विज्ञान

तेजी से गायब हो रहा है मंगल ग्रह से पानी: अध्ययन

एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने खुलासा किया है कि मंगल ग्रह में पानी की मात्रा बड़ी तेजी से कम होती जा रही है

Dayanidhi

पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में छोटे लाल ग्रह यानी मंगल ग्रह से पानी अधिक तेजी से घट रहा है। एक अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने खुलासा किया है कि मंगल ग्रह के वातावरण (मार्टियन वायुमंडल) से करीब 80 किमी से अधिक की ऊंचाई पर जल वाष्प जितना सोचा नहीं गया था, उससे अधिक अनुपात में जमा हो रहा है। मौसमी परिवर्तनों के दौरान पानी के वाष्प में तेजी से बदलने के कारण मंगल से पानी समाप्त हो सकता है।

ग्रहों के क्रम में मंगल, सूर्य से चौथा ग्रह है और सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है। मंगल को "लाल ग्रह" के रूप में जाना जाता है।

मंगल के ऊपरी वातावरण से पानी (एच2ओ) धीरे-धीरे गायब हो रहा है। सूर्य का प्रकाश और रसायन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं में से पानी के अणुओं को अलग कर देते हैं। पानी के ये अणु मंगल के कमजोर गुरुत्वाकर्षण के कारण वहां रुक नहीं पाते है, सीधे अंतरिक्ष में चले जाते हैं। उल्लेखित है कि मंगल ग्रह का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का एक तिहाई 1/3 है।

फ्रांस स्थित नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च (सीएनआरएस) के शोधकर्ता फ्रेंक मोंटेसिन की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने कुछ दिन पहले यह खुलासा किया है, कि मंगल ग्रह के वातावरण से करीब 80 किमी से अधिक की ऊंचाई पर जल वाष्प बड़ी मात्रा में और अप्रत्याशित अनुपात में जमा हो रहा है।

माप से पता चला है कि बड़े वायुमंडलीय पॉकेट्स में सूखे की स्थिति भी बनने लगी है, जिसमें वायुमंडल में तापमान की तुलना में पानी 10 से 100 गुना अधिक तेजी से वाष्प में बदल जाता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे परिणाम यह भी बताते हैं कि अधिक ऊंचाई पर सूर्य के निकट होने वाले मौसमी परिवर्तनों से भी पानी घट सकता है। मंगल ग्रह पर अक्सर धूल भरे तूफान उड़ते रहते हैं। ये मंगल ग्रह को पूरी तरह से घेर लेते हैं। जिसके कारण भी वहां का पानी घट सकता है।

अवलोकन के आधार पर पानी के वाष्प में बदलने के दरों के अनुसार, कुछ विशेष मौसमों के दौरान पानी के वाष्प बनने की प्रक्रिया में काफी तेजी आ सकती है, जिससे पानी के समाप्त होने की गति बहुत बढ़ जाएगी।

ये परिणाम जिन्हें साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है, यह एक्सोमार्स मिशन से ट्रेस गैस ऑर्बिटर उपकरण की मदद से प्राप्त किए गए है। एक्सोमार्स मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस का साझा कार्यक्रम है।