शोधकर्ताओं ने एक नई सामग्री विकसित की है जिसका उपयोग एक्स-रे डिटेक्टर बनाने के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के लिए बहुत कम हानिकारक हैं और मौजूदा तकनीकों की तुलना में इसमें खर्चा भी कम होता है।
अमेरिका की फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के रसायन विज्ञान और जैव रसायन विभाग के प्रोफेसर बीवू मा के नेतृत्व में टीम ने एक्स-रे स्कंटिलेटर बनाए। इसका निर्माण पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है।
कम लागत की स्कंटिलेटर वाली सामग्री को विकसित करना जो अच्छा प्रदर्शन भी करे, एक बड़ी चुनौती है। यह काम इन महत्वपूर्ण उपकरणों को बनाने के लिए नए दृष्टिकोणों की खोज करता है। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
कैसे काम करता है एक्स-रे स्कंटिलेटर
एक्स-रे स्कंटिलेटर एक एक्स-रे के विकिरण को देखने लायक प्रकाश में परिवर्तित करते हैं, ये सामान्य प्रकार के एक्स-रे डिटेक्टर हैं। इसका उपयोग चिकित्सा जांच में आपके हड्डियों, दांतों की छवियों को लेने या जब आप हवाई अड्डे पर जाते हैं, तो आपके सामान को स्कैन करने के लिए स्कंटिलेटर का उपयोग किया जाता है।
एक्स-रे स्कंटिलेटर बनाने के लिए विभिन्न सामग्रियों का उपयोग किया गया है, लेकिन इसका निर्माण करना मुश्किल या महंगा हो सकता है। कुछ हालिया तरीके इनको बानाने के लिए यौगिकों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते है। इन यौगिकों में सीसा भी शामिल है, जो कि एक विषैली धातु है जो एक चिंता का विषय है।
मा की टीम ने इन सबसे निजात पाने के लिए एक अलग समाधान ढूंढा है। उन्होंने स्कंटिलेटर बनाने के लिए यौगिक कार्बनिक मैंगनीज हैलाइड का उपयोग किया। जिसमें सीसा या भारी धातुओं का उपयोग नहीं किया गया है। यौगिक का उपयोग एक पाउडर बनाने के लिए किया जा सकता है जो छवियों (इमेजिंग) को बनाने में बहुत अच्छा काम करता है। इसे एक पॉलीमर के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि एक लचीला मिश्रण बनाया जा सके जो एक स्कंटिलेटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग करना आसान है, इसी कारण यह इस तकनीक को बेहतर और व्यापक बनाता है।
मा ने कहा शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के यौगिकों के साथ एक्स-रे स्कंटिलेटर बनाया, लेकिन सभी में यह तकनीक सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली, कम खर्चीला और पर्यावरण के अनुकूल है।