विज्ञान

लिथियम-आयन बैटरी 5.6 मिनट में होगी 60 फीसदी चार्ज, वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका

गैस से चलने वाले वाहनों को बैटरी से चलने वाले वाहनों में बदलने के पीछे का सबसे बड़ा रोड़ा बैटरी को रिचार्ज करने में लगने वाला समय है।

Dayanidhi

लिथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) वायु प्रदूषण और ऊर्जा संकट से संबंधित समस्याओं का समाधान करने तथा शून्य-उत्सर्जन वाले परिवहन उपकरणों में से एक है। हालांकि पारंपरिक ईंधन वाहन के गैस-रिफिलिंग में लगने वाले समय की तुलना में ईवी को रिचार्ज करने में अधिक समय लग जाता है, जिसके कारण लोग इसे अपनाने में हिचकिचाते हैं।

लेकिन अब शोधकर्ताओं की एक टीम ने इस समस्या से निजात पाने के लिए एक समाधान ढूढ़ निकला है। उन्होंने लिथियम-आयन बैटरी में सुधार करने के लिए इसके एनोड में कॉपर कोटिंग और नैनोवायर जोड़कर बैटरी चार्ज करने की रफ्तार को बढ़ा दिया है।

गैस से चलने वाले वाहनों को बैटरी से चलने वाले वाहनों में बदलने के पीछे का सबसे बड़ा रोड़ा बैटरी को रिचार्ज करने में लगने वाला समय है। उदाहरण के लिए, एक बैटरी वाहन को अपनी बैटरी को 40 फीसदी से 80 फीसदी तक चार्ज करने में लगभग एक घंटे का समय लगता है। इस नए प्रयास में, शोधकर्ताओं ने तेजी से चार्ज करने में मुख्य समस्याओं में से एक पर ध्यान दिया है और समस्या को हल करने के लिए बैटरी में बदलाव किया है।

तेजी से चार्ज करने की प्रमुख बाधाओं में से एक बैटरी का एनोड है। ये अधिकांशत: ग्रेफाइट से बने होते हैं और एक बिना क्रम वाले घोल में निर्मित होते हैं, जिस पर शोधकर्ताओं का ध्यान गया। जो कि लिथियम-आयन बैटरी के चार्ज करने का एक सही साधन नहीं है। वे यह भी बताते हैं कि जिस तरह से उनमें सामग्री पंक्तिबद्ध होती है, उनके बीच के अंतर का आकार भी एक अहम मुद्दा है।

इस समस्या को दूर करने के लिए, उन्होंने विभिन्न आकार के कणों और इलेक्ट्रोड सरंध्रता के स्थानिक वितरण को इसके अनुकूल बनाने के लिए पहले कण-स्तर के सैद्धांतिक मॉडल पर इसे लागू किया गया। फिर उन्होंने मानक ग्रेफाइट एनोड में बदलाव करने के बाद मॉडल से जो सीखा उसका उपयोग किया। उन्होंने इसे तांबे के साथ मिलाया और फिर तांबे के नैनोवायरों को घोल में जोड़ा। फिर उन्होंने एनोड को गर्म किया और फिर ठंडा किया, जिससे घोल को अधिक क्रम में लगी सामग्री ने इसे दबा दिया।

शोधकर्ताओं ने एनोड को एक मानक लिथियम-आयन बैटरी से चिपका दिया और फिर चार्ज होने में लगने वाले समय को मापा गया। उन्होंने पाया कि वे केवल 5.6 मिनट में बैटरी को 60 फीसदी तक चार्ज करने में सफल रहे, मात्र 11.4 मिनट में बैटरी 80 फीसदी तक चार्ज हो सकती है।

उन्होंने यह परीक्षण नहीं किया कि इसे 100 फीसदी तक चार्ज होने में कितना समय लगेगा क्योंकि ऐसी बैटरी के लिए ऐसा करने की सिफारिश नहीं की जाती है। शोधकर्ताओं ने यह नहीं बताया कि तांबे को एनोड में जोड़ने से बैटरी की कीमत में कितना इजाफा होगा। यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।