विज्ञान

वैज्ञानिकों ने बनाया एआई आधारित फेस मास्क, प्रदूषण के हिसाब से खुद को कर सकता है एडजस्ट

एआई सॉफ्टवेयर की मदद से इस फेस मास्क में लगा रेस्पिरेटर, लगाने वाले की सांस के पैटर्न और प्रदूषण की मात्रा के आधार पर अपने आप को ढाल सकता है

Lalit Maurya

वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बुद्धिमता यानी एआई आधारित ऐसे फेस मास्क को बनाने में सफलता हासिल की है, जो वातावरण में मौजूद प्रदूषण को देखते हुए अपना आप को उसके अनुरूप ढाल सकता है। इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा वक्त में फेस मास्क लोगों की जरुरत का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस महामारी के दौर में लोग अपने आप को और दूसरों को बचाने के लिए फेस मास्क पहनने के आदी हो चुके हैं। हालांकि इसका यह मतलब कतई भी नहीं है कि मास्क हमेशा आरामदायक होते हैं। व्यायाम और घर में फेस मास्क पहने रहना अपने आप में एक बड़ी समस्या है।

इस समय मार्किट में जो मास्क उपलब्ध है वो अपने आप को परिस्थितियों के आधार पर एडजस्ट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में उनके चलते मास्क लगाने वाले को सांस लेने में कठिनाई, बेचैनी आदि की समस्या हो सकती है, खासकर व्यायाम के दौरान जब अधिक सांस लेने और छोड़ने की जरुरत पड़ती है तो इन मास्क को पहनना कठिन हो जाता है।

इस समस्या को देखते हुए शोधकर्ताओं ने एआई आधारित एक बेहतर रेस्पिरेटर बनाया है जो वातावरण के लिहाज से अपने आप को एडजस्ट कर सकता है। उदाहरण के लिए जब आप स्वच्छ वातावरण में अकेले व्यायाम कर रहे हैं तो उस समय आपको महीन छिद्रों वाले मास्क की जरुरत नहीं रहती। उस समय इसके छिद्र अपने आप बड़े हो जाएंगे, जिससे पहनने वाले को सांस लेने में आसानी हो। वहीं यदि वातावरण में प्रदूषण को स्तर ज्यादा होगा, तो यह अपने आप छिद्रों को उसके हिसाब से ढाल लेंगें।

कैसे काम करता है यह फेस मास्क 

इसके लिए शोधकर्ताओं ने महीन छिद्रों वाला एक डायनेमिक एयर फिल्टर विकसित किया है। नैनोफाइबर से बने इस फिल्टर पर खिंचाव पड़ने पर मौजूद महीन छिद्र फैल सकते हैं, जिस वजह से उसमें से कहीं ज्यादा हवा गुजर सकती है। हालांकि इसके बावजूद इसके फिल्टर करने की दक्षता में केवल 6 फीसदी की ही गिरावट आती है।

इस फेस मास्क में शोधकर्ताओं ने फिल्टर के चारों ओर खिंचाव के लिए स्ट्रेचर लगाया है जो एक हल्के, पोर्टेबल डिवाइस से जुड़ा था। इस डिवाइस में एक सेंसर, एयर पंप और माइक्रोकंट्रोलर चिप लगाया गया है।

यह डिवाइस एक बाहरी कंप्यूटर के साथ वायरलेस तरीके से संचार करता है, जो इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर की मदद लेता है। यह सिस्टम हवा में मौजूद कणों और पदार्थों के आधार पर प्रतिक्रिया करता है। साथ ही व्यायाम के दौरान इसे पहनने वाले की सांस के पैटर्न के हिसाब से अपने आप में बदलाव कर सकता है। 

शोधकर्ताओं ने इस फेस मास्क के दोनों ओर फिल्टर लगाए हैं। जांच के समय जब इसे पहनकर व्यायाम करने वाले वालंटियर ने दूषित वातावरण में व्यायाम करना शुरु किया तो इस फेस मास्क के छिद्र प्रदूषण के लिहाज से अपने आप छोट हो गए थे।

इस मास्क की एक बड़ी खासियत यह है कि इसमें लगे एआई सॉफ्टवेयर की मदद से रेस्पिरेटर, लगाने वाले की सांस के पैटर्न के आधार पर अपने आप को ढाल लेता है। ऐसे में हर किसी व्यक्ति के हिसाब से उसका अपना फेस मास्क विकसित किया जा सकता है। 

यह शोध अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल एसीएस नैनो में प्रकाशित हुआ है।