विज्ञान

वैज्ञानिकों ने खोजी बैटरी रीसाइक्लिंग की कुशल व पर्यावरण के अनुकूल तकनीक

Dayanidhi

स्वीडन में चाल्मर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता अब खत्म हो चुकी इलेक्ट्रिक कार बैटरियों से धातुओं को रीसायकल करने का एक नया और कुशल तरीका निकाला है। यह विधि इलेक्ट्रिक कार बैटरियों में 100 प्रतिशत एल्यूमीनियम और 98 प्रतिशत लिथियम दोबारा हासिल करने में मदद करती है।

साथ ही, निकल, कोबाल्ट और मैंगनीज जैसे मूल्यवान कच्चे माल का नुकसान कम हो जाता है। इस प्रक्रिया में किसी महंगे या हानिकारक रसायन की आवश्यकता नहीं है क्योंकि शोधकर्ता ऑक्सालिक एसिड का उपयोग करते हैं , जो एक कार्बनिक एसिड जो पौधों में पाया जाता है। यह शोध सेपरेशन एंड पुरीफिकेशन टेक्नोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है

चाल्मर्स यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान और रसायन इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ता ली रूक्वेट कहते हैं कि, अब तक, कोई भी ऑक्सालिक एसिड का उपयोग करके लिथियम को अलग करने के साथ-साथ एल्यूमीनियम को हटाने के लिए बिल्कुल सही तरीका खोजने में कामयाब नहीं हुआ है। क्योंकि सभी बैटरियों में एल्यूमीनियम होता है, इसलिए हमें अन्य धातुओं के नुकसान के बिना इसे हटाने में सक्षम होने की आवश्यकता है।

चाल्मर्स यूनिवर्सिटी की बैटरी रीसाइक्लिंग लैब में, रूक्वेट और शोध समन्वयक मार्टिना पेट्रानिकोवा दिखाते हैं कि नई विधि कैसे काम करती है। प्रयोगशाला ने कार की बैटरी सेलों और फ्यूम कप्बोर्ड में सामग्री का उपयोग कर देता है। यह एक पारदर्शी तरल, ऑक्सालिक एसिड में घुले हुए बारीक पिसे हुए काले पाउडर का रूप ले लेता है।

रूक्वेट ने रसोई में उपयोग होने वाले मिक्सर का उदाहरण देते हुए बताया कि, यह पाउडर और तरल दोनों का उत्पादन करता है। हालांकि यह कॉफी बनाने जितना आसान लगता है, सटीक प्रक्रिया एक अनोखी और हाल ही में प्रकाशित वैज्ञानिक सफलता है। तापमान, मिश्रण और समय पर ठीक करके, शोधकर्ता ऑक्सालिक एसिड का उपयोग करने के लिए एक उल्लेखनीय नया नुस्खा लेकर आए हैं,  जो कि पर्यावरण अनुकूल है और रूबर्ब और पालक जैसे पौधों में पाया जाता है।

चाल्मर्स यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान और रसायन इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर मार्टिना पेट्रानिकोवा कहती हैं, हमें अकार्बनिक रसायनों के विकल्प की आवश्यकता है। आज की प्रक्रियाओं में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक एल्यूमीनियम जैसी अवशिष्ट सामग्री को हटाना है। यह एक अनोखा तरीका है जो रीसाइक्लिंग उद्योग को नए विकल्प प्रदान कर सकता है और विकास में बाधा डालने वाली समस्याओं को हल करने में मदद कर सकता है।

जलीय-आधारित पुनर्चक्रण विधि को हाइड्रोमेटालर्जी कहा जाता है। पारंपरिक हाइड्रोमेटालर्जी में, ईवी बैटरी सेल में सभी धातुएं एक अकार्बनिक एसिड में घुल जाती हैं। फिर, आप एल्यूमीनियम और तांबे जैसी "अशुद्धियां" हटा देते हैं। अंत में, आप कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज और लिथियम जैसी मूल्यवान धातुओं को अलग से फिर से हासिल कर सकते हैं।

भले ही अवशिष्ट एल्यूमीनियम और तांबे की मात्रा कम है, इसके लिए कई शुद्धिकरण चरणों की आवश्यकता होती है और इस प्रक्रिया में प्रत्येक चरण लिथियम के नुकसान का कारण बन सकता है। नई विधि के साथ, शोधकर्ता क्रम को उलट देते हैं और पहले लिथियम और एल्यूमीनियम को फिर से हासिल करते हैं। इस प्रकार, वे नई बैटरियां बनाने के लिए आवश्यक मूल्यवान धातुओं की बर्बादी को कम कर सकते हैं।

प्रक्रिया के बाद वाला भाग, जिसमें काले मिश्रण को छाना जाता है, जो कॉफी बनाने की याद दिलाता है। जबकि एल्यूमीनियम और लिथियम तरल में मिल जाते हैं, अन्य धातुएं "ठोस" रह जाती हैं। प्रक्रिया में अगला कदम एल्यूमीनियम और लिथियम को अलग करना है।

रूक्वेट कहते हैं, क्योंकि धातुओं में बहुत अलग-अलग गुण होते हैं, इसलिए हमें नहीं लगता कि उन्हें अलग करना मुश्किल होगा। हमारी विधि बैटरी रीसाइक्लिंग के लिए एक आशाजनक नया रास्ता है, एक ऐसा मार्ग जो निश्चित रूप से आगे की खोज की गारंटी देता है। पेट्रानिकोवा कहती हैं कि, इस पद्धति को बढ़ाया जा सकता है, हमें उम्मीद है कि भविष्य में इसका उपयोग उद्योग में किया जाएगा।

पेट्रानिकोवा के शोध टीम ने लिथियम-आयन बैटरियों में पाई जाने वाली धातुओं के रीसाइक्लिंग में अत्याधुनिक शोध करने में कई वर्ष बिताए हैं। टीम इलेक्ट्रिक कार बैटरी रीसाइक्लिंग विकसित करने के लिए कंपनियों के साथ विभिन्न सहयोगों में शामिल रहे है।