पीटर सी. जेरगार्ड, मार्क मैसलिन, ट्राइन केलबर्ग नीलसन
निएंडरथलों के अवशेष पहली बार 1856 में प्राप्त हुए थे और तब से ही हमने उन्हें अपनी मानवता के प्रतिबिंब के रूप में देखा है। हम उनके बारे में जो जानते हैं उसे हमने अपनी सांस्कृतिक प्रवृत्तियों, सामाजिक मानदंडों और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप ढाला और आकार दिया है। वैज्ञानिकों ने जब उनके अवशेषों को पहली बार देखा था तो उन्हें लगा था कि ये रोगग्रस्त नमूने हैं। फिर बाद में उन्हें हमारे पुरातन भाइयों की तरह देखा जाने लगा जो मानव तो थे लेकिन हमारी तरह “सभ्य” नहीं। इन तमाम श्रेणियों से गुजरने के बाद अंततः उन्हें उन्नत मनुष्यों के रूप में देखा गया।
हम अब जानते हैं कि होमो निएंडरथेलेंसिस आधुनिक मानवों से बहुत मिलते-जुलते थे और हमारे पूर्वज उनके संपर्क में आते और अक्सर उनमें संकरण (इंटरब्रीडिंग) भी होती थी। लेकिन वे विलुप्त क्यों हो गए जबकि हम न केवल जीवित रहे और फले-फूले बल्कि हमने धरती पर अधिकार भी कर लिया? निएंडरथलों की उत्पत्ति लगभग 400,000 साल पहले हुई थी, संभवतः हमारे एक अन्य पूर्वज होमो हाइडलबर्गेंसिस से। वे बेहद सफल रहे और भूमध्यसागर से लेकर साइबेरिया तक के क्षेत्र में फैल गए। वे काफी बुद्धिमान थे और उनका दिमाग होमो सेपियन्स से औसतन बड़ा था। वे बड़े जानवरों का शिकार करने के अलावा पौधे, कुकुरमुत्ते और समुद्री भोजन इकठ्ठा करते थे। उन्होंने आग पर नियंत्रण रखना सीख लिया था और इसका इस्तेमाल खाना पकाने के लिए करते थे। निएंडरथल और हमारे बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि वे लगभग 40,000 साल पहले विलुप्त हो गए थे।
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सर्वप्रथम, आखिरी हिमयुग की जलवायु बहुत परिवर्तनशील थी, ठंड से गर्म और फिर गर्म से ठंड। इससे जानवरों और पौधों के खाद्य स्रोतों पर दबाव पड़ा और इसका मतलब था कि निएंडरथलों स्वयं को पर्यावरण में होते परिवर्तन के हिसाब से ढालना पड़ता था। दूसरा, निएंडरथलों की आबादी कभी भी बहुत अधिक नहीं थी। उनकी कुल संख्या कभी भी हजारों से ज्यादा नहीं हुई। एंडरथलों ने कई ऐसे अवशेष छोड़े हैं जिन्हें हम आज हजारों साल बाद भी देख सकते हैं। इनमें से अधिकांश को डेनमार्क के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय की विशेष प्रदर्शनी में देखा जा सकता है।
निएंडरथल जीनोम हमें यह समझने में भी मदद करता है कि वे कैसे दिखते थे, क्योंकि इस बात के प्रमाण हैं कि कुछ निएंडरथल होमो सेपियन्स से बहुत पहले गोरी त्वचा और लाल बाल विकसित कर चुके थे। निएंडरथल और आधुनिक मनुष्यों के बीच कई जीन साझा हुए हैं जो कड़वे खाद्य पदार्थों के स्वाद से लेकर बोलने की क्षमता तक जैसी किसी भी चीज से जुड़े हो सकते हैं। मानव स्वास्थ्य को लेकर हमारी समझ भी बढ़ी है। कुछ निएंडरथल डीएनए जो हजारों साल पहले मनुष्यों के लिए फायदेमंद हो सकता था,अब आधुनिक पश्चिमी जीवन शैली के साथ मिलकर समस्याएं पैदा कर रहा है। हाल ही में, वैज्ञानिकों ने कहा है कि निएंडरथलों का एक प्राचीन जीन टाइप कोविड-19 होने की स्थिति में खतरनाक हो सकता है। डायनासौरों की ही तरह, निएंडरथलों को भी यह पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। अंतर यह है कि बाहरी अंतरिक्ष से एक विशाल उल्कापिंड के धरती से टकराने के बाद डायनासोर अचानक गायब हो गए। निएंडरथल धीरे-धीरे विलुप्त हुए। उन्होंने अंततः अपनी दुनिया खो दी और एक आरामदायक घर जिसे उन्होंने सैकड़ों हजारों वर्षों से सफलतापूर्वक अपने कब्जे में रखा था, वह धीरे-धीरे उनके इतना खिलाफ हो गया कि उनके अस्तित्व पर ही संकट आ गया।
उस नजरिए से देखें तो निएंडरथल अब एक अलग उद्देश्य की पूर्ति करते हैं। हम उनमें अपना प्रतिबिंब देखते हैं। उन्हें यह नहीं पता था कि उनके साथ क्या हो रहा है और उनके पास उसी रास्ते पर चलते जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जो अंततः उन्हें विलुप्ति की और ले जानेवाला था। दूसरी ओर हम अपनी स्थिति और इस ग्रह पर हमारे प्रभाव के बारे में पूर्णतः अवगत हैं। मानव गतिविधि से जलवायु बदल रहा है और हम सीधे छठी सामूहिक विलुप्ति की ओर अग्रसर हैं। हमें अपनी खुद की बनाई इस समस्या पर विचार करके कुछ करने की आवश्यकता है। यदि हम निएंडरथल की तरह विलुप्त नहीं होना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि हम अपना रवैय्या बदलें और अधिक स्थायी भविष्य के लिए सामूहिक रूप से काम करें।
(पीटर सी. जेरगार्ड कोपेनहेगेन विवि में प्रोफेसर, मार्क मैसलिन यूसीएल में अर्थ सिस्टम साइंस के प्रोफेसर, ट्राइन केलबर्ग नीलसन डेनमार्क के आर्हस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। यह लेख कान्वर्सेशन से विशेष अनुबंध के तहत प्रकाशित)