभावी बनता है, जहां सभी तरफ ऊंची इमारतें होती हैं। इसके लिए हमने बहुत कम लागत पर व्यावसायिक रूप से उपलब्ध सामग्री का प्रयोग किया है जो की बहुत कारगर साबित हुई है” ।
दिन की गर्मी और भीड़ भरे वातावरण में भी कारगर है यह प्रणाली
ठंडा करने वाली इस नयी पैसिव प्रणाली ने एक बड़ी समस्या को हल करने में सफलता प्राप्त की है । उसने यह दिखाया है की दिन के समय भीड़ भरे शहरी क्षेत्रों में रेडिएशन पर आधारित प्रणाली कैसे काम कर सकती है ।
एक अन्य शोधकर्ता होमिन सांग ने बताया कि "रात के रेडिएटिव कूलिंग आसान होता है क्योंकि उस समय सूरज नहीं होता, इसलिए थर्मल एमिशन बस बाहर जाता है जिससे हमें रेडिएटिव कूलिंग आसानी से महसूस होता है। लेकिन दिन के समय कूलिंग एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इस समय सूरज चमक रहा होता है। इस स्थिति में छत को गर्म होने से बचाने के लिए समाधान खोजने की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही ऐसे पदार्थों को खोजने की भी आवश्यकता पड़ती है, जो सौर ऊर्जा को अवशोषित नहीं करते हैं। हमारी यह प्रणाली इन समस्याओं का समाधान करने में कारगर रूप से सक्षम है।"