विज्ञान

नासा के वेब टेलीस्कोप ने सौर मंडल के बाहर पृथ्वी जैसा दिखने वाला पहला ग्रह खोजा

खगोलविदों के अनुसार, नया ग्रह लगभग पृथ्वी के समान आकार का है जो पृथ्वी की तुलना में कुछ सौ डिग्री अधिक गर्म है

Dayanidhi

नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जो कि अगली पीढ़ी की वेधशाला है, जो पहले से ही ब्रह्मांड के कुछ सबसे स्पष्ट और सबसे आश्चर्यजनक दृश्यों को दिखा चुकी है। पृथ्वी से लगभग 15,00,000 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के निर्वात में एक वर्ष से अधिक समय बिताने के बाद, जेम्स वेब टेलीस्कोप ने हमारे सौर मंडल के बाहर अपने पहले ग्रह की खोज की पुष्टि की है।

यह खोज लॉरेल, मैरीलैंड में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी में खगोलविदों की अगुवाई में की गई है। शोध टीम के अनुसार, एलएचएस 475 बी नामक ग्रह एक छोटी और चट्टानी दुनिया है जो लगभग पृथ्वी के आकार के बराबर है। सिएटल में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 241वीं बैठक में बुधवार को यह शोध प्रस्तुत किया गया।

यह खोज वेब टेलीस्कोप के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसे दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था और एक साल से भी कम समय में इसका संचालन शुरू किया गया था। खोज दर्शाती है कि ब्रह्मांड में संभावित रहने योग्य ग्रहों की खोज के लिए वेधशाला का उपयोग कैसे किया जा सकता है और उनके वायुमंडल के रासायनिक वातावरण की जांच की जा सकती है।

वाशिंगटन, डीसी में नासा मुख्यालय में खगोल भौतिकी विभाग के निदेशक मार्क क्लैम्पिन ने कहा, पृथ्वी के आकार, चट्टानी ग्रह से ये पहले अवलोकन संबंधी परिणाम वेब के साथ चट्टानी ग्रह के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए भविष्य में कई संभावनाओं के दरवाजे खोलते हैं। वेब हमें हमारे सौर मंडल के बाहर पृथ्वी जैसी दुनिया की एक नई समझ के और करीब ला रहा है और मिशन अभी शुरू हुआ है।

वेब टेलीस्कोप यह पुष्टि करने में सक्षम था कि एलएचएस 475 बी पृथ्वी के आकार का एक स्थलीय ग्रह है, लेकिन शोधकर्ता अभी तक यह नहीं जानते हैं कि एक्सोप्लैनेट या नए ग्रह में वायुमंडल है या नहीं।

खगोलविदों ने एक्सोप्लैनेट के मूल तारे से प्रकाश की बारीकी से जांच करने के लिए वेधशाला के निकट-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग किया। जैसा कि ग्रह तारे के सामने परिक्रमा करता है, उपकरण ग्रह के वायुमंडल के माध्यम से छानी गई स्टारलाइट की तुलना बिना रुके स्टारलाइट से करता है।

यह शोधकर्ताओं को यह देखने में मदद करता है कि एक्सोप्लैनेट के वातावरण में कुछ तत्व या अणु मौजूद हैं या नहीं। उदाहरण के लिए, ये इस बात की जानकारी दे सकते हैं कि एक ग्रह में हाइड्रोजन समृद्ध वातावरण है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड है या मीथेन की अधिकता वाला वातावरण है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, वेब के नियर-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ का उपयोग करते हुए अगस्त में प्रारंभिक अवलोकनों से विशिष्ट वायुमंडलीय विशेषताओं का पता नहीं चला। उन्होंने कहा कि वे गर्मियों में अधिक आंकड़े इकट्ठा करने की उम्मीद करते हैं जो उन्हें वातावरण में विशिष्ट अणुओं की पहचान करने में मदद कर सकता है  या यह निर्धारित कर सकता है कि एक्सोप्लैनेट में भी यह है या नहीं।

एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के पोस्ट डॉक्टरल फेलो जैकब लस्टिग-येगर ने कहा, कुछ स्थलीय-प्रकार के वायुमंडल हैं जिन्हें हम खारिज कर सकते हैं। इसमें शनि के चंद्रमा टाइटन के समान अधिक मीथेन वाला वातावरण नहीं हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह संभव है कि एलएचएस 475 बी में शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड से बना वातावरण हो, लेकिन यह भी कहा कि वेब टेलीस्कोप के परिष्कृत उपकरणों के साथ भी इसकी पुष्टि करना मुश्किल होगा।

लस्टिग-येगर ने कहा, हमें बहुत ही सटीक आंकड़ों की आवश्यकता है, जो बिना किसी वातावरण के शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण को अलग करने में सक्षम हो। एक शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड वाला वातावरण मंगल ग्रह की तरह पतला हो सकता है, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से सिर्फ 41 प्रकाश वर्ष दूर, नक्षत्र ऑक्टान में है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रह एक लाल बौने तारे की परिक्रमा करता है जो सूर्य के तापमान के आधे से भी कम है। एलएचएस 475 बी हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह की तुलना में अपने तारे के करीब है, एक पूर्ण कक्षा को पूरा करने में सिर्फ दो दिन का समय लगता हैं।

वेब टेलिस्कोप के अवलोकनों ने यह भी संकेत दिया कि एक्सोप्लैनेट पृथ्वी की तुलना में कुछ सौ डिग्री अधिक गर्म है। इसके वातावरण की बेहतर समझ खगोलविदों को ग्रह और उसके जैसे अन्य की विशेषता के बारे में जानने में मदद कर सकता है।