आपने अक्सर देखा होगा कि रात के समय पेड़ों की शाखाएं और पत्तियां नीचे की ओर झुक जाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह जानने का प्रयास किया है कि ऐसा क्यों होता है। देखा जाए तो पेड़-पौधे अपनी शाखाओं और पत्तियों में एक दैनिक पैटर्न में बदलाव करते हैं, जिसके कारण रात के समय यह नीचे की ओर झुक जाती हैं और लगता है की पेड़ सो रहे हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है यह अब तक स्पष्ट नहीं था।
वैज्ञानिकों द्वारा पेड़-पौधों की टेरेस्ट्रियल लेजर स्कैनिंग के आंकड़ों और उनके विश्लेषण से पता चला है कि पत्तियों और शाखाओं में पानी की स्थिति में आने वाले बदलाव के चलते यह नीचे की ओर झुक जाती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह कितना झुक सकती हैं यह पेड़-पौधों की प्रजाति पर निर्भर करता है। अनुमान है कि कुछ पेड़ों में यह झुकाव 20 सेंटीमीटर तक हो सकता है।
शोध से पता चला है कि रात के समय शाखाएं और पत्तियां अपने भीतर जल संग्रह करती हैं, जिनसे उनका वजन बढ़ जाता है और वो नीचे की ओर झुक जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जिस टेरेस्ट्रियल लेजर स्कैनिंग तकनीक का प्रयोग किया है वो एक रिमोट सेंसिंग तकनीक है। जो मिलीमीटर तक की सटीकता के साथ परिवेश का 3डी छायांकन कर सकती है।
कृषि के लिए मददगार हो सकती है जानकारी
इस तकनीक की मदद से बार-बार की गई माप से पर्यावरण में आए छोटे से छोटे संरचनात्मक बदलावों का अध्ययन करना संभव है। यही वजह है कि वैज्ञानिकों ने शाखाओं और पत्तियों की स्थिति में आने वाले बदलावों के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया है।
इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्टर्न फिनलैंड और शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता सामुली जुन्त्तिला का कहना है कि, "पेड़ की शाखाओं की स्थिति में आने वाले बदलावों की निगरानी करके हम यह जान सकते हैं कि पेड़ के अंदर पानी कैसे प्रवाहित होता है।
अनुमान है जिस तरह से जलवायु में बदलाव आ रहा है उसके चलते पानी की उपलब्धता गिर सकती है, जिससे पौधों में तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में पेड़ों के स्वास्थ्य में आने वाले बदलावों को जानने के लिए इनके भीतर प्रवाहित होते पानी को समझना महत्वपूर्ण हो सकता है।
प्रयोगशाला में किए अध्ययन में शोधकर्ताओं को पता चला है कि लम्बी अवधि के दौरान भी शाखाओं की स्थिति में आया बदलाव पेड़ में पानी की स्थिति पर निर्भर करता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इन निष्कर्षों को वास्तविकता में भी उपयोग किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए सिंचाई के लिए ग्रीनहाउस में लेजर स्कैनिंग की मदद से पौधों में पानी की स्थिति की जानकारी ली जा सकती है। इसकी मदद से सिंचाई व्यवस्था को स्वचालित किया जा सकता है जो पानी की बचत में भी मददगार होगा। ऐसे में यह जानकारी कृषि के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
फिनिश भू-स्थानिक अनुसंधान संस्थान और हेलसिंकी विश्वविद्यालय के सहयोग से ईस्टर्न फिनलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा किया यह अध्ययन जर्नल फोरेस्ट्स में प्रकाशित हुआ है।