एक नए अध्ययन में भूजल से यूरेनियम को हटाने के लिए पहले अज्ञात रासायनिक प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। चट्टान की गहराई तथा ऑक्सीजन मुक्त वातावरण में, सूक्ष्म जीव यूरेनियम को "चट्टान में" बदलने की प्रक्रिया में मदद करते हैं। भूजल में जहरीले यूरेनियम के फैलने को रोकने के लिए खोजा गया यह नया उपकरण बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
यूरेनियम एक रेडियोधर्मी तत्व है जो प्राकृतिक रूप से चट्टानों के आधार में होता है और यह लोगों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है। पीने के पानी के माध्यम से इसके संपर्क में आने से स्वास्थ्य को भारी नुकसान हो सकता है, उदाहरण के लिए बेडरॉक में ड्रिल किए गए कुओं से, गुर्दे और प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव के साथ-साथ डीएनए का भी नुकसान हो सकता है।
अध्ययनकर्ता हेनरिक ड्रेक ने कहा कि, दुनिया भर में यूरेनियम मिला हुआ पेयजल स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख समस्या है। भूजल में यूरेनियम के फैलने को रोकना सबसे बड़ा चिंता का विषय है। ड्रेक, स्वीडन के लिनिअस विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
17 साल की अवधि तक किए गए इस के लंबे प्रयोग में, शोधकर्ताओं की टीम ने गहरे बोरवेल के आधार में छेद किया और उन खनिजों की पहचान की, जिसमें बड़ी मात्रा में यूरेनियम फंसा हुआ था। यह पता चला कि ऑक्सीजन मुक्त वातावरण में रहने वाले सूक्ष्म जीव इस प्रक्रिया को अंजाम दे रहे थे।
सूक्ष्म जीव ऐसे पदार्थों का उत्पादन करते हैं जो यूरेनियम को बदलने में मदद करते हैं, ताकि यह अधिक आसानी से खनिजों में शामिल हो जाए। यह डूबे हुए यूरेनियम को स्थिर करते हैं और भूजल के साथ आगे के फैलने को रोकते हैं।
लिनिअस विश्वविद्यालय के इवान पिडचेंको और प्रमुख अध्ययनकर्ता ने बताया कि, निष्कर्ष बताते हैं कि स्वाभाविक रूप से होने वाले बैक्टीरिया यूरेनियम हटाने को प्रभावित करते हैं। सूक्ष्म जीव ऊपरी सतह के वातावरण में विषाक्त तत्वों को अलग करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण में खतरनाक तत्वों के फैलने को रोकने की बहुत बड़ी क्षमता है।
शोध के परिणाम प्रदूषित भूजल के उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यह परमाणु ईंधन भंडारण के मामलों के लिए भी अहम हैं।
इवान पिडचेंको कहते हैं कि, यूरेनियम परमाणु ईंधन का मुख्य घटक है जिसे गहरे बेडरॉक सिस्टम में लंबे समय तक भूवैज्ञानिक भंडारण में जमा किया गया। हमारी खोज स्वीडन में निर्माण के लिए योजनाबद्ध भूवैज्ञानिक परमाणु भंडारों के लंबे समय तक सुरक्षा मूल्यांकन की नींव के लिए एक अतिरिक्त ईंट है। यह अध्ययन कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित हुआ है।