विज्ञान

वैज्ञानिकों ने बनाई अधिक कारगर रेबीज वैक्सीन

Dayanidhi

दुनिया की दो-तिहाई से अधिक आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां रेबीज होता है। रेबीज एक विषाणुजनित संक्रमण है जो मुख्य रूप से एक संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। हर साल 1.5 करोड़ से अधिक लोग इस रोग से ग्रसित होने के बाद इसके कई बार टीके लगवाते है, बावजूद इसके लगभग 59 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। हर 9 मिनट में रेबीज से एक मौत हो जाती है। रेबीज के शिकार 75 फीसदी से अधिक लोग घर पर ही मर जाते हैं और ये मौतें रेबीज के कारण होने वाली कुल मौतों में शामिल नहीं हो पाती हैं। रेबीज के 60 फीसदी मामले बच्चों में होते हैं, रेबीज जान लेने के मामले में सातवीं सबसे खतरनाक संक्रामक बीमारी है।

मनुष्यों में इस बीमारी को रोकने के लिए कोई सस्ता और बहुत अधिक कारगर टीका उपलब्ध नहीं है। अब शोधकर्ताओं ने प्लोस नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज नामक पत्रिका के माध्यम से एक नए टीके के बारे में बताया है। शोधकर्ताओं ने रेबीज के इस टीके में एक विशिष्ट प्रतिरक्षा अणु को जोड़ा है जिससे टीके में बीमारी को अधिक कारगर और तेजी से ठीक करने की क्षमता बढ़ गई है।

पिछले अध्ययनों से पता चला है कि मौजूदा रेबीज के टीके से मनुष्य के प्रतिरक्षा प्रणाली की 'बी' कोशिकाओं को सक्रिय करने की प्रक्रिया काफी जटिल है तथा यह महंगा भी है। यहां उल्लेखनीय है कि ‘बी’ कोशिकाएं, जिन्हें ‘बी’ लिम्फोसाइट्स के रूप में भी जाना जाता है, छोटे लिम्फोसाइट यह सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार है, यह कोशिका विभिन्न रोगाणुओं से शरीर की सुरक्षा करती है। हालांकि बी कोशिकाएं, जिनमें निष्क्रिय वायरस कण शामिल है, इस पर अपना प्रभाव डालने में टीके को समय लग सकता है।

इस नए काम में थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के जेम्स मैकगेटिगन और सहकर्मियों ने एक सिग्नलिंग प्रोटीन को 'बी' कोशिकाओं को एक्टिवेटिंग फैक्टर (बीएएफएफ) के रूप में पहचाना, जो सीधे 'बी' कोशिकाओं को बांधता है। उन्होंने एक रेबीज का टीका तैयार किया, जिसमें एक ही कण पर एक रेबीज वायरस और बीएएफएफ शामिल था, फिर टीके को 'बी' कोशिकाओं को सक्रिय करने के लिए उपयोग किया गया। इसके बाद इस टीके का परीक्षण उन्होंने चूहों पर किया।

नए बीएएफएफ-सुधार किए गए रेबीज के टीके को चूहे पर लगाया गया, चूहे की प्रतिरक्षा प्रणाली में अन्य चूहों को आम तौर पर लगाए जाने वाले टीके की तुलना में अधिक तेजी से प्रतिक्रिया और सुधार देखा गया। साथ ही, वायरस को बेअसर करने वाले एंटीबॉडी का स्तर अधिक तेज़ी से और उच्च स्तर तक बढ़ गया, हालांकि प्रतिक्रिया की अवधि प्रभावित नहीं हुई। मनुष्यों में इसका परीक्षण करने से पहले टीके की सुरक्षा पर अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नए टीके ने एंटी-रेबीज एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं में सुधार किया है और परिमाण में काफी वृद्धि की और वर्तमान में उपयोग होने वाले निष्क्रिय आरएबीवी-आधारित टीकों को प्रभावी बनाकर इनमें भी सुधार किया जा सकता है।