फ्रॉम द अर्थ टु द मून | जूल्स वर्ने
प्रकाशन वर्ष: 1865
फ्रेंच में लिखी गई किताब “डे ला टेरे ए ला लून, ट्रैजेट डायरेक्ट एन 97 हेरेस 20 मिनट” के लेखक जूल्स वर्ने को “विज्ञान कथाओं का जनक” भी कहा जाता है। इसका अंग्रेजी अनुवाद “फ्रॉम द अर्थ टु द मून” है। उपन्यास में, वर्ने ने साहसी लोगों के एक समूह की कल्पना की थी, जो इतनी बड़ी तोप बना रहा है कि यह तीन लोगों के साथ एक गोली के आकार के कैप्सूल को चंद्रमा पर मार सकता है। वर्ने का मुख्य पात्र चंद्रमा पर उतरने में नहीं, बल्कि उसकी परिक्रमा करने में सफल होता है। वर्ने की कहानियां उपन्यास की अगली कड़ी, अराउंड द मून (1870) में भी जारी रही
द फर्स्ट मेन इन द मून | वेल्स एच.जी
प्रकाशन वर्ष: 1901
महान विज्ञान कथा लेखक एच.जी. वेल्स अपने उपन्यास “द फर्स्ट मेन इन द मून” में आपको रोमांच और साजिश की एक शानदार ब्रह्मांडीय यात्रा पर ले जाते हैं। उन्होंने अपोलो 11 लैंडिंग से लगभग 70 साल पहले चंद्रमा पर इंसान को पहुंचाने की कल्पना की थी। उपन्यास में बेडफोर्ड नाम का एक व्यवसायी और कैवोर नाम का वैज्ञानिक चांद पर पहुंच कर देखते हैं कि वहां भी अजीब प्रकार के जीव रहते हैं, जिन्हें वो “सेलेनाइट्स” कहकर पुकारते हैं। वर्ष 2010 में इस उपन्यास पर बीबीसी ने एक फिल्म भी बनाई थी। यह फिल्म द लीग ऑफ जेंटलमेन के मार्क गेटिस द्वारा लिखित और अभिनीत है
अर्थलाइट | आर्थर सी. क्लार्क
प्रकाशन वर्ष: 1955
यह उपन्यास 1955 में लिखा गया, जिसे विज्ञान कथा के प्रभावशाली लेखकों में से एक आर्थर सी. क्लार्क ने लिखा। कहानी एक अकाउंटेंट की है, जिसे पृथ्वी से चंद्रमा पर एक जासूस के रूप में भेजा जाता है ताकि एक ऐसे जासूस को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके जो चंद्रमा पर उन खनिजों को प्राप्त करने के पृथ्वी के लक्ष्यों के बारे में जानकारी लीक कर रहा है, जिनकी पृथ्वी को बहुत आवश्यकता है। कहानी में थ्रिल है, संस्पेंस है और अंत तक बांधे रखती है
द मून इज ए हार्ष मिस्ट्रेस | रॉबर्ट ए. हेनले
प्रकाशन वर्ष: 1965
1965 में लिखे गए इस उपन्यास को अपने समय से बहुत आगे की कल्पना माना गया था, जो आगे चलकर सच भी हुई। लेखक रॉबर्ट ए. हेनले ने उस समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अलौकिक उपनिवेशीकरण और अंतरग्रहीय युद्ध जैसे विषयों को शामिल किया था। यह किताब मूल रूप से पृथ्वी के विरुद्ध चंद्रमा पर एक क्रांति के बारे में है
द फेस ऑफ द मून | राल्फ बेलकनैप बाल्डविन
प्रकाशन वर्ष: 1949
इस किताब के लेखक राल्फ बेलकनैप बाल्डविन एक खगोलशास्त्री थे और सितारों का अध्ययन करते थे, लेकिन इस किताब के बाद वह चंद्र विज्ञान के नायक बन गए और उन्हें चंद्र विज्ञान का जनक कहा जाने लगा