विज्ञान दिवस के अवसर पर देशभर के दस विज्ञान संचारकों को वर्ष 2018 के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
इस मौके पर मौजूद भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजयराघवन ने कहा कि “वैज्ञानिक अभिरुचि के प्रसार के लिए वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच की दूरियों को कम करना होगा। अगर विशेषज्ञ समाज के आम लोगों के मुकाबले खुद को श्रेष्ठ मानकर चलेंगे तो इस खाई को पाटना आसान नहीं होगा। इसके लिए हमें लोगों के करीब जाना होगा और धरातल पर उतरकर उनके साथ संवाद करना होगा।”
प्रोफेसर विजयराघवन ने ये बातें इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम 'लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग' के संदर्भ में कही हैं। इस थीम का चयन करने का उद्देश्य वैज्ञानिक खोजों को अधिकतम लोगों से जोड़ने के प्रयासों को बढ़ावा देना है। पिछले वर्ष विज्ञान दिवस की थीम ‘टिकाऊ भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी' रखी गई थी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने विज्ञान संचार पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि लोगों के लिए विज्ञान' से जुड़े घटकों में विज्ञान संचार सबसे अहम है। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से विज्ञान संचार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए डीडी साइंस और इंडिया साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन पोर्टल से जुड़ने का आह्वान भी किया है।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 'रामन प्रभाव' की खोज की याद में हर वर्ष 28 फरवरी को मनाया जाता है। इसी खोज के कारण भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सी.वी. रामन को नोबेल पुरस्कार मिला था।
राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कारों के अंतर्गत पुस्तकों एवं पत्रिकाओं सहित प्रिंट मीडिया के जरिये विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए इस बार इंफाल के डॉ हुइद्रोम बीरकुमार सिंह, गुवाहाटी के मुनिन्द्र कुमार मजूमदार और भुवनेश्वर की डॉ मानसी गोस्वामी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
जीव वैज्ञानिक डॉ हुइद्रोम ने अंग्रेजी और मणिपुरी भाषा के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पेयजल, जैव विविधता, जैव संसाधनों पर सैकड़ों लेख एवं पुस्तकें लिखी हैं। वहीं, डॉ मुनिन्द्र कुमार गणित को असम के दूरदराज में रहने वाले छात्रों एवं अभिभावकों के बीच लोकप्रिय बनाने में जुटे हैं। डॉ मानसी गोस्वामी को यह पुरस्कार अनुवाद, कार्टून, कविता, नाटक के कथानक, वॉल पत्रिका और लोकप्रिय विज्ञान शब्दावली विकसित करने के लिए दिया गया है।
बच्चों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में उत्कृष्ट प्रयास के लिए आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में कार्यरत संस्था रूरल एग्रीकल्चरल डेवेलपमेंट सोसायटी को प्रथम पुरस्कार मिला है। इस वर्ग में दूसरा पुरस्कार उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, इटावा के उप कुलपति डॉ राजकुमार को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार विज्ञान के सरल, सुबोध और प्रेरक व्याख्यानों एवं अनुप्रयोगों के जरिये विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए मिला है। जबकि, इसी श्रेणी में तीसरा पुरस्कार लखनऊ के डॉ जाकिर अली ‘रजनीश’ को उनकी विज्ञान कहानियों एवं सूचनाप्रद लेखों के लिए दिया गया है।
नवाचारी एवं परंपरागत तरीकों से विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए नैनीताल के डॉ बृजमोहन शर्मा को पुरस्कृत किया गया है। डॉ शर्मा विज्ञान संचारक, लेखक एवं अध्येता हैं, जो पिछले करीब 25 वर्षों से आम लोगों के बीच विज्ञान को प्रचारित-प्रसारित करने लिए नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। इस वर्ग में दूसरा पुरस्कार जयपुर की प्राकृतिक चिकित्सक और नाट्यकला एवं मूर्तिकला विशेषज्ञ सुनीता झाला को दिया गया है।
लोकप्रिय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी साहित्य का आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं और अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए जलगांव के कवयित्री बहिनबाई चौधरी उत्तरी महाराष्ट्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मणीष रत्नाकर जोशी को पुरस्कृत किया गया है। जबकि, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिये हाशिए पर स्थित समुदायों में वैज्ञानिक अभिरुचि पैदा करने के लिए गुवाहाटी के डॉ अंकुरण दत्ता को पुरस्कृत किया गया है।
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) की प्रमुख डॉ निशा मेंदीरत्ता ने बताया कि एनसीएसटीसी की ओर से वर्ष 1987 में विज्ञान संचार पुरस्कारों की शुरुआत की गई थी। ये पुरस्कार छह श्रेणियों में हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर दिए जाते हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य विज्ञान को लोकप्रिय बनाने, समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने वाले विज्ञान संचार से जुड़े लोगों एवं संस्थाओं को प्रोत्साहित करना है।”
विज्ञान संचार पुरस्कार से सम्मानित इन सभी प्रतिभागियों को दो लाख रुपये नकद, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया गया है। किसी को भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों की श्रेणी में पुरस्कार के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। इस श्रेणी के अंतर्गत पुरस्कार में पांच लाख रुपये, एक स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
इस मौके पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई शोध की अभिव्यक्ति के लिए लेखन कौशल को प्रोत्साहन (अवसर) नामक राष्ट्रीय प्रतियोगिता के तहत चुने गए चार युवा वैज्ञानिकों को भी पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इस प्रतियोगिता में पीएचडी एवं पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थियों समेत दो वर्गों में पुरस्कार दिए जाते हैं। पोस्ट डॉक्टोरल वर्ग में सर्वश्रेष्ठ लेखन के एक लाख रुपये का पुरस्कार डॉ पॉलोमी सांघवी (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई) को मिला है।
अवसर प्रतियोगिता के पीएचडी वर्ग के अंतर्गत एक लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार आशीष श्रीवास्तव (स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई), 50 हजार रुपये का द्वितीय पुरस्कार अजय कुमार (आईआईटी-मद्रास) और 25 हजार रुपये का तृतीय पुरस्कार नबनीता चक्रबर्ती (केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोलकाता) को दिया दिया गया है। (इंडिया साइंस वायर)