इलस्ट्रेशन: योगेंद्र आनंद
विज्ञान

मनोविकारों का विज्ञान: वासना और प्रेम में भेद करना जरूरी

पहले, लोग मानते थे कि अगर आप किसी के प्रति रूमानी भावना रखते हैं, तो आप उनके प्रति यौन आकर्षित भी होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है

Xiaomeng XU, Rohini Krishnamurthy

सभी धर्मों में काम-वासना को पाप माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिक इसे अलग-अलग रूप में देखते हैं। वैज्ञानिकों का पक्ष जानने के लिए डाउन टू अर्थ संवाददाता रोहिणी कृष्णमूर्ति ने जियाओमेंग जू से बात की, जो अमेरिका की इडाहो स्टेट यूनिवर्सिटी में एक्सपेरिमेंटल सायकॉलजी की प्रोफेसर हैं। जू का कार्य क्षेत्र प्रेम संबंधों और व्यवहारिक स्वास्थ्य पर केंद्रित है। उन्होंने प्रेम संबंधों और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों की भी जांच की है


बात की।

धर्म ने वासना को एक पाप के रूप में देखा है। इसके बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या है?

मुझे लगता है, लंबे समय तक, लोगों ने बस यह मान लिया कि अगर आप किसी के प्रति रूमानी भावना रखते हैं तो आप उनके प्रति यौन रूप से भी रुचि रखते हैं और ये दोनों भाव एक साथ चलते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। मिसाल के तौर पर कोई शख्स किसी को यौन रूप से आकर्षक पा सकता है लेकिन उसके साथ उसके गहरे भावनात्मक संबंध नहीं हो सकते। फिर ऐसे लोग भी होते हैं जो प्यार में पड़ जाते हैं लेकिन हो सकता है कि उनकी यौन इच्छा बहुत अधिक ना हो और इन विचारों में समय के साथ बदलाव हो सकता है। बहुत से लोग शुरुआत में यौन आकर्षण के काफी उच्च स्तरों का अनुभव कर सकते हैं जो समय के साथ बदल सकता है और प्रतिबद्धता बहुत निचले स्तर से शुरू हो सकती है लेकिन समय के साथ इसमें बढ़ोतरी हो सकती है।

दरअसल, इन कवायदों का एक बड़ा हिस्सा इस बात पर भी निर्भर करता है कि रिश्ता शुरू कैसे होता है। क्या आप शुरुआत में अजनबी थे? क्या डेटिंग शुरू करने से पहले आप एक-दूसरे को कई वर्षों से जानते थे? और फिर चीजें बदलने की गति भी महत्वपूर्ण होती है। अगर आप किसी अन्य व्यक्ति के बारे में जान रहे हैं और बहुत जल्दी उनके करीब आ रहे हैं तो यह आमतौर पर बहुत गहरा एहसास है। और इसलिए लोग आमतौर पर उस तरह की गहन भावना का आनंद लेते हैं। लेकिन कुछ लोग चाहते हैं कि मुलाकात की गति बहुत धीमी हो और बार-बार हो।

वासना सामाजिक या कानूनी दृष्टिकोण से समस्याग्रस्त हो सकती है। अगर आप किसी के प्रति ऐसी वासना रख रहे हैं जो उनके या आपके लिए हानिकारक है, तो यह अच्छा नहीं है। लेकिन अक्सर, शोधकर्ता इस बात पर नजर डालते हैं कि वासना आपके लिए समस्याग्रस्त कब होती है। यदि वासना आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर रही है, तो यह समस्याग्रस्त हो जाती है। ऐसे में एक चिकित्सक से मिलने पर मदद मिल सकती है। अपने साथी के साथ स्पष्ट संवाद रखना भी प्रभावी हो सकता है।

प्यार का अध्ययन क्यों शुरू किया है? क्या हमें इसकी जरूरत है?

1950 के दशक से प्यार का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि इस पर पर्याप्त साहित्य है लेकिन कुछ अन्य क्षेत्रों और मनोविज्ञान के भीतर भी यह काफी नया है। यह लोगों पर जितना प्रभाव डालता है उसकी वजह से ये इतना दिलचस्प है। यह लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे वो रिश्ते हों जिनमें वे हैं या वो रिश्ते जिनमें वे होना चाहते हैं। यह लोगों की भावनाओं और उनके स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव डाल सकता है। नजदीकी रिश्तों (रोमांटिक या अन्यथा) के स्वास्थ्य, रोग की भविष्यवाणी, जीवन की गुणवत्ता और यहां तक कि मृत्यु पर प्रभावपूर्ण होने के बारे में पर्याप्त साहित्य मौजूद है।

विभिन्न विधियों का उपयोग करके प्यार का अध्ययन वास्तव में आकर्षक है। हम लोगों से प्यार के बारे में पूछते हैं, उनका साक्षात्कार करते हैं, लोगों को स्कैनर पर रखकर ये अध्ययन करते हैं कि जब लोग अन्य लोगों की तस्वीरों की तुलना में अपने साथी की तस्वीरों को देखते हैं तो उनके मस्तिष्क में क्या होता है। विज्ञान बेहद अनुभवों के आधार पर टिका होता है। मिसाल के तौर पर दिन के अंत में विज्ञान हमें यह बताता है कि कौन से कदम हमें स्वस्थ रिश्तों की ओर ले जाते हैं। हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या रिश्तों की सफलता दरअसल आपसी प्रतिबद्धता और विश्वास जैसी चीजों पर टिक सकती हैं? या फिर यह किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच की आपसी समझ पर निर्भर हैं? या फिर इसके अलग कारण हैं जैसे समय या फिर परिवार या फिर प्रभावित करने वाली अन्य परिस्थितियां? प्रेम को एक भावना कहना इसका अत्यंत सरलीकरण करना है क्योंकि प्यार संदर्भ के आधार पर खुशी, दुख या गुस्से जैसी कई भावनाओं को प्रेरित कर सकता है। बहरहाल कौन से कारक रिश्ते के परिणाम में योगदान दे रहे हैं। इसे अलग-अलग समझने और एक गणितीय मॉडल की तरह देखने की कोशिश करना वास्तव में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। रिश्ते कैसे होने चाहिए इस बारे में हर कोई अनुभवों और मीडिया के संपर्क के आधार पर पूर्वाग्रहित विचारों के साथ आता है, जिससे ये मामला और पेचीदा हो जाता है। पिछले एक या दो दशकों में हमने रिश्तों पर बहुत सारे शोध कार्यों को आगे बढ़ते देखा है। लंबे समय तक शोध में मुख्य रूप से विषम-लैंगिक जोड़ों, विशेष रूप से अमेरिका में श्वेत जोड़ों पर ध्यान केंद्रित था।

इसका विस्तार करने के लिए काफी अच्छा प्रयास किया गया है। हमें रिश्तों के प्रकारों और उनमें शामिल लोगों की विविधता के संदर्भ में और अधिक शोध की दरकार है। हमने पिछले एक या दो दशकों में इस प्रकार के शोध का जबरदस्त विस्तार देखा है, जो बेहद रोमांचक रहा है।

जब लोगों ने अपने साथी की तस्वीर देखी तब आपने लोगों के दिमाग का अध्ययन किया। क्या आप विस्तार से बता सकते हैं कि आपने क्या देखा?

एक बात का ध्यान रखें कि हर व्यक्ति का स्कैन थोड़ा अलग दिखने वाला है। हम दो परिस्थितियों की तुलना करते हैं। पहली परिस्थिति में कोई व्यक्ति अपने साथी की तस्वीर देखकर उनके बारे में सोचता है, जबकि दूसरी परिस्थिति में वो ऐसे व्यक्ति की तस्वीर देखता है जिनके बारे में उनके मन में विशिष्ट भावनाएं नहीं हैं। दोनों परिस्थितियों में उनकी समग्र मस्तिष्क गतिविधि देखने पर आपको मेसोलिम्बिक डोपामिन प्रणाली में भिन्नताएं दिखाई देती हैं। यह एक प्रणाली है जो पुरस्कार और प्रेरणा के साथ-साथ सीखने की प्रक्रिया में भी बहुत ज्यादा शामिल है। कुछ क्षेत्र, जैसे वेंट्रल टेगमेंटल क्षेत्र (ये मध्य मस्तिष्क में स्थित होता है और बर्ताव से जुड़े विविध प्रदर्शनों पर नियंत्रण करता है, जिनमें पुरस्कार की पड़ताल, घृणा, तनाव नियंत्रण, नशीली दवाओं की लत, सीखना, और याददाश्त शामिल हैं) और न्यूक्लियस एकुंबेंस (जो प्रेरणा और पुरस्कार की पड़ताल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है) भी सक्रिय हो जाते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि नशीली दवाओं में भी ये शामिल रहते हैं। तो ये एक आम कहावत कि “प्यार नशे की तरह है” का प्रमाण है।

लेकिन ऐसे लोगों पर अध्ययन भी मौजूद है जो औसतन 20 वर्षों से रिश्तों में हैं। एक अध्ययन ने लंबे रिश्तों में लोगों के बीच आपसी उपहार के लेन-देन को दर्ज किया। इसमें पाया गया कि इनमें भरपूर सेरोटोनिन की सक्रियता भी पाई गई हैं। यह रसायन मस्तिष्क को खुश रखने का कारक है। इसलिए ये यह समझने का एक संभावित कारण या तंत्र हो सकता है कि लंबे समय तक स्वस्थ और खुशहाल रिश्ते मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्यों सहायक हो सकते हैं और इनसे अवसाद के कम होने की संभावनाएं कैसे बन सकती हैं। इसलिए इन लंबे समय के रिश्तों के लिए हम न सिर्फ आपसी उपहार संबंधी लेनदेन बल्कि लगाव को लेकर भी अध्ययन करते हैं। जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इन लोगों ने अपने साथी के साथ एक रिश्ता बनाया है और लंबे समय से उन पर भरोसा किया है।

क्या हम मनोवैज्ञानिक संदर्भ में प्यार को समझते हैं?

इसको लेकर बहस जारी है। मैं इसके बारे में अपनी समझ और परिभाषा साझा कर सकती हूं, लेकिन अन्य मुझसे असहमत होंगे। यह अच्छा है क्योंकि इसी तरह हमें पता लगता है कि हमारे पास एक स्वस्थ विज्ञान है।

मैं रोमांटिक प्रेम- मुख्य रूप से शुरुआती दौर के गहन और उत्साही प्रेम का अध्ययन करती हूं। मैं ज्यादातर उन वैज्ञानिकों के समूह में शामिल हूं जो प्रेम को एक प्रेरित लक्ष्य स्थिति के रूप में परिभाषित करते हैं, जहां आप किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलन की इच्छा करते हैं। इसमें यौन घटक शामिल हो सकते हैं या नहीं भी।

लेकिन विचार यही है कि आप कम से कम एक व्यक्ति पर बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं। और यह एक से अधिक हो सकते हैं। आपके लिए उनके साथ समय बिताने, उन्हें जानने-समझने और उन्हें और उनकी पहचान को अपने खुद के आत्म-संवेदन में शामिल करने की प्रेरक प्रवृत्ति होती है। इसी तरह सामने वाले व्यक्ति में भी यही प्रेरणा होती है। यह वह व्यक्ति है जिसके साथ आप अपनी पहचान और दृष्टिकोण को शामिल करते हुए एक तरह से विलीन होना चाहते हैं।

प्रेम को देखने के अन्य तरीके हैं। इसे देखने के सबसे प्रारंभिक तरीकों में से एक यह कहना है कि यह एक भावना है। और मुझे लगता है कि इसके बारे में इस तरह से सोचने के लिए कुछ अच्छे और आकर्षक कारण हैं। खासतौर से इसलिए क्योंकि अगर आप लोगों से पूछें कि प्रेम क्या है तो शायद यही पहली बात होगी जो वे कहेंगे। लेकिन मुझे लगता है यह बहुत सरलीकरण है क्योंकि संदर्भ के आधार पर प्रेम कई भावनाओं को प्रेरित कर सकता है जैसे खुशी, दुख या गुस्सा। इसके अलावा हम अक्सर चेहरे के भावों के संदर्भ में भावनाओं के बारे में सोचते हैं। मूल भावनाएं चेहरे के विशिष्ट भावों से जुड़ी होती हैं; लेकिन प्रेम के लिए ऐसा कुछ नहीं है। इसके अलावा जब हम नियमन के बारे में बात करते हैं तो हम भावनाओं (जैसे गुस्से) को कम या ज्यादा कर सकते हैं। प्रेम को विनियमित करना कठिन है। अगर मैं आपसे कहूं कि आप अपने बगल में किसी को देखें और उन पर सचमुच में गुस्सा हों तो शायद कोशिश करने पर आप ऐसा कर सकते हैं। लेकिन एक अजनबी से तुरंत प्रेम में पड़ना बहुत कठिन है। ये वो चंद सबूत हैं जो इशारा करते हैं कि प्रेम महज मूल भावना से कहीं ज्यादा है। और इसमें वह प्रेरणादायक घटक है। साथ ही इसमें ये सभी अतिरिक्त अंतर-व्यक्तिगत तत्व भी हैं।