विज्ञान

गैसों के मिश्रण से अलग हो जाएगी जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड, वैज्ञानिकों ने बनाई खास धातु

वैज्ञानिकों की इस खोज के बाद गैसों के मिश्रण में से जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड गैस अलग हो जाएगी और इसे रासायनिक उत्पाद बनाने के लिए संरक्षित किया जा सकता है

Dayanidhi

एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक ऐसी मजबूत धातु विकसित की है, जो अन्य गैसों के मिश्रण में से जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड गैस को अलग कर सकती है और इसे रासायनिक उत्पाद बनाने के लिए संरक्षित किया जा सकता है। 

शोधकर्ताओं ने लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब), अमेरिका, में नई धातु के द्वारा, एडवांस्ड लाइट सोर्स (एएलएस) में एक्स-रे तकनीकों का उपयोग करके विषाक्त सल्फर डाइऑक्साइड गैस को अलग करके दिखाया है। यह अध्ययन नेचर मैटेरियल्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, लगभग 87 फीसदी सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानव गतिविधि के कारण होता है। इसका उत्सर्जन आमतौर पर बिजली संयंत्रों, अन्य औद्योगिक क्षेत्रों, ट्रेनों, जहाजों और भारी उपकरणों द्वारा उत्पादित किया जाता है, और यह गैस मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

हाल ही में प्रकाशित ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व में जहरीली गैस सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाला शीर्ष देशों मे से एक है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पहली बार दिसंबर 2015 में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) उत्सर्जन को नियंत्रित करने की सीमा की शुरुआत की थी।

टीम ने  छिद्रयुक्त, कैगेलिक, स्थिर तांबा युक्त अणुओं को धातु-कार्बनिक ढांचे या एमओएफ के रूप में विकसित किया, जो सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) गैस को अन्य गैसों से अलग करने के लिए डिजाइन किया गया हैं।

टीम ने एमओएफ सामग्री का औद्योगिक इलाको में उपयोग किया, एमओएफ सामग्री को एफएम -170 भी कहा जाता है। इसे भिन्न-भिन्न गैसों में डाला गया, और पाया कि यह उच्च तापमान पर गैस मिश्रण से एमओएफ, कुशलतापूर्वक सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) गैस को अलग कर देता है।  यह पानी में से भी एसओ 2 को अलग कर सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि, सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) को विभिन्न गैसों के मिश्रण, पानी, आदि से मौजूदा तकनीकों द्वारा अलग करने में बहुत सारे ठोस और तरल अपशिष्ट उत्पन्न हो जाते हैं और केवल 60-95 फीसदी विषाक्त गैस को ही अलग कर सकते हैं, जबकि एमओएफ धातु से सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2) को 99.99999 फीसदी तक अलग किया जा सकता है।

इस नई धातु के निर्माण से भारत को फायदा हो सकता है। क्योंकि भारत सबसे अधिक सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश होने के साथ-साथ इसके दो राज्य महाराष्ट्र, गुजरात भी शीर्ष सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषक है।

भारत में 45 एसओ2 उत्सर्जक हॉटस्पॉट्स में से 43 में कोयला आधारित बिजली उत्पादन के कारण होता है, जबकि शेष दो पर प्रदूषण मेटल स्मेल्टर्स के कारण होता है। यह नई धातु एसओ2 को अलग करके उसे संरक्षित करने में मदद कर सकता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनो को बचाया जा सकता है।