विज्ञान

हैरतअंगेज: एक महिला के शरीर से निकलता है अल्कोहल

Lalit Maurya

दुनिया हैरतअंगेज चीजों से भरी पड़ी है। ऐसा ही एक मामला अमेरिका के पिट्सबर्ग शहर में सामने आया है। जहां एक महिला के शरीर में प्राकृतिक रूप से शराब बन जाती है। जी हां हैरान कर देने वाला यह मामला सच है। यह दुनिया का ऐसा पहला मामला है, जहां महिला को इस असामान्य स्थिति में पाया गया है। इस महिला के ब्लैडर (मूत्राशय) में यीस्ट का खमीरीकरण हो जाता है जिससे इसके शरीर में अपने आप ही अल्कोहल बन जाता है।

इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन नामक जर्नल में छपी है| शोधकर्ता इस बीमारी को ब्लैडर फेरमेंटशन सिंड्रोम या यूरिनरी ऑटो-ब्रुअरी सिंड्रोम नाम देने के बारे में सोच रहे हैं। यह इसी प्रकार के एक अन्य बीमारी ऑटो ब्रुअरी सिंड्रोम के जैसा है। 

कैसे बन जाता है अपने आप शरीर में अल्कोहल

61 वर्षीय यह महिला हास्पिटल में लिवर की खराबी और डायबिटीज के चलते भर्ती हुई थी। जहां डॉक्टरों को लगा कि उनके लीवर खराब होने की वजह कहीं शराब की लत तो नहीं। क्योंकि उनके बार बार किये गए यूरिन टेस्ट में एलकोहल के अंश पाए गए थे। हालांकि उनकी रिपोर्ट हर बार उनके शरीर में शराब के पाए जाने को दिखा रही थी। पर वो लगातार शराब के सेवन से इंकार कर रही थी। साथ ही उनमे नशे के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दिए थे।

इसके बावजूद उनक यूरीन में उच्च मात्रा में इथेनॉल पाया गया था। साथ ही उनके यूरीन में भारी मात्रा में ग्लूकोज की मौजूदगी पायी गयी थी, जिसे हाइपरग्लाइकोसुरिया कहा जाता है। उसमें यीस्ट भी पाया गया था। इसे समझने के लिए डॉक्टरों ने गहन परिक्षण किया। जिसमें उन्हें पता चला कि इसके पीछे की वजह उनके ब्लैडर में यीस्ट के खमीरीकरण और शुगर है। जिससे उनके शरीर में इथेनॉल बन रहा है। इस यीस्ट की पहचान कैंडिडा ग्लाब्रेटा के रूप में की गई है। जोकि शरीर में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक खमीर है और शराब बनाने वाले  खमीर से मिलता जुलता है। लेकिन इसका पाया जाना एक असामान्य घटना है। 

हालांकि दुर्भाग्यवश इस यीस्ट को ख़त्म करने के लिए किये गए एंटीफंगल उपचार बेकार साबित हुए हैं। उनकी इस अनोखी बीमारी को देखते हुए डॉक्टर उनके लिवर प्रत्यारोपण करने के बारे में पुनः विचार कर रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट यह स्पष्ट नहीं कर पायी की उनको यह समस्या क्यों हुई है। इससे पहले भी एक पोस्टमार्टम करते समय इसी तरह के लक्षण सामने आये थे। जिसपर अभी अध्ययन चल रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि संभवतः दुनिया में और भी लोग इस तरह की बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं। जो जांच की कमी के चलते सामने नहीं आ सके हैं।