विज्ञान

पेटेंट के क्षेत्र में चीन के दबदबे को चुनौती दे पाएगा भारत?

Latha Jishnu

नवंबर 2023 में भारत के लिए जश्न का समय था, जब “विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक 2023” (डब्ल्यूआईपीआई) रिपोर्ट जारी की गई। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा संकलित इस रिपोर्ट में भारत एक स्टार परफॉर्मर था। वैश्विक स्तर पर पेटेंट गतिविधियों की मैपिंग के लिए विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, 150 बौद्धिक संपदा दफ्तरों से आंकड़े जुटाता है। डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, साल 2020 में पेटेंट गतिविधि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई और इसको चीन‌ और भारत के निवासियों द्वारा पेटेंट दाखिल करने में उल्लेखनीय वृद्धि ने उत्प्रेरित किया।

इस तरह की खबरें हमेशा राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देती हैं और मीडिया इस पर अति उत्साहित होकर रिपोर्टिंग करता है। हालांकि, ये केवल आवेदनों के आंकड़े हैं, पेटेंट प्रदान करने के नहीं।

विशेष उल्लेख करते हुए डब्ल्यूआईपीओ ने बताया कि 2022 में भारत में पेटेंट आवेदनों में 31.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले 11 सालों में 10 शीर्ष देशों के मुकाबले बेजोड़ बढ़ोतरी रही है। जब आप अग्रणी समूह को देखेंगे तो यह एक बड़ी उपलब्धि प्रतीत होगी। चीन, अमेरिका, जापान, कोरिया गणराज्य और जर्मनी सबसे अधिक संख्या में पेटेंट फाइल करने वाले शीर्ष देश हैं और इसके बाद फ्रांस, भारत, यूके, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड आते हैं।

यह सब संदर्भ पर निर्भर करता है और कोई व्यक्ति बड़ी तस्वीर को कितना समझना चाहता है। कम आधार आंकड़े पर प्रतिशत में शानदार इजाफा संभव है, मगर तब नहीं, जब कोई पहले से ही दौड़ में बहुत आगे हो। चीन, दुनिया का सबसे ज्यादा पेटेंट रखने वाला देश है और वैश्विक स्तर पर जितना पेटेंट आवेदन फाइल होते हैं, उसका लगभग आधा पेटेंट आवेदन अकेले चीन फाइल करता है।

पिछले साल चीन ने 10.60 लाख आवेदन डाले, जो 3.1 प्रतिशत अधिक थे। वहीं, अमेरिका ने 5,05,539, जापान ने 4,05,361, कोरिया ने 272,315 और जर्मनी ने 1,55,896 आवेदन डाले। भारत ने पेटेंट के लिए 77,000 आवेदन डाले।

यदि आप भारत को शीर्ष 10 देशों के बरक्स देखते हैं, तो इसकी वृद्धि अधिक असरदार दिखाई देती है। डब्ल्यूआईपीओ ने कहा कि भारत ने लगातार 6 सालों तक वृद्धि दर्ज की है और 2022 में आवेदन फाइलिंग में 2005 के बाद सबसे ज्यादा तेज वृद्धि देखी गई। मगर, वैश्विक स्तर पर भी 2022 रिकॉर्ड तोड़ने वाला साल रहा। अन्वेषकों ने शानदार 34.6 लाख पेटेंट आवेदन डाले और कोविड-19 के बाद रिकवरी को मजबूत किया।

नरेंद्र मोदी सरकार ने पेटेंट गतिविधियों के जरिए बड़ा काम किया और भारतीय पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) को सुव्यवस्थित करने के लिए काम कर रही है। सरकार कुछ श्रेणियों में पेटेंट स्वीकृतियों में तेजी लाई है और दूसरों के लिए पेटेंटिंग फीस को कम कठिन बनाया है।

पेटेंट आवेदन को लेकर डब्ल्यूआईपीओ की रिपोर्ट के कुछ दिन बाद ही केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा की कि आईपीओ ने इस वित्त वर्ष 15 नवम्बर तक 41,010 पेटेंट देकर एक रिकाॅर्ड कायम किया है। प्रधानमंत्री मंत्री मोदी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह उपलब्धि उल्लेखनीय है और नवाचार-संचालित ज्ञान अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत की यात्रा में मील का पत्थर है।”

पेटेंट के ये आंकड़े क्या बताते हैं? क्या यह बताते हैं कि कोई समाज नवोन्वेषी है और ऐसी सफलताएं प्राप्त कर सकता है जो जीवन बदलने वाली हों? एक नजरिए के मुताबिक, जो प्रमुख नजरिया है, तकनीकी उन्नति नवाचार से करीब से जुड़ी हुई है और यही कारण है कि कई सबसे नव प्रवर्तनकारी देश तकनीकी रूप से उन्नति में भी शीर्ष पर हैं।

अगर पेटेंट प्रोफाइल को देखें तो, चीन निश्चित रूप से सभी अग्रणी क्षेत्रों में तकनीकी उन्नति में नेतृत्व कर रहा है, 5जी से लेकर 6जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तक में। मसलन, एआई पेटेंट के मामले में चीन का इतना प्रभाव है कि दूसरे देशों को बौना कर देता है। स्टैटिस्टा की तरफ से जारी पेटेंट धारकों की सूची में एक्टिव मशीन लर्निंग और एआई के मामले में सबसे ज्यादा पेटेंट 8 कंपनियों के पास थे, जिनमें से 5 कंपनियां चीन की थीं।

स्टैटिस्टा 170 उद्योगों के आंकड़े प्रकाशित करता है। ये आंकड़े चीन की निजी और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के अपने अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर फोकस और गहराई का स्पष्ट प्रतिबिंब हैं। स्टैटिस्टा के मुताबिक, दिसंबर 2022 तक बायडु, एआई पेटेंट परिवार का सबसे बड़ा मालिक था।

बायडु, चीन की एक बहुराष्ट्रीय तकनीक कंपनी है, जो इंटरनेट संबंधी सेवाओं, उत्पादों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विशेषज्ञता रखती है। दूसरे स्थान पर तकनीक और मनोरंजन की बड़ी कंपनी टेनसेंट थी, जिसके पास 13,187 सक्रिय पेटेंट थे।

भारत में इन दोनों के आकार और प्रभाव वाली कोई कंपनी नहीं है और न ही चीन की तरह भारत के राष्ट्रीय शोध संस्थानों में विज्ञान और तकनीक की संस्कृति है। इसी से पता चलता है कि वैश्विक दृश्य से भारत क्यों नदारद है।

इस सूची की सबसे आश्चर्यजनक विशेषता यह है कि कैसे चीन ने पेटेंट के क्षेत्र में अपना दबदबा बना लिया है। चीन के कॉर्पोरेट दिग्गजों से लेकर वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन तक अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में पेटेंट के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।

तीसरे स्थान पर सरकारी कंपनी स्टेट ग्रिड कारपोरेशन ऑफ चाइना है, जिसे स्टेट ग्रिड कहा जाता है। यह इलेक्ट्रिक यूटिलिटी कॉरपोरेशन है, जो 11 लाख लोगों तक बिजली पहुंचाता है और चीन के 88 प्रतिशत हिस्से में यह फैला हुआ है।

यह कंपनी विदेशों में भी संचालित हो रही है और इसकी संपत्तियां विदेशों में फिलीपींस से लेकर ब्राजील, आॅस्ट्रेलिया और इटली में हैं। लेकिन एक देश द्वारा एआई तकनीक पर कब्जा करने में कुछ और अनोखा है। चौथे स्थान पर चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए चीन की शीर्ष परामर्श कंपनी है।

सीएएस दुनिया का सबसे बड़ा रिसर्च नेटवर्क है, जिसके अधीन 100 अनुसंधान व विकास संस्थान, 3 विश्वविद्यालय और लगभग 69,000 वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् काम कर रहे हैं। यह बहुत प्रतिष्ठित संस्था है‌ और‌ इसे लगातार शीर्ष वैश्विक अनुसंधान संगठनों में स्थान दिया गया है।

एक अन्य मिसाल 5जी तकनीक है। हालांकि, केंद्र सरकार प्रायः कहती है कि हम प्रगति कर रहे हैं, पर सरकार के पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है।

वहीं, दूसरी तरफ, चीन इस मामले में बहुत आगे बढ़ चुका है और 6जी पेटेंट में अग्रणी है। निक्की एशिया की ताजा खबर है कि चीन की तरफ से एआई, बेस स्टेशनों, क्वांटम तकनीक और कम्युनिकेशन को लेकर 20,000 पेटेंट आवेदन दिए गए हैं।

भारत ऐसी कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करने की उम्मीद कैसे कर सकता है? हमारे पास वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) है, जिसके पास 37 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क और इतनी ही संख्या में आउटरीच सेंटर हैं, लेकिन कामयाबी हासिल करने की इसकी क्षमता संदिग्ध है। बहरहाल, भारत की पेटेंट फाइलिंग में बढ़ोतरी बदलती शोध संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है।