इंसान के सात मनोविकारों में से एक है क्रोध। क्रोध यानी गुस्सा। क्रोधी व्यक्ति को बुरा व्यक्ति माना जाता है और क्रोध दूसरों का ही नहीं, बल्कि अपना नुकसान भी करता है। आखिर वैज्ञानिक इसे किस नजरिए से देखते हैं। यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ की साइंस रिपोर्टर रोहिणी कृष्णामूर्ति ने ऑरोन सेल से बात की। ऑरोन सेल - अमेरिका के हीडलबर्ग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान और अपराध विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर सेल की शोध रुचियों में क्रोध, घृणा और आक्रामकता शामिल हैं। सेल का एक आगामी पेपर अत्यधिक क्रोध पर है
क्या गुस्से को समझना जरूरी है?
मेरा एक अच्छा दोस्त एक बहुत ही हिंसक अपराध का शिकार हुआ था। उस समय मुझे क्रोध का अनुभव हुआ था। लेकिन, पीछे मुड़कर देखने पर मुझे लगता है कि वह नफरत की भावना थी, जो कुछ हद तक अलग भाव हैं। यही वो पल था जिसने मुझे इस खास विषय पर सोचने को प्रेरित किया।
क्रोध को अच्छी तरह से समझा जाना चाहिए, क्योंकि मुझे लगता है कि दुनिया में अधिकांश पारस्परिक हिंसा (जिनमें मारपीट और हत्या के मामले शामिल हैं) के लिए अन्य भावना की तुलना में गुस्सा ज्यादा जिम्मेदार है। अगर आप मानव हत्या के अधिकांश मामलों पर नजर डालें तो पाते हैं कि आमतौर पर इसमें अविवाहित पुरुषों का किसी मामूली बात पर किया गया झगड़ा शामिल होता है। इस सिलसिले में हम पेंसिल्वेनिया के स्क्रैंटन में हुई वारदात की मिसाल ले सकते हैं जहां एक आदमी ने दूसरे को इसलिए गोली मार दी थी कि उसने अपनी बर्फ को फावड़े से हटाकर उसकी गाड़ी के रास्ते को बाधित कर दिया था। इससे दोनों में बहस छिड़ गई और एक ने दूसरे को गोली मार दी। मुझे लगता है कि इसे सामाजिक दृष्टिकोण से समझना जरूरी है।
ऐसे अनेक मिलते-जुलते मामले हैं। गुस्सा, रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह रिश्तों में मदद भी कर सकता है। यदि आपने कभी गुस्सा जाहिर नहीं किया तो लोग आपका फायदा भी उठा सकते हैं। क्रोध के विकास का एक कारण है। जब आप क्रोध के व्याकरण व चर और उनके काम करने के तरीकों को समझने लगते हैं तो ये आपको विवादों को सुलझाने में बेहतर रूप से मदद कर सकता है। क्योंकि तब आप सटीकता से ये बता सकते हैं कि आखिर आपको किस बात पर गुस्सा आ रहा है।
हत्या या हिंसा का कारण क्या है? क्या यह गुस्सा है या आक्रामकता?
क्रोध एक भावनात्मक क्रिया है। यह प्राकृतिक चयन का हिस्सा है जो हमें बेहतर बर्ताव के लिए मोलभाव करने में मदद करता है। आक्रामकता की परिभाषा आमतौर पर ऐसे व्यवहार या मांसपेशियों की हरकत या आपके द्वारा अंजाम दी गई ऐसी गतिविधि के तौर पर दी जाती है जिसकी कीमत किसी और को चुकानी होती है। आक्रामकता की अलग-अलग परिभाषाएं हैं। मुझे लगता है कि ज्यादातर मामलों में आक्रामकता क्रोध से आती है। लेकिन आक्रामकता के अन्य कारण भी हैं। यह भय, घृणा और ईर्ष्या से हो सकती है।
आक्रामकता लागत-लाभ विश्लेषण से आ सकती है। किसी हमलावर (हिटमैन) या किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में कल्पना करें जो किसी अपराध के दौरान आक्रामकता का प्रयोग इसलिए नहीं करता कि वो किसी को चोट पहुंचाना चाहता है बल्कि इसलिए करता है ताकि वो दौलत तक पहुंच बना सके। कुछ हद तक गुस्सा अच्छा है। लेकिन इसके चरम स्तरों का परिणाम किसी न किसी प्रकार की हिंसा के रूप में सामने आता है।
आपको अत्यधिक क्रोध के उदाहरण मिल सकते हैं जहां इंसान खुद अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेता है। स्क्रैंटन, पेंसिल्वेनिया के शख्स के मामले को ही ले लीजिए जिसने बर्फ को हटाए जाने को लेकर अपने पड़ोसी को गोली मार दी। इस वारदात को अंजाम देने के बाद वह अपने घर लौटा और उसने अपने आप को गोली मार ली, शायद इसलिए क्योंकि उसे अपनी जिंदगी का अब कोई मतलब नजर नहीं आया। जब लोग गुस्से में होते हैं तो वे अच्छे निर्णय नहीं लेते।
क्रोध के साथ निश्चित रूप से समस्याएं हैं। अगर आप इन समस्याओं को इकट्ठा करें तो क्रोध शादीशुदा जिंदगी, रिश्तों और दोस्ती के लिए विनाशकारी हो सकता है।
अगर क्रोध नुकसान पहुंचा सकता है तो ये मनुष्य में उत्पन्न क्यों होता है?
हम उन लोगों से विकसित हुए हैं जो गुस्सा करते थे। वे कुछ परिस्थितियों और अलग-अलग वजहों के चलते दूसरों की तुलना में अधिक क्रोधित हो जाते थे। जब वे क्रोधित हुए तो कुछ परिस्थितियों में हिंसक या आक्रामक हो गए, लेकिन कुछ अन्य परिस्थितियों में उन्होंने ऐसा रुख नहीं दिखाया। तो इस सबके अंत में आप के सामने एक बेहद जटिल प्रणाली उभरकर सामने आती है।
यदि आप हमारे विकासवादी अतीत के बारे में सोचते हैं तो मेरा तर्क ये है कि क्रोध के कारक के रूप में लोग आपका सम्मान करने लगते हैं। यह ये बताने का एक तरीका है कि आप मेरे साथ इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते। और फिर जब व्यक्ति माफी मांग लेता है तो गुस्सा दूर हो जाता है।
विकासात्मक रूप से अतीत में आपको जितना सम्मान दिया गया, उसका आपके जीवित रहने और प्रजनन करने की संभावना पर नाटकीय प्रभाव रहा। हम सामाजिक प्राणी हैं, ऐसे में रुतबा और सम्मान पाने की क्षमता अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण थी।
जिन लोगों को वह नहीं मिला संभवतः उनकी मृत्यु हो गई और उनकी बहुत कम संतानें थीं। हम उन लोगों के वंशज हैं जो सम्मान प्राप्त करने में कामयाब रहे और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने क्रोध का उपयोग करके इसे प्राप्त किया है, वो भी बेहद जटिल तरीके से।
इस जटिलता को सरल उदाहरणों से समझ सकते हैं। मिसाल के तौर किसी व्यक्ति को आपके कल्याण या आपकी देखभाल के बारे में सोचने पर मजबूर करने का एक तरीका ये है कि यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो आप उन्हें चोट पहुंचाने की धमक दिखा सकते हैं। इस तरह गुस्सा आक्रामक हो सकता है। हालांकि, अन्य संदर्भों में आक्रामकता उतने अच्छे से काम नहीं करती है। अगर आप एक स्वस्थ विवाह में पति-पत्नी के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध के बारे में कल्पना करते हैं तो आम तौर पर आप हिंसा की धमकी नहीं देते हैं। इसकी बजाए, जब आप क्रोधित होते हैं, तो संभावना यही होती है कि आप उनसे सुखद व्यवहार रोकने लगते हैं। जैसे गुस्सा प्रदर्शित करने के लिए मौन रहने लगते हैं। दोनों ही मामले बहुत अलग लगते हैं। एक है शरीर पर आक्रामकता थोपना जबकि दूसरा है सुखद बर्ताव रोकना। लेकिन गणित वही है,अगर आप मुझसे बेहतर बर्ताव नहीं करते तो मैं आपको चोट पहुंचाने जा रहा/रही हूं।
ऐसे मौके भी आते हैं जब आप किसी मामूली बात पर गुस्सा हो जाते हैं, और आप बस ये चाहते हैं कि सामने वाला ये समझे कि आप उस परिस्थिति में सही हैं।
उदाहरण के लिए आप आखिरी डोनट चाहते हैं और दूसरा इंसान भी वही चाहता है। शायद आप सोच सकते हैं कि उन्हें यह एहसास नहीं है कि आप कितने भूखे हैं। इसलिए, आप ये मांग नहीं रख रहे हैं कि वो आपका अधिक सम्मान करें। आप बस वह डोनट चाहते हैं और आप चाहते हैं कि वो ये जानें कि यह आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है।
आप अन्य प्राणियों में भी आश्चर्यजनक रूप से समान पैटर्न देखते हैं। उदाहरण के लिए, जब चीलें (बाल्ड ईगल) भोजन के लिए लड़ रही होती हैं, तो वे अपने पेट के वजन को दिखाने के लिए अपनी गर्दन को उठाकर अपने गले को बढ़ाती हैं। यह इस बात का संकेत होता है कि वो कितनी भूखी है। दूसरी चील भी ऐसा ही करेगी। दोनों पक्षी यह अनुमान लगाएंगे कि किसे भोजन की अधिक आवश्यकता है। यह प्रासंगिक है क्योंकि भूखा जानवर कठोरता से और लंबे समय तक लड़ता हैऔर इसलिए आपको शायद उनसे लड़ने के लिए वैसी ऊर्जा नहीं खपानी चाहिए।
लिंचिंग या नफरत में आकर किए गए अपराध का वाहक क्या है? क्या यह गुस्सा या घृणा है?
मुझे लगता है कि ऐसे ज्यादातर मामले नफरत से प्रेरित होते हैं। इसलिए, मैं यहां एक भेद करता हूं क्योंकि गुस्सा कहीं अधिक सामान्य है। क्रोध के लक्ष्य को जानने के लिए यदि आप ये देखें कि यह कैसे काम करता है, तो इसका मकसद किसी को दोबारा संतुलित करने के लिए बाध्य करना या आपके साथ बेहतर तरीके से व्यवहार करने को मजबूर करना है। यही कारण है कि माफी काम करती है।
यह देखा गया है कि आप उन लोगों से नफरत करते हैं जो आपके साथ बुरा बर्ताव करते हैं। या फिर जो आपके जीवन को बर्बाद करते हैं। ऐसे लोग जिनसे आप ईर्ष्या करते हैं वह अक्सर घृणा की ओर ले जाता है। जब मैंने कुछ सवालों के बारे में सोचना शुरू किया जैसे क्रोध और घृणा में अंतर क्या है? नफरत क्या करने की कोशिश कर रही है? हमारे पूर्वजों के बीच ये किस समस्या का हल कर रही है? लोगों से नफरत करते वक्त आप क्या करते हैं? तो पाया कि दरअसल आप लोगों को इसके बारे में बताते हुए ये कहते हैं कि वो कितने भयानक हैं। आप उनके बारे में बुरी जानकारियां फैलाते हैं। और उनमें से कुछ झूठ भी हो सकता है।
आप यह भी चाहते हैं कि जिनसे आप नफरत करते हैं उनके साथ बुरी घटनाएं हों। मैंने इस सारी जानकारी को इकट्ठा किया और ये देखा कि नफरत क्या कर रही है। यह उन लोगों को बेअसर करने की कोशिश कर रही है जिनका अस्तित्व आपके लिए बुरा है।
आप सोचें कि हमारे पूर्वज कैसे रहते थे, कुछ ऐसे शत्रु रहे होंगे जिनका अस्तित्व हमारे पूर्वजों के लिए अच्छा या बुरा था। अगर वे हमारे पूर्वजों को नुकसान पहुंचा रहे थे तो पूर्वजों को उस समस्या को हल करने के लिए चुना जाना चाहिए था। आप उस समस्या को कैसे हल करते हैं? दरअसल, आप विरोधियों पर जितना हो सके उतने बुरे और जितना संभव हो उतनी कुशलता से लगाम लगाते हैं। फिर वे या तो मर जाते हैं या मैदान छोड़ देते हैं क्योंकि उनका जीवन खराब हो जाता है। या वे मिसाल के लिए एक तानाशाह की तरह ताकत खो देते हैं।
क्रोध का एक चेहरा होता है। लेकिन शायद नफरत का कोई चेहरा नहीं होता। वाकई, अगर आप नफरत भरे किरदार निभाने वाले मशहूर अभिनेताओं या अभिनेत्रियों को देखें तो गेम ऑफ थ्रोन्स की सेर्सी लैनिस्टर एक अच्छा उदाहरण हैं।
जब वह किसी से नफरत करती है तो उसका चेहरा एकदम प्रचंड हो जाता है। इससे उसकी आंखें, भौंहें, नाक और इस तरह के अन्य अंग नहीं बदलते। और नफरत द्वारा प्रेरित आक्रामकता भी बहुत अलग लगती है। इसकी शुरुआत धक्का-मुक्की या गाली-गलौज से होती है और फिर कोई भी पक्ष पीछे नहीं हटता और न ही कोई पक्ष माफी मांगता है। यह बढ़ता जाता है और हिंसा होती है और यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसी गतिविधि एक अलग तरह की हिंसा को भी जन्म देती है, जिसकी परिणिति अक्सर यह होती है कि दोनों पक्ष सोचते हैं कि मैं तब तक इंतजार करने वाला हूं जब तक सामने वाला नजर नहीं मोड़ लेता। दोनों एक दूसरे को परेशान करने के बारे में सोचते हैं। दोनों पक्ष सोचते हैं कि एक दूसरे का जितना हो सके उतना नुकसान पहुंचाउंगा और उसके बाद ठहाके लगाउंगा।
घृणा को लक्ष्य को हटाने और बेअसर करने के हिसाब से तैयार किया गया है। इसमें इस तरह की क्रूरता होती है। आप इसे लिंचिंग (हत्याओं) में देखेंगे। लोग नफरत से बहुत आसानी से जुड़ सकते हैं। किसी भी फिल्म के बारे में सोचें जिसमें एक खलनायक हो और अंत में उनकी जो परिणिति होती है तब हमें उन्हें पीड़ा झेलते हुए देखने में खुशी होती है।
घृणा, गुस्से से कहीं अधिक ईर्ष्या के मुद्दों द्वारा संचालित होती है। हम छोटे पैमाने के समाजों के लिए बनाए गए हैं। जब हम अमीर और सफल लोगों को देखते हैं तो सोचते हैं कि हमारी जिंदगी बेहतर होती अगर वे नहीं होते क्योंकि तब हमारे पास सारी दौलत या कामयाबी होती। यह भाव एक प्रकार की ईर्ष्या की ओर ले जाता है। फिर आप उनके बारे में बुरी अफवाहें फैलाना शुरू करते हैं और उनसे नफरत करने लगते हैं और कभी-कभी तो उनका संहार तक हो जाता है।