विज्ञान

स्पंज से सोखेंगे जल प्रदूषण, वैज्ञानिकों ने किया तैयार

Dayanidhi

सिंगापुर  के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम ने एक पुन: उपयोग होने वाला बायोडिग्रेडेबल स्पंज बनाया है। यह दूषित जल स्रोतों से तेल और अन्य कार्बनिक घोल को आसानी से सोख सकता है, जिससे यह समुद्र में तेल फैलने से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल बहुत अच्छा विकल्प बन जाता है। 

सूरजमुखी के पराग (पॉलेन) से बना, स्पंज पानी में मिलता नहीं (हाइड्रोफोबिक) है, यह पानी को पीछे धकेलता है, स्पंज पर प्राकृतिक फैटी एसिड की एक परत लगी होती है। प्रयोगशाला प्रयोगों में, वैज्ञानिकों ने व्यावसायिक तेल अवशोषक की तुलना में इस स्पंज की क्षमता विभिन्न गैसों, जैसे गैसोलीन और मोटर के तेल को अवशोषित करने में बेहतर पाया।

समुद्र में फैले हुए तेल को साफ करना मुश्किल होता है और इसकी वजह से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को लंबे समय तक नुकसान होता है। पारंपरिक सफाई करने के तरीके में केमिकल का उपयोग कर तेल को छोटी बूंदों में तोड़ा जाता है, इसे अवशोषित करना बहुत महंगा होता है। साथ ही यह पानी के स्रोतों को हानी पहुंचाता है। 

अब तक शोधकर्ताओं ने जिस स्पंज को बनाया है उसका व्यास 5 सेंटीमीटर है। इसे सिंगापुर के एनटीयू और दक्षिण कोरिया की सुंगक्युनकुआन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की शोध टीम ने बनाया है, इनका मानना है कि जब इसको उचित अनुपात में बढ़ाया जाता है, तो वे समुद्री तेल के रिसाव से निपटने के लिए पर्यावरण के अनुकूल सबसे अच्छा विकल्प बन सकता है।  

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले एनटीयू स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर चो नाम-जून ने कहा कि पराग (पॉलेन) के प्राकृतिक गुणों को खत्म करके, हमारी टीम ने सफलतापूर्वक एक स्पंज विकसित किया है जो चुनिंदा रूप से दूषित जल स्रोतों से तेल को अवशोषित कर इसे अलग कर सकता है। इसमें एक ऐसी सामग्री का उपयोग किया गया है जो प्रकृति में बहुतायत रूप में पाई जाती है, यही इस स्पंज को सस्ता, आसानी से नष्ट होने वाला (बायोडिग्रेडेबल) और पर्यावरण के अनुकूल बनाता है।

एनटीयू ने पौधों के पराग (पॉलेन) का नया उपयोग किया है, इसके बाहरी कठोर खोल को माइक्रोजेल कणों में बदला जाता है। इस नरम, जेल जैसी सामग्री को तब पर्यावरणीय रूप से स्थायी सामग्रियों की एक नई श्रेणी के रूप में उपयोग किया जाता है। 

पिछले साल प्रोफेसर चो ने एनटीयू के अध्यक्ष प्रोफेसर सुभ्रा सुरेश के साथ मिलकर एक शोध टीम का नेतृत्व किया, जिसमें पराग से कागज जैसी सामग्री बनाई गई, जो पेड़ों से बनने वाले पेपर के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह पराग कागज़ (पॉलेन पेपर) वातावरण में जैसे ही नमी में बदलाव होता है तो यह मुड़ जाता है, यह एक ऐसा लक्षण है जो नरम रोबोट, सेंसर और कृत्रिम मांसपेशियों के लिए उपयोगी हो सकता है।

प्रो. चो ने कहा कि जिस परागकण का उपयोग पौधों में परागण के लिए नहीं होता है, इसे अक्सर जैविक अपशिष्ट माना जाता है। अपने काम के माध्यम से, हमने इस 'कचरे' का नया उपयोग किया है इसे एक प्राकृतिक संसाधन में बदला गया है, जो नवीकरणीय, सस्ती और जैव-उपयोगी है। पराग यह शरीर के ऊतकों के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षाविज्ञानी, एलर्जी या विषाक्त प्रतिक्रिया नहीं करता है, जिससे यह घाव की ड्रेसिंग, प्रोस्थेटिक्स और इम्प्लांटेबल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रयोगों के लिए उपयुक्त होता है।

पराग से स्पंज का निर्माण कैसे हुआ

स्पंज बनाने के लिए, एनटीयू टीम ने पहले सूरजमुखी से कठोर पराग कणों को एक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से एक पारम्परिक, जेल-जैसी सामग्री में बदल कर पारंपरिक साबुन बनाया। इस प्रक्रिया में चिपचिपे तेल-आधारित पराग सीमेंट को हटाना शामिल है।

इन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप 3 डी छिद्रयुक्त आर्किटेक्चर के साथ पराग स्पंज का निर्माण होता है। स्पंज को 200 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया गया था, एक ऐसा चरण जो तरल पदार्थ को बार-बार अवशोषित करने और छोड़ने के बाद उनके रूप और संरचना को स्थिर बनाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि गर्म करने से स्पंज के प्रतिरोध में दोगुना सुधार हुआ।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्पंज चुनिंदा रूप से तेल को अवशोषित करता है न कि पानी को, वैज्ञानिकों ने इसे स्टीयरिक एसिड की एक परत के साथ लेपित किया, एक प्रकार का फैटी एसिड जो आमतौर पर पशु और वनस्पति वसा में पाया जाता है। यह अपनी संरचनात्मक मजबूती को बनाए रखते हुए स्पंज पानी में नहीं मिलता (हाइड्रोफोबिक) है।

वैज्ञानिकों ने पराग स्पंज पर तेल और गैसोलीन, पंप तेल, और एन-हेक्सेन (कच्चे तेल में पाया जाने वाला रसायन) जैसे विभिन्न घनत्वों के कार्बनिक घौलों के साथ तेल को सोखने का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि स्पंज की 9.7 से 29.3 ग्रामग्राम तक की अवशोषण क्षमता थी। यह व्यवसायिक पॉलीप्रोपाइलीन अवशोषक में उपयोग किया जा सकता है, जो पेट्रोलियम यौगिक (डेरिवेटिव) हैं और जिनकी अवशोषण क्षमता 8.1 से 24.6 ग्रामग्राम है।

उन्होंने स्पंज को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए और पुन: उपयोग के लिए सिलिकॉन तेल में बार-बार भिगोने, फिर तेल को निचोड़ने का परीक्षण किया। उन्होंने यह प्रक्रिया कम से कम 10 बार की।  

इसकी सफलता को जानने के लिए एक अंतिम प्रयोग में, टीम ने दूषित पानी के नमूने से मोटर के तेल को अवशोषित करने के लिए एक स्पंज 1.5 सेमी व्यास और 5 मिमी ऊंचाई की क्षमता का परीक्षण किया। स्पंज ने 2 मिनट से भी कम समय में मोटर तेल को आसानी से अवशोषित कर लिया। शोध के निष्कर्ष एडवांस्ड फंक्शनल मैटीरियल पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

प्रो. चो ने कहा कि सामूहिक रूप से, इन परिणामों से पता चलता है कि पराग स्पंज चुनिंदा तेल प्रदूषकों को अवशोषित कर अलग कर सकता है और इसमें लागत भी कम आती है। जैव रासायनिकता और टिकाऊ उत्पादन जैसे गुणों को देखते हुए इसे व्यवसायिक तेल अवशोषक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। आगे जाकर शोधकर्ताओं ने उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए पराग स्पंज के आकार को बढ़ाने की योजना बनाई है।