विज्ञान

एल्यूमीनियम की विशेष सतह से लगेगी बैक्टीरिया पर रोक, चिकित्सा उपकरणों में होगा उपयोग

इस सतह का उपयोग दंत प्रत्यारोपण और हृदय सहायक उपकरणों सहित स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा उपकरणों में किया जा सकता है।

Dayanidhi

भारतीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल ही में एक सहज और पर्यावरण के अनुकूल एल्यूमीनियम की विशेष सतह विकसित की है। यह सतह नैनो ढांचे के आधार पर बनी है, जो खुद ब खुद साफ हो जाती है। इसका उपयोग बायोमेडिकल से लेकर एयरोस्पेस और ऑटोमोबाइल से लेकर घरेलू उपकरणों तक में किया जा सकता है। इस विशेष सतह का उत्पादन औद्योगिक स्तर पर किया जा सकता है।

एल्युमिनियम एक हल्की धातु होने की वजह से, इसका उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है। एल्युमिनियम को आसानी से सांचे में ढाला जा सकता है, मशीनीकृत और आकार दिया जा सकता है। हालांकि दूषित पदार्थ और आर्द्रता के चलते इसकी स्थिरता या मजबूती काफी सीमित हो जाती है। इसके अलावा, एल्युमीनियम का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। 

इन समस्याओं को दूर करने के लिए, भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने नैनो ढांचो की एल्यूमीनियम की विशेष सतहें बनाई हैं, जो जंग और इस पर पड़ने वाले अन्य प्रभावों को सीमित करते हुए अत्यधिक यांत्रिक, रासायनिक और गर्मी को सहन करने वाली तथा लंबे समय तक चल सकती हैं।

यह कारनामा दिल्ली-एनसीआर के शिव नादर विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ता डॉ हरप्रीत सिंह ग्रेवाल, डॉ हरप्रीत सिंह अरोड़ा और श्री गोपीनाथ पेरुमल और भौतिकी विभाग से डॉ सजल कुमार घोष और सुश्री प्रिया मंडल की टीम ने संयुक्त रूप से किया है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के 'फंड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर' (एफआईएसटी) परियोजना के माध्यम से प्राप्त एक रमन स्पेक्ट्रोमीटर का उपयोग इस कार्य को करने के लिए किया गया है। इसके परिणाम जर्नल ऑफ़ क्लीनर प्रोडक्शन में प्रकाशित किए गए हैं।

शोधकर्ताओं ने एल्यूमीनियम की सतह पर एक परत जैसी नैनो-संरचना विकसित की है। इसका निर्माण किसी भी रासायनिक पदार्थ और जहरीले सॉल्वेंट के उपयोग किए बिना किया गया है। इसको विकसित करने की प्रक्रिया में एक घंटे तक 80 डिग्री सेल्सियस पर बनाए गए तापमान के साथ पानी में एल्यूमीनियम के नमूने को गर्म करके प्राप्त किया जाता है।

इस सहज और पर्यावरण के अनुकूल विशेष तरह की सतह गीलेपन को टिकने नहीं देती है। इस ठोस सतह पर तरल आसानी से फैलकर साफ हो जाता है। सतह तब और असरदार हो जाती है जब इस पर ऊर्जा वाली हाइड्रोकार्बन सामग्री का लेप लगा दिया जाता है, यह इसे एक ऐसी सतह में बदल देता है जहां पानी की एक बूंद तुरंत सतह से लुढ़क जाती है। जो इसे खुद ब खुद सफाई करने वाले प्रयोगों के लिए उपयोगी बनाता है। 

खुद ब खुद साफ होने वाली सतह का उपयोग -80 से 350 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी किया जा सकता है, इसका भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। डॉ ग्रेवाल ने कहा वास्तव में, यह अन्य प्रसंस्करण मार्गों द्वारा विकसित मौजूदा सतहों की तुलना में इस सतह में जंग लगने की दर 40 गुना कम है।

डॉ घोष बताते हैं कि हाइड्रोकार्बन के साथ लेपित उनके नैनोस्ट्रक्चर मॉर्फोलॉजी के कारण, ये सतह बैक्टीरिया के चिपकने और उसके विकास को काफी हद तक कम करने में सक्षम हैं। इसलिए इसका उपयोग दंत प्रत्यारोपण और हृदय सहायक उपकरणों सहित स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा उपकरणों में किया जा सकता है।