विज्ञान

वैज्ञानिकों ने एल्युमीनियम की मदद से बनाई बैटरियां, किफायती व पर्यावरण के अनुकूल

Lalit Maurya

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एल्युमीनियम की मदद से रिचार्जेबल बैटरी बनाने में सफलता हासिल की है जो न केवल सस्ती है साथ ही इसे ज्यादा लम्बे समय तक चल सकती हैं|

हाल ही में सौर ऊर्जा के उत्पादन और उसकी लागत में कमी आई है| साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से इसके फायदों को देखते हुए इसका बड़ी तेजी से विकास हो रहा है|

इसके बावजूद एक बड़ा सवाल जो हमेशा से परेशान करता रहा है वो इसके भंडारण को लेकर है| आज भी सौर ऊर्जा भण्डारण के लिए बैटरियों के विकास पर काम चल रहा है|

वैज्ञानिक चाहते है कि ऐसी बैटरियां बनाई जाएं जो न केवल हर मौसम में ऊर्जा की खपत को पूरा कर सकें साथ ही उनकी कीमत भी कम हो| इसी को देखते हुए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता लिंडन आर्चर और उनकी टीम लम्बे समय से इस पर काम कर रही है| वो उन सामग्रियों की तलाश में हैं जिससे बैटरी बनाने की लागत को कम किया जा सके| जिससे ऊर्जा भण्डारण को किफायती बनाया जा सके|

हाल ही में उन्होंने इसमें सफलता भी हासिल की है उन्होंने एल्यूमीनियम की मदद से रिचार्जेबल बैटरी बनाने की एक नई तकनीक विकसित की है| इसकी मदद से बनी बैटरियां बिना किसी रूकावट और गलती के 10,000 बार रिचार्ज और उपयोग की जा सकती हैं|

यह बैटरियां न केवल वर्तमान में उपलब्ध लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में सुरक्षित हैं साथ ही पर्यावरण के लिए भी अनुकूल हैं| लिथियम-आयन बैटरियों की सबसे बड़ी समस्या है कि वो धीमी रफ़्तार से चार्ज होती हैं साथ ही उनमें आग पकड़ने का खतरा भी बना रहता है| इससे जुड़ा शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर एनर्जी में  प्रकाशित हुआ है|

इनके निर्माण में एल्युमीनियम और कार्बन का किया जाता है इस्तेमाल

इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जिंग्क्सु (केंट) ज़्हेंग ने बताया कि इन बैटरियों में एक दिलचस्प बात यह है कि इसमें एनोड और कैथोड के लिए केवल दो तत्वों एल्यूमीनियम और कार्बन का उपयोग किया जाता है| यह दोनों ही सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल हैं|

साथ ही यह लम्बे समय तक काम करते हैं| जब हम ऊर्जा के भण्डारण और उसमें लगने वाली लागत की गणना करते हैं तो यह बात बहुत मायने रखती है| इन बैटरियों को कई बार लम्बे समय तक रिचार्ज और इस्तेमाल किया जा सकता है, जो इसकी कीमत को और कम कर देता है|

एल्यूमीनियम का एक फायद यह भी है कि वो पृथ्वी की ऊपरी सतह पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, यह न केवल कई धातुओं के गुण रखता है साथ ही हल्का भी है| इसलिए इसमें कई अन्य धातुओं की तुलना में अधिक ऊर्जा संग्रहीत करने की कहीं ज्यादा क्षमता है।

हालांकि, एल्यूमीनियम को बैटरी के इलेक्ट्रोड के रूप में करना मुश्किल है। क्योंकि यह ग्लास फाइबर के बने उन विभाजकों के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करता है, जो एनोड और कैथोड को विभाजित करने के लिए लगाए जाते हैं, जिससे बैटरी में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और वो खराब हो जाती है।

शोधकर्ताओं ने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है उन्होंने इसके लिए उन्होंने आपस में बुने हुए कार्बन फाइबर का एक सब्सट्रेट डिजाइन तैयार किया है जो एल्यूमीनियम के साथ एक मजबूत रासायनिक बंधन बनाता है। जब बैटरी को चार्ज किया जाता है, तो एल्यूमीनियम को सहसंयोजक बंधन के माध्यम से कार्बन संरचना में जमा हो जाता है|

जिससे एल्यूमीनियम और कार्बन परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रान आपस में जुड़ जाते हैं| हालांकि पारंपरिक रिचार्जेबल बैटरियों में इलेक्ट्रोड केवल दो आयामी होते हैं, लेकिन इस तकनीक में तीन-आयामी - या नॉनप्लेनर संरचना का उपयोग किया जाता है|

जिससे एल्यूमीनियम की एक गहरी, अधिक सुसंगत लेयरिंग बनाती है| जिसे ज्यादा महीनता से नियंत्रित किया जा सकता है| इस तरह की एल्यूमीनियम-एनोड वाली बैटरियों को न केवल चार्ज किया जा सकता है बल्कि इसकी मदद से अन्य उपकरणों को भी चार्ज (रिवर्स चार्जिंग) किया जा सकता है|