इलस्ट्रेशन: योगेंद्र आनंद
विज्ञान

मनोविकारों का विज्ञानः लालच करना इतनी भी बुरी बात नहीं है!

विकासवादी जीव विज्ञान लालच को जिंदा बचे रहने की संभावना को बढ़ाने का एक तरीका मानता है

Marcel Zeelenberg, Rohini Krishnamurthy

इंसान के सात विकारों में से एक है लालच करना। धर्म मानते हैं कि लालच करना बुरी बात है, लेकिन क्या वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं? यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ की साइंस रिपोर्टर रोहिणी कृष्णमूर्ति ने मार्सेल जीलेनबर्ग से बात की, जो नीदरलैंड के टिलबर्ग विश्वविद्यालय में आर्थिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर जीलेनबर्ग निर्णय लेने में भावनाओं और प्रेरक कारकों की भूमिका का अध्ययन करते हैं। उनकी प्रयोगशाला ने लालच को मापने का एक पैमाना तैयार किया है

लालच के बारे में विज्ञान क्या कहता है?

हम लालच को अधिक से अधिक पाने की अतृप्त इच्छा के रूप में परिभाषित करते हैं। लोगों को जितनी जरूरत होती है, वे उससे ज्यादा हासिल करना चाहते हैं। ऐसा करने में वे अन्य लोगों को संसाधनों तक पहुंचने से रोकते हैं। धर्म लालच की निंदा करते हैं क्योंकि यदि आप लालची हैं, तो आप दूसरों को दुख पहुंचाते हैं। लेकिन हम मानते हैं कि लालची लोगों का दूसरों को चोट पहुंचाने का कोई इरादा या उद्देश्य नहीं होता है। इसलिए भले ही कुछ लोग लालच को दूसरों को नुकसान पहुंचाने के रूप में भी परिभाषित करते हैं, लेकिन हमारा मानना है कि यह लालची होने का एक उप-उत्पाद मात्र है। और हमने शोध के तहत यह मापा है कि लालची लोग किस हद तक अन्य लोगों के परिणामों को ध्यान में रखते हैं। हमने पाया कि लालची लोग दूसरों के प्रति उदासीन होते हैं। वे दूसरों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते हालांकि, उनकी मदद भी नहीं करना चाहते हैं। वे बस दूसरों की परवाह नहीं करते।

यदि आप अपनी जरूरत से ज्यादा नारियल इकट्ठा करते हैं तो मुझे लगता है कि आप लालची हैं। मुझे लगता है आप इसका अनुभव करते हैं और इस बात की परवाह नहीं करते कि आसपास कौन व्यक्ति है। यह एक परिणाम हो सकता है लेकिन मुझे नहीं लगता कि दूसरों को नुकसान पहुंचाना जरूरी है। इसलिए लालच की परिभाषा पर हमारे विचार थोड़े अलग हैं। हमने लालच का आकलन करने के लिए अपने पैमाने को विकसित करने के खातिर इस परिभाषा का इस्तेमाल किया। अन्य लोगों ने भी उन तराजुओं को परिभाषित किया है और कुछ लोग अपनी परिभाषाओं में दूसरों को नुकसान पहुंचाने को भी शामिल करते हैं।

लालच पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण वर्षों में कैसे बदल गया है?

लालच पर शोध बहुत हाल ही का है। हमने 2015 में दो पेपर प्रकाशित किए। जब हमने लालच पर शोध को खंगालना शुरू किया, तो हमें पता चला कि शायद ही कुछ था। हमारे पास दार्शनिक कार्य था। अर्थशास्त्रियों ने इसके बारे में बात की है और धार्मिक विद्वानों ने भी। लेकिन किसी ने इसका व्यापक अध्ययन नहीं किया। एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट एनल्स में 2011 में एक बहुत ही दिलचस्प समीक्षा लेख प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा कि बहुत सारे सिद्धांत हैं लेकिन शायद ही कोई शोध हो क्योंकि लालच को परिभाषित करना वास्तव में कठिन है।

अब मैं इससे असहमत हूं, लेकिन वे इस अवलोकन में सही थे कि शायद ही कोई शोध हो। इसलिए लालच पर विचार समय के साथ बदल गए हैं, लेकिन वास्तव में अकादमिक क्षेत्र में नहीं बदले हैं, क्योंकि शोध बहुत हालिया हैं।

“लालच क्या है और यह कितना बुरा है” पर विचार समय के साथ बहुत बदल गए हैं। धर्मों ने उसे बुरा माना लेकिन पूंजीवाद ने धन कमाने, बहुत अमीर बनने और धन के पीछा करने के विचारों को सामान्य करके इसे बदल दिया। यदि आप देखते हैं कि लोग लालच को किस रूप में देखते हैं, इसके बारे में क्या सोचते या लिखते हैं तो आप पाएंगे कि ज्यादातर लोग इसे लेकर नकारात्मक हैं, लेकिन जो लोग इसे सकारात्मक रूप से देखते हैं वे अर्थशास्त्री हैं। वे तर्कसंगत स्वार्थ और पूर्ण मुक्त बाजारों में बहुत विश्वास रखते हैं। विकासवादी जीवविज्ञानी भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि लालच अच्छा है क्योंकि लालची होने से आप बहुत अधिक संसाधन ले सकते हैं। उदाहरण के लिए, यह तंगी के समय में उपयोगी हो सकता है। यह आपके जीवित रहने की संभावना बढ़ाने का एक तरीका है। इसलिए विकासवादी जीवविज्ञानी और अर्थशास्त्री इसके बारे में सकारात्मक हैं। अधिकांश लोग या कम से कम धार्मिक विचारक और दार्शनिक अक्सर इसके बारे में नकारात्मक होते हैं।

अगर मुझे अपने बारे में बात करनी हो तो मैं इसे लेकर कमोबेश तटस्थ हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि यह एक मानवीय गुण है जो कुछ में अधिक और कुछ में कम पाया जाता है। मुझे लगता है कि लालची होने के नकारात्मक परिणाम हैं। लेकिन मुझे इसकी तारीफ या निंदा करना उपयोगी नहीं लगता क्योंकि यह सिर्फ इंसान होने का एक हिस्सा भर है। मुझे यह पता लगाना अधिक दिलचस्प लगता है कि लालच क्या है और यह कब काम करता है।

मुझे लालच की तारीफ या निंदा करना उपयोगी नहीं लगता... मुझे यह पता लगाना अधिक दिलचस्प लगता है कि लालच क्या है और यह कब काम करता है।

आपने लालच के लिए एक पैमाना विकसित किया है। इसमें क्या शामिल है?

हमने 2015 में पैमाने को प्रकाशित किया। हम मापते हैं कि प्रवृत्तिगत लालच क्या है। एक प्रवृत्तिगत क्रोधित व्यक्ति अक्सर क्रोधित रहता है। यदि आप प्रवृत्तिगत रूप से चिंतित हैं तो आप हमेशा चीजों के बारे में चिंतित रहते हैं या आप किसी चीज से क्षण भर के लिए डर सकते हैं।

अब, लालच के लिए भी मैं वही बात कहूंगा। आप लालची हो सकते हैं क्योंकि एक विशिष्ट स्थिति में आपके पास कुछ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यदि आप दुकान पर जाते हैं और उस वक्त कुछ सामानों पर छूट हो, सेल लगी हो तो यह आपको लालची बना सकता है। लेकिन यही वह नहीं है जिसका अधिकांश समय अध्ययन किया गया है। अधिकांश अध्ययनों ने व्यापारिक लालच पर ध्यान केंद्रित किया है। कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक लालची होते हैं और हम इसे माप सकते हैं और फिर हम इसे विभिन्न व्यवहारों से जोड़ सकते हैं। हमारे द्वारा ज्यादातर प्रवृत्तिगत लालच का अध्ययन करने का कारण यह है कि हम अपने प्रयोगों में लालच को प्रेरित करने में सक्षम नहीं हुए हैं।

उदाहरण के लिए, मैं पछतावे का भी अध्ययन करता हूं। मैं अध्ययन के दौरान लोगों से कोई फैसला करने को कहता हूं। फिर मैं ये सुनिश्चित करता हूं कि कुछ लोगों के लिए वो फैसला अच्छा साबित हो और कुछ लोगों के लिए खराब। लेकिन हम अभी तक यह नहीं जान पाए हैं कि लोगों में लालच कैसे प्रेरित किया जाए। हमारे पास इसके बारे में विचार हैं। हमने कुछ चीजों का टेस्ट किया है लेकिन हमें कुछ खास हासिल नहीं हुआ।

उदाहरण के लिए हम जो करते हैं वह यह है कि हम लोगों के एक समूह में लालच का आकलन करते हैं और फिर उनसे पूछते हैं कि वे कई अनैतिक चीजों को कितना स्वीकार्य मानते हैं। कल्पना कीजिए कि आप स्टोर पर जाते हैं। वहां आप कुछ 5 यूरो का खरीदते हैं लेकिन 20 यूरो के नोट से भुगतान करते हैं। कैशियर गलती से आपके नोट को 50 यूरो का मानकर फुटकर वापस कर देता है। यह कितना स्वीकार्य है? क्या आप बिना कुछ कहे पैसे रख लेंगे? आप पाते हैं कि जितने अधिक लालची लोग होंगे, उतना ही अधिक वे ज्यादा मिली रकम को रखना स्वीकार्य मानेंगे। हम उनसे पूछते हैं कि क्या आपको टैक्स डिक्लरेशन पर झूठ बोलना स्वीकार्य है? हम देखते हैं कि जितने अधिक लालची लोग होते हैं, उतना ही अधिक वे सोचते हैं कि हां, यह स्वीकार्य है। यदि आप लोगों से पूछते हैं कि क्या उन्होंने ऐसी चीजें की हैं तो अधिक लालची लोगों के हां कहने की संभावना अधिक होगी क्योंकि ये उनके व्यवहार का हिस्सा है।

क्या आपका पैमाना हमें बता सकता है कि कितना लालच बहुत ज्यादा माना जाएगा?

हम यह नहीं कह सकते कि आपका स्कोर बहुत अधिक या कम है। हालांकि, हम पाते हैं कि एक संबंध है। एक अध्ययन में हमने लोगों से एक खेल खेलने के लिए कहा। इसे संसाधन दुविधा कहा जाता है। खेल के लिए चार खिलाड़ियों की जरूरत होती है। उन्हें 20 हेक्टेयर जंगल बनाए रखना है और उन्हें लकड़ी काटने और बेचने की अनुमति है। लेकिन अगर वे बहुत अधिक लकड़ी काटते हैं तो जंगल खत्म हो जाता है। यह वापस नहीं बढ़ता है और उनके पास पैसा खत्म हो जाता है। खेल के प्रत्येक दौर के बाद उन्हें यह तय करना होता है कि वे कितनी लकड़ी काटना और बेचना चाहते हैं।

हम पाते हैं कि लालची लोग अपने गैर-लालची समकक्षों की तुलना में अधिक कटाई करते हैं। हम यह भी पाते हैं कि जो लोग लालच के पैमाने पर बहुत कम स्कोर करते हैं, वे जितना कर सकते हैं उससे बहुत कम कटाई करते हैं। इसलिए वे मेज पर पैसा छोड़ देते हैं। हम पाते हैं कि लालची लोग बहुत अधिक लेते हैं और गैर-लालची लोग बहुत कम लेते हैं। बहुत कम लेना भी मुझे लगता है कि एक समस्या है, थोड़ी कम समस्या। यह आपके लिए समस्या है क्योंकि आप आय उत्पन्न नहीं करते हैं या कम आय उत्पन्न करते हैं। लेकिन बहुत अधिक लेना निश्चित रूप से समाज के लिए एक समस्या है। हमारे पैमाने पर यह कहना बहुत कठिन है कि यह बहुत अधिक लालच है या यह बहुत कम है।

इसके अलावा, हमने अपने एक अध्ययन में पाया कि लालची लोग अधिक मेहनत करते हैं। यह एक अच्छा प्रयोग था। हम लोगों को प्रयोगशाला में लाए और उन्हें बताया कि वे पहले पांच मिनट तक काम कर सकते हैं और फिर उसके लिए चॉकलेट कमा सकते हैं। हमने उन्हें यह भी बताया कि उनके पास इनाम में मिले चॉकलेट खाने के लिए पांच मिनट हैं। इन 5 मिनट में वे जितना चाहे चॉकलेट खा सकते हैं लेकिन समय समाप्त होने पर कुछ चॉकलेट बच जाती हैं तो उन्हें वापस करना होगा।

हमने यह भी समझाया कि उन्हें क्या काम करना है। हमने उन्हें हेडफोन लगाकर प्रयोगशाला में बैठने के लिए कहा। अगर वे म्यूजिक सुनेंगे तो उसे अवकाश माना जाएगा। उन्हें संगीत को व्हाइट नॉइज से बाधित करने के लिए कंप्यूटर पर स्पेसबार दबाने के लिए भी कहा गया था।

यह खीझ दिलाने वाला था। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, काम अच्छा नहीं लगता है और अवकाश सुखद होता है। इसलिए इस मामले में संगीत सुनना सुखद था और इसे बाधित करने का काम प्रतिकूल था। बटन को 20 बार दबाने पर प्रतिभागी को एक चॉकलेट मिल जाती थी।

प्रतिभागियों का काम पांच मिनट में जितनी चाहें उतनी चॉकलेट कमाना था। हमने पाया कि जो लालची लोग हैं उन्होंने गैर-लालची लोगों की तुलना में बहुत अधिक चॉकलेट कमाई, लेकिन वे उन सभी को खा नहीं सकते थे। इसलिए उन्हें वापस देना पड़ा। जब मैंने सम्मेलनों में इन परिणामों के बारे में बात की तो लोगों ने कहा कि यदि इस प्रयोग को उन्हीं प्रतिभागियों के साथ दोहराया जाए तो लालची लोग उतना चॉकलेट नहीं कमाएंगे। तो हमने तीन हफ्ते बाद उन्हीं प्रतिभागियों के साथ वही प्रयोग दोहराया। हमने अभी भी पाया कि लालची लोग बहुत अधिक कमाते हैं। हमने यह भी पाया कि लालची लोग अपने प्रदर्शन से असंतुष्ट थे। हमारे लिए सवाल यह भी है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? ये शायद उन्हें बेहतर ढंग से पता हो, लेकिन लालची लोग खुद से थोड़े प्रतिस्पर्धी भी होते हैं। वे खुद का बेहतर प्रदर्शन करना चाहते होंगे।