विज्ञान

वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ा एक नया ग्रह, जिसमें है जीवन की सम्भावना

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस ग्रह पर पानी तरल अवस्था में मौजूद है। क्योंकि इसका तापमान पानी को तरल अवस्था में बनाये रखने में सक्षम है

Lalit Maurya

क्या हमारी धरती के अलावा भी कहीं जीवन है? क्या सचमुच में एलियन होते है? इस बात पर अक्सर चर्चा होती रहती है। कोई इसे सही मानता है और कोई नहीं। पर एक बात तो पक्की है कि इस दुनिया से परे कई ग्रह ऐसे हैं जहां जीवन हो सकता है और वैज्ञानिक भी इस बात से इंकार नहीं करते हैं। उनका भी मानना है कि हमारे सौरमंडल से बाहर भी कई ग्रहों पर जीवन हो सकता है। कई बार तो इसके सबूत भी मिले हैं।

अभी हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऐसा ही एक ग्रह को ढूंढ़ने का दावा किया है जिसपर दशाएं जीवन के अनुकूल हैं। उन्होंने इसे 'के-2 18बी' नाम दिया है। उनका मानना है कि इस ग्रह में जीवन हो सकता है। आकार में यह ग्रह हमारी पृथ्वी से करीब दोगुना बड़ा पर नेपच्यून से छोटा है। जिसकी खोज यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ताओं द्वारा की गयी है, जिसकी अगुवाई एक भारत मूल के खगोल विज्ञानी निक्कू मधुसूधन द्वारा की गयी है। जिससे जुड़ा अध्ययन द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

इसे जीवन के अनुकूल बनाती है पानी और हाइड्रोजन की मौजूदगी

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस ग्रह पर पानी तरल अवस्था में मौजूद है। क्योंकि इसका तापमान पानी को तरल अवस्था में बनाये रखने में सक्षम है। साथ ही यहां वातावरण में हाइड्रोजन की मौजूदगी इसे जीवन के अनुकूल बनाती है।  यदि इसके रेडियस को देखें तो यह पृथ्वी से करीब 2.6 गुना बड़ा और 8.6 गुना वजनी है। इसके साथ ही यह अपने तारे से जिस दूरी पर परिक्रमा करता है उसके चलते यहां जीवन संभव हो सकता है। जिस प्रकार सूर्य से पृथ्वी की दूरी उसे जीवन के अनुकूल बनाती है।

गौरतलब है कि यह ग्रह 2019 में उस समय चर्चा में आया था, जब दो अलग-अलग टीमों ने इसके हाइड्रोजन युक्त वातावरण में जलवाष्प के पाए जाने की पुष्टि की थी। हलांकि उस समय इसके वातावरण और आंतरिक संरचना के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं थी।

मधुसूदन ने बताया कि इससे पहले भी हमारे सौरमंडल के बाहर कई ग्रहों पर जलवाष्प के रूप में पानी के मिलने के सबूत मिले हैं। पर यह जरुरी नहीं की जहां पानी होगा वहां जीवन भी होगा। पर इस ग्रह पर सभी परिस्थितियां ऐसी हैं जो इसे जीवन पनपने के अनुकूल बनाती है। इसकी आंतरिक संरचना चट्टानों और लोहे से बनी हैं। जिनके अंदर पानी की मौजूदगी है और उसे हाइड्रोजन द्वारा घेरा गया है।

यदि हाइड्रोजन का घनत्व ज्यादा होता है तो उससे बनने वाला दबाव और वातावरण जीवन के अनुकूल नहीं होता। परन्तु इस नए अध्ययन से पता चला है कि इस ग्रह के इतने विशाल होने के बावजूद इस पर मौजूद हाइड्रोजन का घनत्व जरुरत से ज्यादा नहीं है और पानी भी उस अवस्था में है जो जीवन पनपने में सहयोग करता है। इसके अलावा ग्रह के वातावरण में मीथेन और अमोनिया जैसे अन्य रसायनों का स्तर अपेक्षा से कम था। जिस कारण यहां जैविक प्रक्रियाओं का होना संभव है।

उनके अनुसार इस ग्रह पर हाइड्रोजन की न्यूनतम मात्रा इसके भार के लगभग दस लाखवें हिस्से के बराबर है। जोकि पृथ्वी के वायुमंडल के सामान ही है। यही वजह है कि यहां परिस्थितियां समुद्रों के निर्माण के अनुकूल हैं। साथ ही इसपर पड़ने वाला दबाव और वातावरण धरती के नीचे पानी के तरल रूप में रहने के भी अनुकूल है। यह खोज एक बार फिर इस बात को बल देती है कि संभव है की हमारे सौरमंडल के बाहर भी जीवन है। बस हम अब तक उसे ढूंढ़ नहीं पाए हैं।