अक्षय ऊर्जा स्रोतों की खोज, जिसमें पवन, सौर, पनबिजली बांध, भू-तापीय और बायोमास शामिल हैं। ये ऊर्जा स्रोत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इजराइल के तेल अवीव विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वायुमंडल में जल वाष्प को भविष्य में एक संभावित अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
प्रो.कॉलिन प्राइस के नेतृत्व में इस शोध को प्रो.हेडास सारोनी और डॉक्टरेट की छात्रा जूडी लक ने अंजाम दिया है। ये सभी शोधकर्ता टीएयू के पोर्टर स्कूल ऑफ द एनवायरनमेंट एंड एअर्थ साइंसेज से जुड़े हैं। यह खोज अणु और धातु की सतहों के परस्पर क्रिया में बिजली के उपयोग पर आधारित है।
प्रो. प्राइस बताते हैं हमने स्वाभाविक रूप से होने वाली घटना को भुनाने की कोशिश की है। बादल के गरजने से बिजली अपने विभिन्न चरणों में केवल पानी से ही उत्पन्न होती है। जिसमें जल वाष्प, जल की बूंदें, और बर्फ शामिल है।
शोधकर्ताओं ने एक छोटी कम वोल्टेज वाली बैटरी को बानाने की कोशिश की, जो हवा में केवल नमी का उपयोग करती है, जो पहले की खोजों के निष्कर्षों पर आधारित है। उदाहरण के लिए, उन्नीसवीं सदी में, अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी माइकल फैराडे ने खोज की, कि पानी की बूंदों के बीच घर्षण के कारण धातु की सतहों को चार्ज कर सकती हैं। हाल ही के एक और अध्ययन से पता चला है कि कुछ धातुएं नमी के संपर्क में आने पर विद्युत आवेश का निर्माण करती हैं। यह शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग धातुओं के बीच वोल्टेज को निर्धारित करने के लिए एक प्रयोग किया, जिसमें एक को उच्च सापेक्ष आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) में रखा गया जबकि दूसरे को जमीन पर रखा गया। प्रो. प्राइस बताते हैं इस प्रयोग में हमने पाया जब हवा शुष्क थी, तब उनके बीच कोई वोल्टेज नहीं थी। लेकिन एक बार सापेक्ष आर्द्रता 60% से ऊपर हुई तो, दो पृथक धातु सतहों के बीच वोल्टेज बनना शुरू हो गया। जब हमने आर्द्रता का स्तर 60 प्रतशित से कम कर किया, तो वोल्टेज बनना बंद हो गया। जब हमने इस प्रयोग को बाहर प्राकृतिक परिस्थितियों में किया, तो परिणाम एक समान दिखे।
प्रो. प्राइस बताते हैं पानी एक विशेष तरह का अणु है। आणविक टकराव के दौरान, यह एक विद्युत आवेश को एक अणु से दूसरे में स्थानांतरित कर सकता है। घर्षण के माध्यम से, यह एक प्रकार की स्थैतिक बिजली का निर्माण कर सकता है। हमने लैब में बिजली को पुन: उत्पन्न करने की कोशिश की और पाया कि अलग-अलग धातु की सतह वायुमंडल में जल वाष्प से विभिन्न प्रकार के आवेशों (चार्ज) का निर्माण करती है। यदि वायु सापेक्ष आर्द्रता 60 प्रतिशत से ऊपर हो तो। गर्मियों में यह लगभग हर दिन होता है। इजरायल में और सबसे अधिक उष्णकटिबंधीय देशों में यह हर दिन होता है।
प्रो. प्राइस के अनुसार, इस अध्ययन ने एक ऊर्जा स्रोत के रूप में आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) और इसकी क्षमता के बारे में अवधारणा को स्थापित किया है। हम सभी जानते हैं कि सूखी हवा के कारण स्थैतिक बिजली पैदा होती है और धातु के दरवाजे के हैंडल को छूने पर आपको कभी-कभी 'झटके' लगते हैं। उन्होंने आगे कहा पानी को आमतौर पर बिजली का एक अच्छा संवाहक माना जाता है, न कि ऐसा जो किसी सतह पर आवेश (बिजली) उत्पन्न कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने हालांकि, यह दिखाया कि आर्द्र हवा सतहों के चार्जिंग का एक स्रोत हो सकती है जो लगभग एक वोल्ट की वोल्टेज के बराबर है। प्रो. प्राइस ने कहा यदि एए बैटरी 1.5 वोल्ट की है, तो भविष्य में एक व्यावहारिक प्रयोग हो सकता है: बैटरी विकसित करने के लिए जिसे हवा में जल वाष्प से चार्ज किया जा सकता है।
प्रो. प्राइस ने अपने निष्कर्ष में कहा कि ये परिणाम विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए ऊर्जा के एक अक्षय स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जहां कई समुदायों में अभी भी बिजली नहीं पहुंची है, लेकिन इसके लिए आर्द्रता लगातार 60 प्रतिशत होनी चाहिए।