शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक माइक्रोफ्लुइडिक चिप तकनीक बनाई है, जो फसल में लगने वाले रोगों का पता लगाने और उनकी रोकथाम के लिए एक मल्टीप्लेक्स जेनेटिक डायग्नोस्टिक डिवाइस विकसित करेगी। जापान की टोयोहाशि यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर ताकायुकी शिबाता और उनके सहयोगियों ने यह कारनामा किया है।
शोध समूह ने हथेली के आकार के डायग्नोस्टिक डिवाइस पर चार प्रकार की ककड़ी के वायरस का उपयोग करके जीन आधारित प्रयोग किया। इससे 1 घंटे के भीतर तेजी से ककड़ी के विभिन्न भागों में फैले रोग की सफलतापूर्वक पता लग गया।
पता लगाने वाले इस उपकरण में अनेक गुणों वाली तकनीक है। इस उपकरण का उपयोग आनुवंशिक रोग की जांच करने के लिए न केवल फसलों के संक्रमित रोगों में किया जा सकता है, बल्कि मानव संक्रमण (जैसे कृषि / पशुधन / मत्स्य उद्योग, खाद्य उद्योग और स्वास्थ्य / चिकित्सा) सहित विभिन्न क्षेत्रों में भी किया जा सकता है। यह शोध माइक्रोमशीनस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
दुनिया भर में लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण भोजन की मांग बढ़ रही है। साथ ही असामान्य मौसम उत्पादन को प्रभावित कर रहा है। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पाने के लिए सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले कृषि, वन और मत्स्य उत्पादों और भोजन की निरंतर आपूर्ति सभी लोगों के लिए आवश्यक है। इस शोध का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली फसलों के प्रभावी और स्थिर उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक नैदानिक तकनीक विकसित करना है। इस तकनीक का उपयोग करके, यहां तक कि विशेष ज्ञान या कौशल के बिना नियमित रूप से कृषि उत्पादकों को आनुवंशिक स्तर पर अपने खेतों में पौधों की बीमारियों और कीटों के लिए आसानी और तेजी से परीक्षण कर सकते हैं।
लूप-मेडिएटेड इज़ोटेर्मल एम्पलीफिकेशन (एलएएमपी) लक्ष्य न्यूक्लिक एसिड (डीएनए या आरएएन) का पता लगाने के तरीकों में से एक है।
यह तरीका पीसीआर परीक्षण में उच्च तापमान नियंत्रण के लिए महंगे उपकरण के बिना एक निरंतर तापमान (60-65 डिग्री सेल्सियस, 30 मिनट से 1 घंटे के अंदर) पर तय जीन को बढ़ा सकता है, जो कि सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला आनुवंशिक निदान की तकनीक है।
इसलिए, एलएएमपी विधि में आसानी से उपयोग किए जाने वाले नैदानिक उपकरण प्रदान करने और स्थल (आन-साइट) में जांच करने की काफी संभावनाएं हैं। हालांकि, पारंपरिक एलएएमपी परीक्षण में इस बात की परेशानी है कि प्रत्येक वायरस के लिए अलग से कई नमूने (डीएनए या आरएनए) / अभिकर्मक मिश्रण तैयार करना और परीक्षण करना आवश्यक होता है। इस प्रक्रिया के लिए विशेष ज्ञान और कौशल की भी आवश्यकता होती है।
शोधकर्ता ने कहा यहां हमारी शोध टीम ने माइक्रोफ्लुइड चिप तकनीक को लगाकर इस समस्या को हल किया है। हमने सेमीकंडक्टर निर्माण तकनीक का उपयोग करके पौधों की बीमारियों के विभिन्न भागों(मल्टीप्लेक्स) के आनुवंशिक निदान के लिए एक पॉलीडिमिथाइलसिलोक्सन (पीडीएमएस)-आधारित माइक्रोफ्लुइडिक डिवाइस विकसित की है। पॉलीडिमिथाइलसिलोक्सन (पीडीएमएस)-डाइमेथिलपोलिसिलॉक्सेन या डायमेथकॉन के रूप में भी जाना जाता है, पॉलिमेरिक ऑर्गोसिलिकॉन यौगिकों के एक समूह से संबंधित है जिसे आमतौर पर सिलिकोन के रूप में जाना जाता है।
बनाए गए विभिन्न भागों के जेनेटिक डायग्नोस्टिक डिवाइस में पांच रिएक्शन चैंबर्स (वॉल्यूम में 3 μL) और एक माइक्रोचैनेल (चौड़ाई में 200 माइक्रोन और ऊंचाई में 80 माइक्रोन) होते हैं, जो उन्हें जोड़ने वाले नेटवर्क का निर्माण करते हैं। उपकरण आकार में लगभग 45 मिमी × 25 मिमी होता है।
एक नमूने के रूप में, एक खेत में एकत्र रोग ग्रस्त ककड़ी के पत्तों से निकाले गए वायरल आरएनए लक्ष्य वाले कुल आरएनए का उपयोग किया गया था। मल्टीप्लेक्स एलएएमपी परीक्षण के लिए संचालन प्रक्रिया में, नमूना और अभिकर्मकों के मिश्रण को अलग-अलग करके कई प्रतिक्रिया कक्षों में डाला गया था, जिसमें डिवाइस के प्रवेश द्वार में मिश्रण को डालना सिर्फ एक ऑपरेशन था। फिर, उपकरण को गर्म पानी (63 डिग्री सेल्सियस पर, 40 मिनट से 1 घंटे) में गर्म किया गया, जिसके परिणामस्वरूप लक्षित न्यूक्लिक एसिड छन गई। हमारे नैदानिक उपकरण पर सफलतापूर्वक एक साथ दो प्रकार के आरएनए वायरस पाए गए थे। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि डिवाइस में चार अलग-अलग प्रकार के पौधों के संक्रमित रोगों का एक साथ निदान करने की क्षमता है।
शोधकर्ता ने कहा कि हम डिवाइस को व्यावहारिक उपयोग करने के उद्देश्य से चार प्रकार के ककड़ी में होने वाले संक्रमित रोगों और चार प्रकार के कीटों सहित कुल आठ वस्तुओं की एक साथ पहचान को सक्षम करने के लिए एक नैदानिक उपकरण विकसित करेंगे। सिद्धांत रूप में, हमारे नैदानिक उपकरण पर हर एक की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लक्ष्य आधारित वायरस के प्रकारों का स्वतंत्र रूप से परीक्षण करना संभव है।
इसलिए कोरोना के साथ जीवन जीने को देखते हुए, हम मानव संक्रामक रोगों (जैसे कि नोवल कोरोनावायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस) के तेजी से निदान करने का प्रयास करेंगे। हम खाद्य उत्पादन तकनीक के रूप में खाद्य उत्पादन (गेहूं, मूंगफली, अंडा, दूध, झींगा, और केकड़ा): खाद्य उत्पादन में विभिन्न प्रकार के एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों का भी परीक्षण करेंगे।