अगर कभी मानव मंगल पर बसने की कोशिश करे, तो मंगल का दक्षिणी ध्रुव बेस बनाने के लिए सबसे सटीक स्थलों में से एक होगा। शोधकर्ताओं ने अल्टिमी स्कूपुली नाम के एक क्षेत्र में मौजूद बर्फीले ग्लेशियरों के नीचे तीन नमकीन वॉटरबॉडी (झील) का पता लगाया है। यह जानकारी मंगल पर सूक्ष्मजीव की मौजूदगी के साथ ही मंगल पर मानव के बसने की संभावनाओं को बढ़ा देते हैं। यह रिसर्च परिणाम 28 सितंबर को नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुआ था। ये परिणाम 2003 में यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा लांच मार्स एक्सप्रेस स्पेसक्राफ्ट के जरिए शुरू किए गए मार्स एडवांस्ड राडार फॉर सब्सर्फेस एंड आयनोस्फेयर साउंडिंग (मार्सिस) के डेटा विश्लेषण से मिले हैं। मार्सिस रेडियो तरंगों को मार्टियन सतह पर भेजता है और रिफ्लेक्ट होकर आने वाली तरंगों की व्याख्या करता है।
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के ध्रुवों के पास बर्फ की चादर के नीचे तरल झीलों को खोजने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया था, यहां भी उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 2012 से 2015 के बीच किए गए 29 अवलोकनों के जरिए रिसर्च टीम को 2018 में 19 किलोमीटर चौड़े एकल खारे पानी (सिंगल साल्टवाटर) झील के प्रमाण मिले थे। इस टीम को अब 105 और अवलोकनों के जरिए तीन बड़ी वाटरबॉडी और तीन छोटी वॉटरबॉडी के और अधिक प्रमाणिक सबूत मिले हैं। इटली स्थित द रोमा ट्रे यूनिवर्सिटी के भौतिकी और गणित की प्रोफेसर और रिसर्च पेपर की सह-लेखिका एलेना पेटीनेली ने अक्षित संगोमला को बताया कि हम रिसर्च और नतीजों को लेकर काफी आश्वस्त हैं। बातचीत के मुख्य अंश-
मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर झील होने की बात को लेकर आप कितनी आश्वस्त हैं?
हम उतने ही आश्वस्त हैं जितना हम हो सकते हैं। हमने अपने डेटा की हर संभव वैकल्पिक व्याख्या की जांच की है। डेटा बताते हैं कि विभिन्न वाटर बॉडीज से रडार को जो मजबूत प्रतिबिंब (रिफलेक्शन) मिले हैं, वे हमें आश्वस्त करने के लिए काफी हैं। सच यह है कि पूरी तरह से अलग डेटा विश्लेषण विधियों का उपयोग करके भी हमने समान परिणाम हासिल किए हैं। रडार विसंगतियां तरल पानी के स्त्रोत की मौजूदगी के कारण होती हैं और ये तथ्य हमें अपने नतीजों को लेकर आश्वस्त करती है।
इस खोज को सुनिश्चित करने के लिए और क्या सबूत चाहिए?
इसके लिए सिल्वर बुलेट बिल्कुल सटीक और सही जगह पर जाकर सीस्मिक्स आकलन (भूकंपीय आंकलन) कर सकता है। इसे लैंडर, रोवर्स के साथ भेजा जा सकता है। यह न केवल इस तरह की नमकीन वाटरबॉडी टॉप का पता लगा सकता है (रडार पानी के सतह के नीचे नहीं पता लगा सकता), बल्कि पानी के स्त्रोत के नीचे की जानकारी भी ले सकता है और संरचना की ज्यामिति की भी जानकारी जुटा सकता है। इसके अलावा, नए मिशनों के माध्यम से कक्षीय रडार (ऑर्बिटल रडार) डेटा और अधिक जानकारी दे सकता है। अन्य वाटरबॉडी की उपस्थिति की जानकारी जुटाने को लेकर रोवर-आधारित भूभौतिकी (खासकर भूकंपीय) कारगर साबित होगा।
क्या मंगल पर अन्य इस तरह की जगहें हैं, जहां पानी मिल सकता है?
ज्यादा नहीं हैं। ऐसे नतीजों के लिए ये खास क्षेत्र काफी उपयुक्त है। इसलिए, प्रारंभिक खोज इन्हीं क्षेत्रों में केन्द्रित की गई। खोज क्षेत्र की पहचान भूवैज्ञानिक योग्यता के आधार पर नहीं होती। यह चिकनी सतह के आधार पर होती है, जो वास्तव में रडार को 1.5 किमी गहरे मजबूत रिफ्लेक्टर का पता लगाने की अनुमति देते हैं। सतह की ऐसी आदर्श स्थिति मंगल के ध्रुवीय कैप पर कहीं और मौजूद नहीं है। हालांकि, समान परिस्थिति के तहत मंगल पर कहीं और भी ऐसे जलस्त्रोत हो सकते हैं, इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें वर्तमान डेटा के साथ नहीं तलाशा जा सकता है।
इन जलस्त्रोतों में जीवन के अस्तित्व की क्या संभावना है? न्यूनतम तापमान और खारा पानी को ध्यान में रखते हुए यहां जीवन के क्या रूप हो सकते हैं?
सामान्य तौर पर खारा जल अधिकांश जीवन रूपों के लिए बहुत अच्छे नहीं होते हैं। पृथ्वी पर कुछ विशिष्ट जीव (हलोफाइल्स) बहुत नमकीन व चरम वातावरण में जीवित रह सकते हैं। हमें नहीं पता है कि मंगल पर मौजूद जलस्त्रोतों में कितना नमक है और इसकी सटीक संरचना क्या है। हमें यह भी नहीं पता कि क्या हमारा स्थलीय जीव वहां जीवित रह पाएगा? हालांकि, यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वहां कभी जीवन मौजूद था। कुछ लोग पर्यावरण के अनुकूल हो सकते हैं यदि उनके पास ऐसा करने का समय हो। लेकिन रहने योग्य होने का मतलब आबाद होना नहीं है। हम यह भी नहीं जानते कि वर्तमान डेटा और ध्रुवीय कैप सबसर्फेस की मौजूदा जानकारी के आधार पर वह जगह स्थलीय जीवन के रहने योग्य होगा या नहीं।
यह खोज मानव के लिए क्या महत्व रखती है, विशेष रूप से मंगल ग्रह पर बसने के हिसाब से?
उपकरण से लैस एक टीम मजबूत चट्टानों के नीचे मौजूद बर्फ से पानी निकाल सकती है या निकट-ध्रुवीय लैंडिंग के मामले में सीधे बर्फ से पानी निकाला जा सकता है। नमकीन पानी हासिल करने के लिए 1.5 किमी ध्रुवीय बर्फ की खुदाई करने की कोई आवश्यकता भी नहीं होगी (जिसका खारापन भी दूर किए जाने की जरूरत होगी)। मंगल पर जलाशयों तक पहुंचने के लिए बहुत आसान तरीके हैं। इसके अलावा, पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर उन झीलों तक भौतिक रूप से पहुंचने की तुलना में बर्फ को पिघलाना तकनीकी रूप से समस्या नहीं है। उन झीलों तक पहुंचने की प्रक्रिया बहुत जटिल है।
दूसरी ओर, अगर इन निकायों में तरल पानी है (और दूसरी स्थिति में जहां कैप्स या रेजोलिथ में वाटर आइस को निकालना और पिघलाना है), तो वहां प्लैनेटरी प्रोटेक्शन प्रॉब्लम (ग्रह सुरक्षा से संबंधित समस्या) है। नासा के मुताबिक, प्लैनेटरी प्रोटेक्शन प्रॉब्लम का अर्थ है कि सोलर सिस्टम बॉडीज को पृथ्वी के जीवन से प्रदूषित होने से बचाना और अन्य सोलर सिस्टम बॉडीज से आने वाले संभावित जीवन रूपों से पृथ्वी को बचाना। इस समस्या का हल करना आसान नहीं है। किसी भी स्थिति में हम एक ग्रह पर सीमित संसाधनों की बात करते हैं जो बड़े पैमाने पर मौजूद आबादी का पोषण नहीं कर सकते। पानी की जरूरत वाली एक छोटी आबादी के लिए अन्य निकट-सतह जलाशयों (नियर-सरफेस रिजर्वायर) का उपयोग करना कहीं बेहतर है।