विज्ञान

जानें, किस देश में विज्ञान और वैज्ञानिकों पर कितना भरोसा करते हैं लोग

Dayanidhi

दुनिया भर के लोग कोरोनोवायरस महामारी को समाप्त करने के लिए एक वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं। जिसके लिए दुनिया भर की नजरे वैज्ञानिकों पर टिकी हैं। अब 20 देशों में किए गए सर्वेक्षण में यह पता लगाया गया है कि लोग विज्ञान और वैज्ञानिकों पर कितना भरोसा करते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैज्ञानिकों और उनके शोध को दुनिया भर में सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है। 

रिसर्च सेंटर ने अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच यूरोप, एशिया-पैसिफिक क्षेत्र और संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और रूस में 32,000 लोगों को चुना, जिनमें से 82 प्रतिशत लोगों ने वैज्ञानिक अनुसंधान में सरकारी निवेश को उचित बताया। कोविड-19 के महामारी तक पहुंचने से पहले 20 देशों में किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि लोग वैज्ञानिकों की इस बात के सुझाव पर भरोसा करते हैं कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए, क्या सही है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, 36 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एक समूह के रूप में वैज्ञानिकों को अत्याधिक सम्मान दिया जाता है। वहीं, इतने ही लोग वैज्ञानिकों की तुलना में सेना पर अधिक भरोसा करते हैं। खासकर भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस सहित आठ देशों में। बिजनेस लीडर्स, राष्ट्रीय सरकार और समाचार मीडिया को मानने की तुलना में यह बहुत अधिक है।

हालांकि वैज्ञानिकों पर भरोसा करने वाले लोग दो मतों में विभाजित पाए गए। इ मतभेदों को विशेष रूप से अमेरिका में सुना गया, जहां 62 प्रतिशत को वैज्ञानिकों पर बहुत भरोसा था। कनाडा में आंकड़ों का यह विभाजन 74 प्रतिशत और 35 प्रतिशत था, ब्रिटेन में यह संख्या 62 प्रतिशत और 35 प्रतिशत थी। 

प्यू के विज्ञान और समाज अनुसंधान के निदेशक कैरी फंक ने कहा जैसा कि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए वैश्विक परिदृश्य में बदलाव जारी है, ये निष्कर्ष आम तौर पर सकारात्मक विचारों को प्रदर्शित करते हैं। दुनिया भर में सार्वजनिक रूप से वैज्ञानिकों और उनके काम को देखा जाता है, साथ ही साथ वैचारिक दोष भी इसमें शामिल हैं।

20 देशों के दस में से सात लोगों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उनके स्थानीय समुदाय पर कुछ या बहुत कम प्रभाव पड़ रहा है। इटली, स्पेन और ब्राजील के कुछ स्थानों में लगभग आधे या उससे अधिक अपने समुदाय में जलवायु परिवर्तन का बहुत अधिक प्रभाव देखते हैं।

ऑस्ट्रेलिया के लोगों में भी जलवायु परिवर्तन को लेकर दो मत थेजिन्होंने इसे बहुत गंभीर समस्या बताया वे 79 प्रतिशत थे, जबकि 36 प्रतिशत लोगों ने जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या मानने से इंकार कर दिया। कनाडा में भी जलवायु परिवर्तन पर यह विभाजन 44 प्रतिशत के मुकाबले 82 प्रतिशत था।

20 में से 17 वयस्कों में से अधिकांश को बचपन में रोग निवारक टीके लगे थे-जैसे खसरा, कण्ठमाला और रूबेला वैक्सीन आदि, जिसकी दर बहुत अधिक है, लेकिन अधिकांश स्थानों पर जापान, मलेशिया, रूस, दक्षिण कोरिया में बचपन के टीकों से होने वाले साइड इफेक्ट के खतरे को कम या आधा माना जाता है, जबकि फ्रांस और सिंगापुर में इसके खतरे को मध्यम या अधिक माना जाता है।

अधिकतर लोगों ने कहा कि मीडिया विज्ञान संबंधी खबर को कवर करने का एक अच्छा काम करता है, लेकिन साथ ही जनता का यह भी कहना है कि अक्सर वैज्ञानिक शोध पर समाचार को समझने में कठिनाई होती है।

लगभग दो-तिहाई या उससे अधिक ने कहा कि समाचार मीडिया विज्ञान विषयों को कवर करने के लिए बहुत हद तक अच्छा काम करता है। जबकि मीडिया विज्ञान संबंधी खबर को कवर करने को लेकर 20 देशों में 68 प्रतिशत के मुकाबले 28 प्रतिशत ने कहा कि कवर करने का तरीका अच्छा नहीं है।