विज्ञान

वैज्ञानिकों ने खोजा टिड्डियों के फसल को चट करने से रोकने वाला रसायन: शोध

परीक्षण में पाया गया कि फेनिलैसेटोनिट्राइल (पैन) नामक केमिकल ने टिड्डियों को पीछे हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

Dayanidhi

टिड्डियां अपना अधिकांश जीवन शांतिपूर्ण शाकाहारी के रूप में व्यतीत करती हैं। हालांकि ये विशाल झुंड बनाकर उगने वाली सभी चीजों को नष्ट कर देती हैं। टिड्डियों की समस्या प्राचीन समय से चली आ रही हैं, टिड्डियां आज पूरे एशिया और अफ्रीका में लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं

लेकिन एक नई खोज से पता चला है कि, झुंड में फसलों को चट करने से बचाने के लिए कीड़ों द्वारा उत्सर्जित फेरोमोन या एक तरह की गंध, इन कीटों पर लगाम लगाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के इवोल्यूशनरी न्यूरो-एथोलॉजी विभाग के निदेशक तथा प्रमुख शोधकर्ता, बिल हैनसन ने बताया कि टिड्डियों का झुंड अक्सर फसल को चट कर जाता है। उन्होंने कहा, प्रकृति में कई चीजें व्याप्त है, जैसे शेर उन शावकों को मारते हैं और खा जाते हैं जो उनके नहीं होते हैं, लोमड़ियों से लेकर कई जानवर जो ऊर्जा के लिए मृत परिजनों को खा जाते हैं।

टिड्डियों के लिए, उपभोग को एक अहम पारिस्थितिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए माना जाता है। प्रवासी टिड्डियां (लोकस्टा माइग्रेटोरिया) अलग-अलग रूपों में होती हैं और अलग तरह का व्यवहार करती हैं, जिसके कारण उन्हें पूरी तरह से अलग प्रजाति माना जाता है।

ज्यादातर समय, वे अकेले रहते हैं और डरपोक टिड्डियों की तरह तुलनात्मक रूप से कम खाते हैं। लेकिन जब वर्षा और अस्थायी रूप से अच्छी प्रजनन स्थितियों के कारण उनकी आबादी का घनत्व बढ़ जाता है, जिसके बाद भोजन की कमी हो जाती है, तो वे उन हार्मोनों की भीड़ के कारण व्यवहार में बड़े बदलाव के दौर से गुजरते हैं जो उन्हें बदलते हैं, जिससे वे झुंड में एकत्रित होकर और अधिक आक्रामक हो जाते हैं।

मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एनिमल के इयान कूजिन द्वारा किए गए शोध के अनुसार, इसे "ग्रेगोरियस" चरण के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उपभोग का डर झुंड को उसी दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है, जो कम से भोजन की अधिक मात्रा वाले क्षेत्र में होता है। 

हैनसन ने बताया कि टिड्डियां एक दूसरे को पीछे से खाती हैं। इसलिए यदि आप हिलना बंद कर देते हैं, तो आप दूसरे द्वारा खा लिए जाते हैं और इससे हमें लगता है कि लगभग हर जानवर जो खतरे में है, उसके पास अपने आपको बचाने का तरीका है। 

शोधकर्ता ने बताया कि, कठिन प्रयोग जिन्हें पूरा करने में चार साल लगे, इसमें हमने पहली बार यह स्थापित किया कि खाने की दर में वास्तव में वृद्धि हुई है  क्योंकि एक पिंजरे में रखी गई यूथली टिड्डियों की संख्या बढ़ गई थी, प्रयोगशाला में यह साबित हो गया कि कूजिन ने अफ्रीका क्षेत्र में क्या देखा था।

इसके बाद, उन्होंने एकान्त और झुंड में रहने वाले टिड्डियों द्वारा उत्सर्जित गंधों की तुलना की, जिसमें 17 गंधों को विशेष रूप से सामूहिक चरण के दौरान उत्पन्न किया गया।

इनमें से एक केमिकल, जिसे फेनिलैसेटोनिट्राइल (पैन) के रूप में जाना जाता है, परीक्षण में पाया गया कि इसने अन्य टिड्डियों को पीछे हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

फेनिलैसेटोनिट्राइल (पैन) एक शक्तिशाली विष के संश्लेषण में शामिल होता है, जो कभी-कभी टिड्डियों में हाइड्रोजन साइनाइड द्वारा निर्मित होता है, इसलिए उत्सर्जक पैन दूसरों को पीछे हटने के लिए संकेत के रूप में उपयुक्त प्रतीत होता है।

जीनोम में बदलाव के द्वारा टिड्डियों पर लगाम

खोज की पुष्टि करने के लिए, शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक रूप से टिड्डियों में बदलाव करने के लिए क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट (सीआरआईएसपीआर) का उपयोग किया ताकि वे अब पैन का उत्पादन न कर सकें, जिससे वे खाने के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए थे।

आगे की पुष्टि के लिए, शोधकर्ताओं ने दर्जनों टिड्डियों के घ्राण रिसेप्टर्स का परीक्षण किया, अंततः एक जो पैन के प्रति बहुत असरदार पाया गय।

एक संबंधित अवलोकन में, शोधकर्ता इयान कूजिन और ईनाट कूजिन-फुच्स ने कहा कि खोज ने उन तंत्रों के बीच जटिल संतुलन पर प्रकाश डालने में मदद की जो प्रवासी टिड्डियां एक साथ समूह बनाते हैं बनाम एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

भविष्य में टिड्डियों के नियंत्रण के लिए इस तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जो अधिक प्रतिस्पर्धा की दिशा में नाजुक संतुलन के उपायों का उपयोग करते हैं, लेकिन हैनसन ने कहा कि हम इन प्रजातियों को पूरी तरह से खत्म नहीं करना चाहते हैं।  

उन्होंने कहा, अगर हम झुंड के आकार को कम कर सकते हैं, उन्हें उन क्षेत्रों में ले जा सकते हैं जहां हम अपनी फसल नहीं उगा रहे हैं, तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। यह शोध साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।