विज्ञान

फ्यूजन एनर्जी में क्रांति लाने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का सबसे शक्तिशाली मैगनेट

अपने कोर में सेंट्रल सोलेनॉइड के चुंबकीय क्षेत्र की ताकत 13 टेस्ला तक पहुंच सकती है जोकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से लगभग 280,000 गुना ज्यादा शक्तिशाली है

Lalit Maurya

फ्यूजन एनर्जी में क्रांति लाने के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली मैगनेट बनाया है। इस मैगनेट का उपयोग फ्यूजन एनर्जी उत्पन्न करने के लिए बनाई जा रही मशीन इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) में किया जाएगा। इस मैगनेट को लगभग एक दशक के डिजाइन और निर्माण के बाद, जनरल एटॉमिक्स ने तैयार किया है, जिसे ‘सेंट्रल सोलनॉइड’ नाम दिया गया है। इसका पहला मॉडल भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है।

यह चुम्बक आईटीईआर मशीन का केंद्रीय घटक है। गौरतलब है कि इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) मशीन अपनी तरह का एक अनूठा प्रोजेक्ट है, जो सूर्य की फ्यूजन एनर्जी की नकल पर आधारित है। इस मशीन को भारत सहित 35 देशों के सहयोग से दक्षिणी फ्रांस में बनाया जा रहा है।

इस आईटीईआर मिशन का उद्देश्य यह साबित करना है कि हाइड्रोजन फ्यूजन की मदद से सूर्य के समान ही ऊर्जा को पृथ्वी पर बनाया और नियंत्रित किया जा सकता है। फ्यूजन एनर्जी, ऊर्जा का कार्बन मुक्त, सुरक्षित और किफायती साधन है। ऊर्जा का यह साधन लाखों वर्षों से समाज को ऊर्जा प्रदान कर रहा है, जो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद आईटीईआर प्रोजेक्ट लगभग 75 फीसदी तैयार हो चुका है। पिछले 15 महीनों से, दुनिया के तीन महाद्वीपों से फ़्रांस में इस मशीन के लिए अपनी तरह के बड़े पैमाने पर घटक आने शुरू हो गए हैं। जब यह घटक एक साथ इकट्ठे होंगें तो वे औद्योगिक पैमाने पर फ्यूजन एनर्जी का निर्माण करने के लिए आईटीईआर टोकामक यानी "पृथ्वी पर सूर्य" का निर्माण करेंगे।

यह आईटीईआर प्रोजेक्ट 35 देशों के सहयोग से बन रहा है जिसका भारत भी हिस्सा है। इसमें यूरोपियन यूनियन, चीन, भारत, जापान, कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इस सेंट्रल सोलेनॉइड मैगनेट का निर्माण इसी आईटीईआर प्रोजेक्ट के लिए किया गया है, जोकि छह मॉड्यूल से बने होंगे। इसका निर्माण अमेरिका द्वारा किया गया है।

पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह मैगनेट करीब 18 फीट लम्बा और 14 फीट चौड़ा होगा, जबकि इसका वजन करीब एक हजार टन होगा। यह मैगनेट आईटीईआर प्लाज्मा में एक शक्तिशाली करंट को प्रेरित करेगा, जिसकी मदद से लम्बे समय तक उठने वाली कंपन के दौरान भी संलयन प्रतिक्रिया को आकार देने और नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। यही वजह है कि इसे आईटीईआर मशीन का "बीटिंग हार्ट" भी कहा जाता है।

कितना शक्तिशाली है यह मैगनेट सेंट्रल सोलेनॉइड?

यह मैगनेट सेंट्रल सोलेनॉइड कितना शक्तिशाली है? इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस मैगनेट का चुंबकीय बल एक विमानवाहक पोत को 2 मीटर (6 फीट) तक हवा में उठाने के लिए काफी है। इसके कोर में, मैग्नेटिक फील्ड की ताकत 13 टेस्ला तक पहुंच जाएगा, जोकि पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से लगभग 280,000 गुना ज्यादा है।

यह कितना मजबूत है इसका अंदजा इससे लगाया जा सकता है कि सेंट्रल सोलनॉइड को समर्थन देने के लिए बनाई संरचनाओं को अंतरिक्ष शटल को ऊपर उठाने के लिए जितने जोर की जरुरत होती है उससे लगभग दोगुने बल का सामना करना होगा। इस साल की शुरुआत में ही जनरल एटॉमिक्स ने पहले सेंट्रल सोलेनॉइड मॉड्यूल का अंतिम परीक्षण पूरा किया था। जिसे इस हफ्ते फ्रांस के लिए भेजा जाएगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार सेंट्रल सोलनॉइड, फ्यूजन एनर्जी के निर्माण के लिए बनाए जा रहे आईटीईआर मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह ऊर्जा का साफ-सुथरा और कार्बन मुक्त स्रोत है, जोकि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यह भविष्य की ऊर्जा का सुरक्षित, व्यवहारिक और अटूट स्रोत है।

इस परियोजना के बारे में जनरल एटॉमिक्स (जीए) के निदेशक जॉन स्मिथ ने बताया कि यह परियोजना अब तक किए गए सबसे बड़े, सबसे जटिल और सबसे ज्यादा मांग वाली मैगनेट परियोजनाओं में से एक है। उनके अनुसार इस मॉड्यूल के साथ पांच अन्य और एक अतिरिक्त सेंट्रल सोलेनॉइड मॉड्यूल भी निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इसका मॉड्यूल 2 अगस्त को भेजा  जाएगा।