विज्ञान

वैज्ञानिकों ने बनाये माइक्रो रोबोटस जो रेडियोएक्टिव कचरे को कर सकते हैं साफ

बहुत ही छोटे आकर के यह स्वचालित रोबोट रेडियोएक्टिव कचरे को दूर करने में सक्षम है, साथ ही यह किसी हादसे की स्थिति में यूरेनियम के रिसाव को भी साफ कर सकतें हैं

Lalit Maurya

कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा का एक अच्छा विकल्प है जो दुनिया में दिनोदिन बढ़ रही ऊर्जा कि मांग को पूरा कर सकती है । साथ ही यह एक ऐसा विकल्प है जो जलवायु के दृष्टिकोण से भी अच्छा है, क्योंकि यह ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करता । पर इसके उपयोग की सबसे बड़ी समस्या इससे होने वाला रेडियोएक्टिव कचरा है, जो ने केवल पर्यावरण बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। पर शायद यह चिंता कुछ समय में दूर हो जाएगी, क्योंकि वैज्ञानिकों ने बहुत ही छोटे आकार के ऐसे स्वचालित रोबोट बनाने का दावा किया है, जो परमाणु ऊर्जा संयंत्र से निकले अपशिष्ट जल से रेडियोएक्टिव कचरे को साफ करने में सक्षम हैं । साथ ही यह किसी हादसे की स्थिति में यूरेनियम के रिसाव को भी दूर कर सकतें हैं । इसके सन्दर्भ में किया गया शोध जर्नल एसीएस नैनो में छपा है, जहां इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। 

दुनिया में शायद ही कोई हो जो चेरनोबिल और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे को भूला होगा, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गयी थी और पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ था। यह हादसे इतने भयानक थे कि इनके निशान आज भी देखे जा सकते हैं | वैज्ञानिक आज भी दशकों बाद इससे होने वाले रिसाव से निपटने की कोशिश कर रहें हैं। इन हादसों ने परमाणु ऊर्जा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया था, कि क्या परमाणु ऊर्जा हमारे लिए सुरक्षित है? पर वैज्ञानिकों द्वारा की गयी यह नयी खोज इस सवाल का जवाब दे सकती है और इस तरह के खतरों को सीमित कर सकती है।

कैसे काम करतें हैं यह रोबोटस

हालांकि वैज्ञानिकों ने वेस्टवाटर में से यूरेनियम को अलग करने, मिटाने और पुनर्प्राप्त करने के लिए पहले भी मैटेरियल विकसित किया है, पर उसकी कुछ सीमायें हैं। मेटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क (एमओएफ), रेडिएशन और रेडियोएक्टिव कचरे से निपटने के अब तक के सबसे कारगर और बेहतर तरीकों में से एक है, जो कि कुछ विशिष्ट तत्वों जैसे यूरेनियम को अपनी छिद्रयुक्त संरचना के भीतर फंसा सकता है। मार्टिन पुमेरा और उनके सहयोगियों ने रॉड (छड़) के आकार के एमओएफ, जिसे जेडआइएफ-8 कहा जाता है, में यह देखने के लिए एक माइक्रो मोटर जोड़ दी कि क्या यह रेडियोएक्टिव कचरे को जल्द साफ कर सकता है। अपने स्व-चालित माइक्रो रोबोटस को बनाने के लिए, वैज्ञानिकों ने जेडआइएफ-8 रॉड को मानव बाल के व्यास के 15वे हिस्से के बराबर डिजाइन किया।

इसके बाद उन्होंने आयरन एटम्स और आयरन ऑक्साइड के नैनोपार्टिकल्स को क्रमशः इसकी संरचना को स्थिर और चुंबकीय बनाने के लिए इसमें मिला दिया । प्रत्येक छड़ के छोर पर लगे कैटालिटिक प्लैटिनम नैनोपार्टिकल्स ने पानी में हाइड्रोजन पेरोक्साइड को ऑक्सीजन के बुलबुले में परिवर्तित कर दिया, जिसने माइक्रो रोबॉटस को प्रति सेकंड अपनी ही लंबाई के 60 गुनी गति प्रदान कर दी। माइक्रो रोबॉटस को रिसाइकल करने के लिए टीम ने एक चुंबक की सहायता से यूरेनियम से भरी छड़ें एकत्र कर ली और उनमें से यूरेनियम को साफ कर दिया।

गौरतलब है कि अध्ययन के दौरान माइक्रोबोबॉट्स ने एक घंटे में रेडियोएक्टिव वेस्टवाटर से 96 फीसदी यूरेनियम को साफ कर दिया। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह स्व-चालित माइक्रो रोबॉटस एक दिन रेडियोएक्टिव कचरे के प्रबंधन और रिसाव से बचाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं। साथ ही इनकी सहायता से चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसी त्रासदी से होने वाली तबाही को सीमित और कचरे का उचित प्रबंधन किया जा सकता है।